क्या कोई खबर जल भराव के बारे में आपने देखी है - - -
जल भराव से दो दर्जन विद्यालयों में पढ़ाई ठप
अतिवृष्टि व बारिश का असर शिक्षा व्यवस्था पर भी साफ झलक रहा है। महराजगंज जिले के बृजमनगंज, धानी सहित कई ब्लाकों के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के पानी से घिर जाने के कारण पठन-पाठन बाधित है। जल जमाव के कारण स्कूल भवनों को भी भारी क्षति पहुंची है। बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार अकेले धानी क्षेत्र में 10 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जो पानी से घिर जाने के कारण पिछले कई दिनों से बन्द हैं।
उल्लेखनीय है कि बारिश थमने के बाद नदियों के जल स्तर में आये बढ़ाव से धानी व बृजमनगंज, लक्ष्मीपुर व नौतनवा क्षेत्र के लगभग 20 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के परिसर व कमरों में पानी जमा हो जाने से पठन-पाठन का काम पूरी तरह बाधित हो गया है।
वाटर हार्वेस्टिंग से मिलेगी जलभराव से निजात – क्या संभव है
जागरण, जालंधर : राज्य में जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जल संरक्षण को लेकर सरकार व संगठन स्तर पर हलचल तो शुरू हो गई है, पर फिलहाल कोई भी कारगर कदम नहीं उठाए जा सके हैं। हर बरसात में लाखों लीटर पानी जहां सीवरेज में जा रहा है, वहीं घंटों सड़क पर हिचकोले खाने के कारण लोगों व नगर निगम के लिए भी समस्या का कारण बना हुआ है। जरासी बरसात शहर का बुरा हाल कर देती है। यदि बारिश आधे घंटे से अधिक हो जाए, तो हर तरफ झील का नजारा पेश हो जाता है। इस बारे में जब भी निगम प्रशासन के किसी अधिकारी से कोई सवाल किया जाता है, तो एक ही जवाब मिलता है कि 'जल्द समस्या हल होगी'। इसके बावजूद आज तक इस समस्या का कोई हल नहीं निकला और न ही कोई स्थायी उपाय करने की कोशिश ही की गई है। निगम के आला अधिकारियों की माने तो इस समस्या का हल केवल स्ट्राम सीवर ही है, लेकिन इस पर करीब 150 करोड़ रुपये का खर्च है। निगम के लिए लाखों रुपये का बजट का जुगाड़ कर पाना मुश्किल हो रहा है। इस बारे में नगर निगम के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर राहुल गुप्ता ने भी माना की वाटर हार्वेस्टिंग कुछ हद तक इस समस्या से निजात दिलवा सकता है। इसके बावजूद शहर में जलभराव की समस्या का एकमात्र हल स्ट्राम सीवर ही है। वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में पूछे जाने पर राहुल गुप्ता ने कहा कि निगम की हाउस की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि कुछ इलाकों में इस तकनीक को अपना कर जलभराव की समस्या का हल किया गया है और जहां जलभराव की अधिक समस्या आ रही है वहां पर भी इस तकनीक को अपनाया जाएगा। राहुल गुप्ता ने बताया कि एक कनाल के प्लाट वालों को यह हिदायत दी गई है कि वो अपने प्लाट में वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक अवश्य अपनाएं।
ऐसी ही समस्या एक समय में गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में थी। ट्रस्ट के पूंर्व चेयरमैन तेजिंदर बिट्टू ने स्टेडियम में वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगवाया, जिससे यह समस्या खत्म ही हो गई।
जल भराव से अमृतसर को मिलेगी निजात
अमृतसर बारिश के मौसम में सड़क और गलियों में घुटनों तक जमा होने वाले पानी और उसकी गंदगी से शहरवासियों को निजात मिल सकेगी। साथ ही इस पानी को जमीन के भीतर भेज कर गिरते भू-जल स्तर को भी ठीक किया जा सकेगा। फिलहाल इस पर काम शुरू कर दिया गया है। राज्य में पहली बार होने वाली इस कोशिश को अंजाम दे रही है शहर की प्रमुख संस्था आर्किटैक्टरल रीजनल रिसर्च आर्गेनाइजेशन।
अनूठी पहल :
संस्था के सचिव एवं प्रमुख आर्किटैक्ट रावल सिंह औलख ने बताया कि बारिश के मौसम में अक्सर सड़कों और गलियों में पानी खड़ा हो जाता है। इससे जहां जन-जीवन प्रभावित होता है वहीं पानी का भी सही उपयोग नहीं हो पाता। इसे रोकने के लिए उनकी संस्था ने पहल की है। उन्होंने बताया कि इसके लिए उनकी टीम के 15 लोग काम करेंगे। इसमें जीएनडीयू के संबंधित विभाग के लोग भी शामिल रहेंगे। उनका दावा है कि यह राज्य में अपनी तरह की पहली कोशिश है। इसके लिए सर्वे शुरू किया जा चुका है जिसे सरकार और नगर निगम को सौंपा जाएगा।
चिन्हित होंगे स्पाट :
औलख के मुताबिक शहर के जल भराव वाले स्थानों को चिन्हित किया जाएगा। इसमें गंगा बिल्डिंग, हाल बाजार के बाहर, बस स्टैंड, पुतलीघर, निगम आफिस के बाहर, किला गोबिंदगढ़ के आसपास के इलाकों के अलावा अंदरूनी शहर का हिस्सा भी लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस पानी को दो टबों के माध्यम से फिल्टर करके जमीन के भीतर भेजा जाएगा। उनका कहना है कि अगर इसे पूरे राज्य में लागू किया जाए तो पांच सालों की बारिश से भू-जलस्तर को काफी हद तक मेंटेन किया जा सकता है।
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