जल स्त्रोत भरे रहने के बावजूद उत्तरकाशी पानी के संकट से जूझ रहा है

उत्तरकाशी में पानी के प्राकृतिक स्थायी स्त्रोत के होने के बावजूद गर्मियों के दिनों में पूरे जिले में पानी की कमी की समस्या होने लगती है। कई विशेषज्ञों का कहना है उत्तरकाशी में पानी का संकट इसलिये आ रहा है क्योंकि प्रशासन पानी की व्यवस्था में लापरवाही बरत रही है। द्वारिका सेमवाल जो सोशल एक्टिविस्ट हैं उनका कहना है, ‘एक शहरी क्षेत्र को एक दिन में 135 लीटर की आवश्यकता होती है और ग्रामीण इलाकों में 70 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। लेकिन प्रशासन के खराब व्यवस्था के कारण चिन्यालीसौड़, डौंडा और बड़कोट में पानी की सप्लाई सही से नहीं पहुंच पा रही है’।

जनसंख्या बड़ी वजह

द्वारिका सेमवाल कहते हैं, पूरा उत्तरकाशी ग्लेशियर, स्ट्रीम और पानी की कमी से जूझ रहा है। ये कभी न खत्म न वाली संकट बन गये हैं। शहरी क्षेत्र में पानी की कमी का एक बड़ा कारण पानी स्त्रोत का सूखा होना है। एक दूसरा कारण शहरी क्षेत्र की बढ़ती जनसंख्या है। गांव से बढ़ते पलायन ने शहरी क्षेत्र की पानी के वितरण व्यवस्था पर बल डाला है। जिसे प्रशासन को पानी की स्थायी व्यवस्था करने में परेशानी आ रही है। वहीं ग्रामीण इलाकों में पानी की कमी मानसून और सर्दियों के दिनों में होती है। मानसून के दिनों में पाइप फट जाते हैं या फिर बर्फबारी के कारण जाम हो जाते हैं।

द्वारिका सेमवाल बताते हैं कि सरकार की लापरवाही ही इस समस्या को बढ़ाये हुये हैं। प्रशासन समय-समय पर रखरखाव करती रहे और पाइपों को बदलती रहे तो ये समस्या कम हो सकती है। एक और सोशल एक्टिविस्ट कमलेश गुरूरानी सलाह देते हैं कि सरकार को पानी केे पुराने जल संधारण प्रक्रिया पर काम करना चाहिये। जिससे इन क्षेत्रों में पानी की मात्रा अधिक से अधिक रहे। जनसंख्या बढ़ती जा रही है और क्लाइमेट भी बदलता जा रहा है। ऐसे में सरकार के लिये बहुत कठिन है कि वो प्रत्येक व्यक्ति तक पर्याप्त पानी पहुंचा सके।

पुरानी प्रणाली का प्रयोग 

सरकार को पानी पहुंचाने के साथ ही लोगों को जागरुक करने का प्रयास करना चाहिये। जिससे पुराने तरीकों से पानी का संरक्षण किया जा सके। बारिश के पानी को एक जगह इकट्ठा करने की व्यवस्था बनानी चाहिये जिससे धरती का जल स्तर बढ़ सके। इसके अलावा ड्रिप सिंचाई व्यवस्था और खराब पानी को रिसाइकिल करने की व्यवस्था को बढ़ावा देना होगा। 

जल संस्थान के अधिशाषी इंजीनियर बीएस डोगरा कहते हैं कि छुटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो उत्तरकाशी में कभी बड़ा पानी का संकट नहीं आया है। बीएस डोगरा कहते हैं कि यहां पानी की समस्या पूरी क्षेत्र की नहीं है। कुछ क्षेत्र हैं जहां दुर्भाग्यवश पानी की समस्या होती-रहती है। वहां के लोग पानी की कमी की समस्या झेल रहे हैं। इस साल का अनुमान है कि उन क्षेत्रों में बारिश अच्छी होगी। हमने चिन्यालीसौड़, डौंडा और बड़कोट को ध्यान में रख लिया है। हमने वहां के स्थानीय प्रशासन को निर्देश भेज दिये हैं कि जल्द से जल्द खराब पाइपों को सही किया जाये और जहां पानी की पहुंच नहीं है वहां लगाये जाएं।

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