जल विद्युत परिदृश्य

hydro electricity
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पिछले कुछ दशकों से पानी, विकास और बाजारवाद सम्बन्धी बहसों के केन्द्र में है। बढ़ती आबादी के साथ पेयजल व खाद्यान्न संकट, बाढ़ से निपटने, रेगिस्तानों को हरा-भरा करने और राष्ट्रीय ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने हेतु पानी को महत्त्वपूर्ण संसाधन के रूप में देखा जाने लगा है। बाजारवाद और उपभोक्तावाद की यह बयार पानी के स्थाई स्रोतों खासतौर से नदियों पर एकाधिकार जताने व उनके प्राकृतिक बहाव पर बाँधों के माध्यम से हस्तक्षेप के सिलसिले के साथ शुरू होती दिखाई पड़ती है। बड़े बाँधों पर अन्तरराष्ट्रीय आयोग के एक आंकलन के अनुसार अब तक विश्व की नदियों में 45,000 से भी अधिक बाँध बनाए जा चुके हैं जिनमें से 5,000 बाँध 1950 के बाद निर्मित हुए।



दरअसल 20वीं सदी में बाँधों की अवधारणा को पानी,प्रगति और राष्ट्रीय स्वाभिमान के सर्वाधिक सशक्त प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया। इतिहासकार थियोडोर स्टेनबर्ग बाँध निर्माण को एक विचारधारा मानते हुए लिखता है, इन संरचनाओं को इसलिए बनाया गया कि ये शक्ति, प्रभुत्व और महानता के प्रतीक बन सकें।

बदलते परिदृश्य में आज बाँध केवल अपने आकार और निर्माण की उत्कृष्टता तथा संचालन की जटिलता सम्बन्धी बहसों तक ही सीमित नहीं है बल्कि मानवीय विकास आकांक्षा से जुड़े सामाजिक, आर्थिक पर्यावरणीय और राजनैतिक मुद्दे भी इससे गहराई से जुड़ गए हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि बाँध मूलरूप से नदियों की प्रकृति को ही रूपान्तरित नहीं करते, ये स्थानीय नदी तटवर्ती समुदायों के जल संसाधनों के उपभोग के स्वाभाविक अधिकारों को निरन्तर लीलते हुए नए उपभोक्ता समूहों तक ले जाते हैं।

आजादी के बाद भारत में भी विकास की परिकल्पनाओं को प्रभुत्व की इन विचारधाराओं ने प्रभावित किया। 1954 नंगल नहर का उद्घाटन करते हुए नेहरू के ये उद्गार शानदार और आश्चर्यजनक कार्य ! यह काम वही देश कर सकता है जिसे विश्वास हो और जो निर्भीक हो, भारत में विकास की भावी रूपरेखा के संकेत थे। इस समय तक छोटे बड़े 300 बाँधों से 508 मेगावाट बिजली पैदा की जाने लगी थी, हालाँकि यह रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी थी। आज भारत में लगभग 4291 बाँध अस्तित्व में आ चुके हैं और इन बाँधो से 21891 मेगावाट उत्पादन हो रहा है। इस उत्पादन में एक तिहाई योगदान ऐसी परियोजनाओं का है जो रन आफ द रिवर बनाई गई थीं।

यह उल्लेखनीय है कि जल संसाधन के दोहन की भारी भरकम योजनाओं से असाधारण लाभ के आकर्षण से उत्तराखण्ड भी अछूता नहीं रहा। 70 और 80 के दशक में यहाँ की नदियों को बाँधने का सिलसिला शुरू हुआ। राज्य स्थापना के बाद इस प्रदेश में तब्दील किए जाने के प्रयास और तेजी से शुरू हुए। यहाँ की नदियों से 25,000 मेगावाट बिजली उत्पादन की सम्भावना आंकी गई है राज्य की नई ऊर्जा नीति में सरकारी गैर सरकारी कम्पनियों के माध्यम से राज्य की छोटी-बड़ी नदियों में चल रहे जल प्रवाह को थाम कर जगमगाते भविष्य की अपार सम्भावनाएँ आंकी जाने लगी हैं।

2008 में प्रकाशित राज्य जल विद्युत निगम के आँकड़े बताते हैं कि वर्तमान में उत्तराखण्ड की 89 परियोजनाओं से 3140.02 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है। इन परियोजनाओं में 13 प्रतिशत पिथौरागढ़ व चम्पावत जनपद की नदी घाटियों में स्थापित की गई हैं जो 299.50 मेगावाट बिजली पैदा कर रही हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य की निर्माणाधीन या प्रस्तावित 132 परियोजनओं में से 43.56 प्रतिशत योजनाएँ पिथौरागढ़ व चम्पावत जनपद की नदियों पर लगाई जानी हैं, जिनसे 1379.80 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य है। जनपद की 50 से 600 मेगावाट क्षमता वाली पाँच बड़ी परियोजनाओं का निर्माण नेशनल हाईड्रो इलेक्ट्रिक कारपोरेशन व टिहरी हाईड्रो इलेक्ट्रिक कारपोरेशन द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। शेष योजनाएँ उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम द्वारा निर्मित की जाएगी।

नई ऊर्जा नीति के अन्तर्गत निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए राज्य सरकार ने 42 परियोजनाएँ, जिनसे 1941.50 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य है, निजी कम्पनियों को सौपी हैं। पिथौरागढ़ जनपद मेें गोरीगंगा तथा सरयू घाटी में लगने वाली ऐसी ही पाँच परियोजनाएँ जिनसे लगभग 367.72 मेगावाट विद्युत उत्पादन की अपेक्षा है, जी.वी.के. इण्डस्ट्रीज, हिमालया, कृष्णा निटवेयर व मंदाकिनी हाइड्रो जैसी निजी कम्पनियों को सौंपी गई हैं। दरअसल नई नीति के अन्तर्गत 100 मेगावाट से अधिक उत्पादन करने वाली परियोजनाओं को 45 वर्षों के करार पर निजी कम्पनियों को सौंपा जाना है यह भी उल्लेख करना उचित होगा कि नेपाल व भारत द्वारा महाकाली संधि को स्वीकार कर लिए जाने के बाद पंचेश्वर बाँध के रूप में एक विशालकाय जल विद्युत परियोजना के निर्माण की गतिविधियाँ भी इस इलाके में शुरू होंगी।

यहीं पर यह सवाल भी उठना स्वाभाविक है कि क्या हमें खेती, खेत और बसासतें डुबा देनी चाहिए ? क्या यहाँ का जीवन उजाड़ कर बिजली उत्पादन ज्यादा आवश्यक है ? क्या किसी ऐसे रास्ते को खोजने का प्रयास हुआ, जिसमें न्यूनतम विस्थापन के साथ बिजली उत्पादन किया जा सकता हो ? निम्न तालिकाओं से पिथौरागढ़ व चम्पावत जिलों में जल विद्युत परियोजनाओं के परिदृश्य को सरलता से समझा जा सकता है।

 

जिला पिथौरागढ़ तथा चम्पावत में स्थापित जलविद्युत परियोजनाएँ

क्रम

परियोजना का नाम

क्षमता

मेगावाट  नदी घाटी

नदी/ सहायक नदी/ गाड /गधेरा

हेड मी.

1

बरार

0.75

रामगंगा

बरार गाड

103.00

2

गराउं

0.30

रामगंगा

गुहाती गाड

128.50

3

सुरिङ गाड़

0.80

गोरीगंगा

सुरि गाड

02.00

4

रैल गाड़

3.00

धौलीगंगा

रैल गाड

280.00

5

छिरकला

1.50

धौलीगंगा

दुगू गाड

292.50

6

कनचोटी

2.00

धौलीगंगा

कनचोटी गाड

418.00

7

सोबला-1

8.00

धौलीगंगा

सोबला गाड

196.51

8

दार्चुला

0.20

महाकाली

गलाती गाड

-

9

छरनदेव

0.40

कालीगंगा

संघरी गाड

170.00

10

तालेश्वर

0.60

कालीगंगा

कटियानी गाड

198.00

11

कुलागाड

1.20

कालीगंगा

कुलागाड

213.00

12

गौरी, चम्पावत

0.20

शारदा

शारदा

132.00

13

सप्तेश्वर, चम्पावत

0.30

शारदा

शारदा

40.00

14

खेत

0.10

धौलीगंगा

खेत गाड

103.25

15

भैंकुरिया

0.50

गोरीगंगा

पैन गाड

62.60

16

धौलीगंगा

280.00

धौलीगंगा

धौलीगंगा

311.00

 

कुल उत्पादन

299.00

     

 

 

जिला पिथौरागढ़ तथा चम्पावत में निर्माणाधीन व प्रस्तावित जलबविद्युत परियोजनाएँ

क्रम

परियोजना का नाम

क्षमता

मेगावाट नदी घाटी

नदी/ सहायक

नदी/ गाड़/ गधेरा हेड मी.

1

सेला उर्थिग

230.00

धौली

धौलीगंगा

267.00

2

सरकारी भ्योल रुपस्या

210.00

गोरी

 

383.50

3

टंकुल

12.00

गोरी

सतमखोली गाड

400.00

4

सुरिङ गाड़-2

05.00

गोरी

सुरिङ गाड-2

352.00

5

रौतन

0.50

रामगंगा पू.

लमतरा रौली

38.00

6

वाचम

0.10

रामगंगा पू.

वाचरैला

80.00

7

मर्तोली

0.02

गोरी

मरतोली गाड़

60.00

8

बुर्फु

0.03

गोरी

मरतोली गाड़

40.00

9

रालम

0.03

गोरी

रालमगाड़

70.00

10

सेला

0.05

धौली

सेला गाड़

26.00

11

उच्यां

0.05

धौली

खारी गाड़

28.00

12

कुटी

0.05

काली

कुटी याङती

53.95

13

नागिलिङ

0.05

काली

नागलिङ यांङली

30.00

14

बूंदी

0.05

धौली

पुलुङ गाड़

107.00

15

दुग्तू

0.025

धौली

नातीयाङती

1031.00

16

नपल्च्यूं

0.05

काली

पियर यांङती

67.00

17

रौङकौङ

0.05

काली

दङयाङ यांङती

58.00

18

बरम

1.00

गोरी

बरम गाड़

86.00

19

बिर्थी

1.00

 

बालछिन

275.00

20

बुर्थिङ पुर्डम

5.00

 

जाकुला

185.76

21

फुलीबगड़- क्वीटी

4.00

 

जाकुला

89.60

22

बालगाड

8.00

 

रामगंगा पू.

38.00

23

रामगंगा पू.

30.00

 

रामगंगा पू.

70.00

24

गर्ब्यांग

131.00

काली

 

350.00

25

बूंदी

192.00

काली

 

450.00

26

माल्पा

138.00

काली

 

325.00

27

तवाघाट-तपोवन

105.00

काली

 

180.00

28

तपोवन-कालिका

160.00

काली

 

120.00

29

कालिका बलुआकोट

120.00

काली

 

90.00

30

कुटी एसएचपी

06.00

काली

कुटी यांङती

207.00

31

पलङ एसएचपी

6.50

काली

पलङ गाड़

514.00

32

नज्यङ एसएचपी

5.50

काली

नज्यङ गाड़

1147.00

33

सिमखोला एसएचपी

8.75

काली

सिमखोला गाड़

615.00

कुल        सम्भावित उत्पादन          1379.80              मेगावाट

 

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