जलस्रोतों का संरक्षण हो, पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो : हाईकोर्ट

रांची, झारखंड उच्च न्यायालय ने जलस्रोतों के अतिक्रमण पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि जलस्रोत का संरक्षण होना चाहिए और उसमें पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भगवती प्रसाद की खंडपीठ ने पानी संकट पर एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य के अधिकांश जलस्रोतों- नदियां, तालाब व पोखर सूख रहे हैं। बरसात आ रहा है, उनमें पानी जमा हो यह सुनिश्चित होना चाहिए। अदालत ने टिप्पणी की कि कैचमेंट एरिया का अतिक्रमण किया गया, हरमू नदी व कांके डैम को भी नुकसान पहुंचा है।

उन्होंने इस मामले में सरकार की ओर से दायर शपथ पत्र पर भी असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वातानुकूलित चेम्बर में बैठकर सिर्फ शपथ दायर करने से काम नहीं चलेगा, शहर के चार तालाब हो गये हैं। इस संकट से निपटने के लिए विजन व दूरदृष्टि की जरूरत है। अदालत ने टिप्पणी की कि नेतरहाट में भी पानी की कमी है, सरकार विहंगम दृष्टि अपनाए और नदियों, तालाबों तथा पोखरों में पानी कैसे रहे, यह सुनिश्चित होना चाहिए। अदालत ने प्रदूषण बोर्ड और आरआरडीए द्वारा अवमानना के मामले में दाखिल जवाब को असंतोषजनक पाया और 28 अप्रैल तक फिर से शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। जवाब संतोषजनक नहीं होने पर अवमानना दोषी का मामला चलाने की भी चेतावनी दी गयी है।
 

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