जलसंरक्षण के आसान तरीके

स्थान- जलगांव जिले में तालुका यावल का अदगांव, परोला तालुका का तितवी गांव और चालीसगांव तालुका का मलशेवगा गांव

 

उद्देश्‍य :- कम कीमत पर घरेलू इस्तेमाल योग्य पानी उपलब्ध कराने, इसे गंदा होने से बचाने और साफ रखने के तरीकों को प्रोत्साहित करना जिसका सबसे बडा और सीधा असर बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर रखने पर हो सके।

 

परिस्थिति :- बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिये विश्‍व स्वास्थ्य संगठन का मुख्य मकसद उल्टी दस्त (डायरिया) पर काबू पाना है। भारत में हर साल डायरिया से लगभग पांच लाख बच्चों की मौत होती है। इसके मद्देनजर जलस्वराज्य परियोजना के तहत तीन प्रमुख बातों पर ध्यान केंद्रित किया गया है - गांवों में जागरूकता फैलाना, इस दिशा में कार्ययोजना तैयार करना और इसमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना। इस काम में जनसहयोग को बढावा देने पर ही पूरा ध्यान दिया गया है। जलस्वराज्य सहित सभी डब्ल्यूएसएस विकास परियोजनाओं के अधिकांश मकसद को पाने के लिये जनस्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर विशेश ध्यान दिया गया।

 

परीक्षण की बेहतरीन विधि:- जलगांव जिले में यावल तालुका के अदगांव, परोला तालुका के तितवी गांव और चालीसगांव तालुका के मलशेवगा गांव में इस विधि का प्रयोग किया गया। इसके तहत् स्वयं सहायता समूह और युवाओं ने ग्रामीण परिवारों को बचों में डायरिया के खतरे को न्यूनतम करने के लिये पानी को दूषित होने से बचाने के उपाय पारिवारिक स्तर पर के लिये प्रेरित किया। इसके लिये अपनाये गये प्रमुख साधन निम्नवत है:- पानी एकत्र करने वाली टंकियों को उंचे स्थान पर रख कर उसे अच्छी तरह से बंद कर उसमें नल लगा कर पानी का इस्तेमाल को सुनिश्चित करना गंदे पानी को इस्तेमाल योग्य बनाने के लिये साडी के कपडे की चार बार तह लगाकर इससे पानी को छानना पीने के पानी में तरल क्लोरीन की कुछ बूंदें डालकर इसे पीने योग्य बनाना खुले स्थान पर शौच जाने के बजाय व्यवस्थित रूप से शौचालय बनवाकर इनका इस्तेमाल करना जरूरत के हिसाब से हाथ धोने की आदत डालना बच्चों को चप्पल पहनने की आदत डालना इन गांवों की महिलाओं ने स्वीकार किया कि इन सभी बातों पर ध्यान देने के बाद डायरिया के मामलों में गिरावट दर्ज की गयी है।

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