जलवायु परिवर्तन को लेकर डच एनजीओ किड्सराइट्स ने बड़ा दावा किया है। एनजीओ ने जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान की चेतावनी देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान के कारण लगभग एक अरब बच्चे "बेहद उच्च जोखिम" में हैं और पिछले कुछ दशक में युवाओं के जीवन स्तर में सुधार भी नहीं हुआ है।संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के आंकड़ों के आधार पर किड्सराइट्स इंडेक्स ने यह भी कहा कि दुनिया के एक तिहाई से अधिक बच्चे लगभग 820 मिलियन इस समय हीटवेव के संपर्क में है ।
डच एनजीओ किड्सराइट्स ने कहा कि पानी की कमी ने दुनिया भर में 920 मिलियन बच्चों को प्रभावित किया है, जबकि मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों ने तरीबन 600 मिलियन बच्चों को प्रभावित किया है, यानी हर चार में से एक बच्चा प्रभावित हुआ है।
किड्स राइट्स इंडेक्स पहली और एकमात्र रैंकिंग है जो मापती है कि बच्चों के अधिकारों की सालाना स्थिति क्या है, आइसलैंड, स्वीडन और फिनलैंड को बच्चों के अधिकारों के लिए सर्वश्रेष्ठ और सिएरा लियोन, अफगानिस्तान और चाड को 185 देशों में से सबसे खराब रैंकिंग दी गई है। वही भारत की बात करें तो ग्लोबल किड्स राइट इंडेक्स 2021 में 182 देशों में से भारत 112 रैंकिंग में था जो अब 2022 में 3 अंक नीचे पहुंच गया इस समय भारत की रैंकिंग 115 है
शीर्ष तीन देशों में से केवल स्वीडन की रैंकिंग पिछले वर्ष से बदली, चौथे स्थान से दूसरे स्थान पर आ गई। किड्सराइट्स के संस्थापक और अध्यक्ष मार्क डुलर्ट ने इस साल की रिपोर्ट को "बच्चों की वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए खतरनाक" बताया।
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