भारत के पास विशेष रूप से उत्तरी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल-विद्युत उत्पादन की विशाल क्षमता मौजूद है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के एक अनुमान के अनुसार देश में 60 प्रतिशत भार गुणांक पर 84,000 मेगावाट क्षमता का आकलन किया गया है जो कि वार्षिक ऊर्जा उत्पादन के लगभग 450 बिलियन यूनिटों के बराबर है। बेसिन-वार विभाजन नीचे प्रस्तुत हैः
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय 1362 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता में से जल-विद्युत उत्पादन क्षमता 508 मेगावाट थी। तदनन्तर क्षमता बढ़कर 13,000 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा निर्माणाधीन परियोजनाओं से 6,000 मेगावाट अलग से उपलब्ध है। पहले ही मंजूर की जा चुकी परियोजनाओं से लगभग 3,000 मेगावाट क्षमता के उपलब्ध होने की संभावना है। इस प्रकार काम में लगाई गई/लगाई जा रही कुल क्षमता लगभग 22,000 मेगावाट बैठेगी जो कि अनुमानित क्षमता का लगミग एक चौथाई है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय 1362 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता में से जल-विद्युत उत्पादन क्षमता 508 मेगावाट थी। तदनन्तर क्षमता बढ़कर 13,000 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा निर्माणाधीन परियोजनाओं से 6,000 मेगावाट अलग से उपलब्ध है। पहले ही मंजूर की जा चुकी परियोजनाओं से लगभग 3,000 मेगावाट क्षमता के उपलब्ध होने की संभावना है। इस प्रकार काम में लगाई गई/लगाई जा रही कुल क्षमता लगभग 22,000 मेगावाट बैठेगी जो कि अनुमानित क्षमता का लगミग एक चौथाई है।
क्रम संख्या
| बेसिन
| 60 प्रतिशत भार गुणांक पर क्षमता (मेगावाट) |
1. | सिंधु बेसिन | 20,000 |
2. | ब्रह्मपुत्र बेसिन | 35,000 |
3. | गंगा बेसिन | 11,000 |
4. | केन्द्रीय भारत बेसिन | 3,000 |
5.
| पश्चिम की ओर बहने वाली नदी प्रणाली | 6,000 |
6. | पूर्व की ओर बहने वाली नदी प्रणाली | 9,000 |
| योग | 74,000 |
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