जलकुंभी पानी से क्रोमियम निकालेगी (Hyacinth can help remove toxic chromium from polluted water )

पानी से क्रोमियम हटाएगी जलकुंभी



देश के भूजल में बढ़ता प्रदूषण न सिर्फ चिंता का विषय है बल्कि यह बड़ी समस्या बन गया है। क्रोमियम व अन्य हानिकारक तत्वों युक्त पानी के सेवन से हजारों लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। भारत और इथोपियों के वैज्ञानिकों ने जलकुंभी की मदद से गंदे पानी से क्रोमियम-6 जैसे हानिकारक भारी तत्वों को अलग करने की नई विधि विकसित की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि प्रदूषित जल को साफ करने का यह तरीका मौजूदा तरीकों से बेहद सस्ता और सुरक्षित है।

वैज्ञानिकों ने अध्ययन के दौरान जलकुंभी को पाउडर के रूप में पानी में मिलाया और उसे प्रदूषित जल (क्रोमियम-6 जैसे हानिकारक तत्व वाले) में डाला। तकरीबन दो मिनट के बाद पाउडर वाले पानी को अलग कर दिया। इसके बाद प्रदूषित पानी में क्रोमियम-6 की स्थिति को जाँचा। शोध दल की मुखिया और दिल्ली की इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की डॉक्टर नीतू रानी के मुताबिक, पानी में क्रोमियम-6 की मात्रा में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई।

उन्होंने कहा, जलकुंभी ने पानी से हानिकारक तत्वों को अलग करने की अपनी क्षमता का प्रयोग किया और जहरीले तत्वों को अपने में समाहित कर लिया। पाउडर वाले पानी को बाहर निकाल लेने पर प्रदूषित पानी में क्रोमियम की मात्रा स्वत: ही कम हो गई। उन्होंने कहा, प्रति लीटर प्रदूषित पानी में 0.04 ग्राम जलकुंभी के पाउडर को मिला दें और उसे तीस मिनट तक रखा रहने दें तो जल से क्रोमियम-6 के हानिकारक तत्वों को हटाया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, जलकुंभी के पाउडर की मात्रा बढ़ाने या पानी में उसकी अवधि बढ़ाने से क्रोमियम-6 के स्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। नीतू रानी ने कहा कि इस प्रक्रिया को अपना कर औद्योगिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाले अम्लीय जल भी शुद्ध किया जा सकता है, जो मानव जाति के लिये बड़ा खतरा बनता जा रहा है।

क्रोमियम युक्त जल का नुकसान


क्रोमियम जैसा तत्व मानव शरीर के लिये बेहद हानिकारक है। क्रोमियम की बेहद कम मात्रा शरीर में पहुँच जाए तो लीवर, किडनी, फेफड़े खराब हो सकते हैं। नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) फेल हो सकता है। इस बेहद हानिकारक तत्व से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि स्टील फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा, केमिकल इंडस्ट्री (उद्योग), पेंट बनाने के कारखाने, टेनरियाँ (चमड़ों के कारखानों में खाल की सफाई) का गंदा पानी भूजल में मिलकर उसे जहरीला बना देता है।


Heavy metal poisoning is a growing concern in many parts of the country. A new method for removing chromium-6, a highly toxic heavy metal, from waste water has been developed by a group of scientists from India and Ethiopia. They claim it to be low-cost and safe.

The new method uses water hyacinth, a weed known for its ability to spread rapidly over water bodies. It is used for cleansing polluted water bodies owing to its remarkable capacity of absorbing pollutants.

In the new study, hyacinth was made into a powder and then mixed with water containing chromium-6. The powder was allowed to settle down and after two minutes the liquid above the powder was removed and analyzed for chromium-6. It was found that chromium-6 levels decreased significantly in water.

This is because water hyacinth particles attract chromium which then gets ‘stuck’ to it thereby leaving water chromium ‘free’. For every litre of water, only 0.04 grams of powdered water hyacinth is required to reduce the amount of chromium-6 to ‘safer’ levels over a period of 30 minutes. Using higher amount of hyacinth or allowing the powder to stay in the water for longer did not have any further effect on chromium-6 levels. It was also found that acidic water further encouraged the ‘sticking’ (adsorption) of chromium-6 particles to the powdered water hyacinth.

“Use of water hyacinth as an adsorbent is a low-cost and very effective way of removing an extremely hazardous element from industrial waste before it becomes dangerous to humans,” said Dr Neetu Rani of Indraprastha University, New Delhi, who led the study. The results have appeared in Journal of Water Reuse and Desalination.

Exposure to chromium is toxic to humans. Even in small amounts, chromium affects the liver, kidneys, nervous system and lungs. Chromium-6 is highly toxic and can cause cancer. Steel, paint and pigments, chemical industries, and those engaged in electroplating and leather tanning are a major source of this pollutant. Though there are many methods being used to remove chromium-6 from industrial waste such as reverse osmosis, they are expensive and not very effective.

The research team included Dr Neetu Rani, Dr. Tuisem Shimrah from Indraprastha University, and Dr Bhupender Singh from Arba Minch University, Ethiopia. (India Science Wire)

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