कार्यक्रम तिथि 13-14 मई 2015
जल सरंक्षण सम्वर्धन एवं नदी पुनर्जीवन के लिए जल-जन जोड़ो अभियान के जवाहर लाल यूथ होस्टल नई दिल्ली में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में झारखण्ड के खाद्य आपूर्ति एवं संसदीय मन्त्री सरयू राय ने कहा कि प्रत्येक अभियान की अपनी सार्थकता होती है। जल से जन को जोड़ने के लिए शुरू किया गया यह अभियान वर्तमान में भारत की पहली आवश्यकता है। जल से जन जुड़ेगा तभी नदी और तालाब बचेंगे। उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने के लिए बड़े बजट की जरूरत नहीं जन-भागेदारी आवश्यक है। सरकारें शासन करने के लिए बनी हैं। परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त नहीं कर सकती। सरकार का तन्त्र अपने से बाहर के किसी भी परिवर्तन को स्वीकार नहीं करता है। इस बात को सामाजिक संगठनों को समझ लेना चाहिए। अब सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर काम करने की जरूरत है। नदियों की निर्मलता और अविरलता के लिए नदियों को गन्दा करने वालों को रोकना होगा।
जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि पूरी दुनिया में शान्ति के लिए जल संकट का समाधान होना आवश्यक है। विश्व शान्ति के लिए जल का विवेकपूर्ण उपयोग करना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भारत के जल संरक्षण एवं सम्वर्धन की देशज ज्ञान को महत्त्व दिया जा रहा है। जल सरंक्षण के लिए परम्परागत ज्ञान का सम्मान होना आवश्यक है। इंजीनियरिंग जहाँ शोषण सिखाती है वहीं परम्परागत ज्ञान संरक्षण सिखाता है। जल-जन जोड़ो अभियान के माध्यम से भारत में एक सैकड़ा से अधिक नदियों को पुनर्जीवित करने का अभियान शुरू किया गया है। जिसके माध्यम से जनभागेदारी के द्वारा इन नदियों को पुनर्जीवित किया जायेगा।
जल-जन जोड़ों अभियान के राष्ट्रीय संयोजक श्री संजय सिंह ने कहा कि वर्तमान में भारत के 20 राज्यों में जल सरंक्षण, सम्वर्धन एवं प्रबन्धन के लिए जन सहभाग से जो कार्य किया जा रहा है। उस कार्य में युवाओं, महिलाओं व किसान संगठनों का व्यापक सहयोग प्राप्त हो रहा है। आने वाले समय में भारत के प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेद-भाव व गरिमा के साथ स्वच्छ जल प्राप्त हो इसके लिए भारत में जल सुरक्षा कानून का निर्माण आवश्यक है। पानी के सामुदायीकरण के अधिकार से पानी का बाजार पर रोक लगेगी। महाराष्ट्र के 36 में से 32 जिलों में जल-जन जोड़ों अभियान से जुड़कर समुदाय ने सतारा, सांगली, उस्मानाबाद, औरंगाबाद, जाल्ना, नागपुर, सोलापुर आदि जिलों में नदियों को पुनर्जीवित करने का अभियान शुरू किया है। जिसके तहत अग्रणी, सांगली, माणगंगा, बेदावती, ऐणगंगा आदि नदियों को पुनर्जीवित करने का काम शुरू हुआ है।
महाराष्ट्र जल बिरादरी के संयोजक सुनील जोशी ने कहा कि महाराष्ट्र में नदियों को बचाने का काम जन सहभाग से शुरू हुआ है आज इस कार्य को राज समाज सन्त व सरकार सबके सहयोग से यह कार्य किया जा रहा है। जल-जन जोड़ों सिद्धान्तों का महाराष्ट्र सरकार के जलयुक्त शिविर इस नाम से चल रहे अभियान में स्वीकार किये गये हैं। महाराष्ट्र से आये डा. विनोद गोदनकर ने कहा कि नदियों को बचाने के लिए नदियों में जाने वाले कचरे को रोकना पड़ेगा। उन्होंने नदियों में कचरा न जाये इसके लिए एक लाख पन्द्रह हजार स्कूली बच्चों को इस अभियान से जोड़कर इस कार्य को शुरू किया है। नरेन्द्र चुंग ने कहा कि उन्होंने जो पानी का काम किया है उससे जाति बंधन टूटा है। स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी हरिद्वार ने कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए सन्त समाज किसान मजदूर युवा व महिला सभी को जुड़कर कार्य करना होगा। मात्र सरकारी प्रयास से गंगा की निर्मलता और अविरलता सम्भव नहीं है। भारतीय किसान मोर्चा के महासचिव नरेश सिरोही ने कहा कि हमें परम्परागत ज्ञान का सम्मान करना होगा। देशी गाय और उसके गोबर व मूत्र से खेती को उपजाऊ बनाया जा सकता है। वहीं सिंचाई में पानी खपत भी कम की जा सकती है। जल सरंक्षण के लिए जमीन स्तर पर जल-जन जोड़ों अभियान के कार्य सराहनीय है।
उत्तर प्रदेश से आये सामाजिक कार्यकर्ता एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेता विंध्यवासिनी कुमार ने कहा कि उ.प्र. में सई और गोमती नदी को बचाने के लिए किये गये प्रयासों में यह बात निकलकर आई कि आज भी लोग अपनी नदियों के प्रति समर्पित हैं। लेकिन सरकारें जन सहभाग के विचारों को महत्त्व नहीं दे रही हैं। सम्मेलन में देश भर से आये जल-जन जोड़ों अभियान से जुड़े प्रतिनिधियों द्वारा अपने-अपने राज्यों में नदी पुनर्जीवन हेतु किये जा रहे कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत में नदी, तालाब एवं प्राकृतिक जल सरंक्षण संरचनाओं को बचाने के लिए जल से जन को जोड़ना मुख्य उददेश्य है। महाराष्ट्र से पधारी श्रीमती प्रतिभा सिंधे ने कहा कि जल जन जोड़ो का मुददा भारत के गरीब किसान मज़दूर का मुद्दा है इनको बचाने के लिए हम सबको सामुहिक जन प्रयास करने की जरुरत है। कर्नाटक के धारवाड़ विश्वविद्यालय के प्रो. राजेन्द्र पोद्दार ने खेती में पानी के बढ़ते प्रयोग को रोकने के उपाय बताये। डा. इन्दिरा खुराना की भारत मेें जल संरक्षण के किताब का विमोचन किया।
नदी पुर्नजीवन नीति बनाने के लिए चलेगा अभियान
नई दिल्ली में जल-जन जोड़ो के वार्षिक सम्मेलन में समापन के अवसर पर देशभर से जुटे जलकर्मी, जलविशेषज्ञों एवं जलयोद्धाओं के दो दिन के गहन विचार विमर्श के बाद एकमत से केन्द्र सरकार द्वारा बनाई गई गंगा कमेटी के साथ सकारात्मक एवं सहभागी संवाद बनाने की पैरवी करी। गंगा की निर्मलता एवं अविरलता के लिए गंगा सफाई अभियान में जन की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्र नीति का निर्माण कराने के लिए जल-जन जोड़ो अभियान ने मुहिम शुरु की है। देश भर के जल संरक्षण से जुड़े जल प्रेमियों द्वारा 11 से 15 सदस्यीय कमेटी का निर्माण किया गया। यह कमेटी जल संसाधन मन्त्रालय को नदी पुर्नजीवन नीति बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
यह फैसला जल-जन जोड़ो अभियान के वार्षिक सम्मेलन में किया गया। सम्मेलन का आयोजन जवाहर लाल नेहरु यूथ हॉस्टल में किया गया। इस अवसर पर जल पुरुष श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गंगा सुधार के लिए भारत की कैबिनेट ने 20000 हजार करोड़ की स्वीकृति प्रदान की है। बिना नदी नीति के निर्माण किये यह धनराशि पानी में बह जायेगी। नदी की जमीन नदी के लिए, नदी में प्रवाह, नदी से मल-मूत्र एवं गन्दे नालों को अलग करने का कार्य सरकार को प्रमुख रुप से करना चाहिए। जल-जन जोड़ो अभियान सरकार को हमेशा इस बात के लिए ध्यान हमेशा आकृष्ट कराने का कार्य करेगा। राज्यों में नदी नीति का निर्माण पेयजल सुरक्षा कानुन का निर्माण आवश्यक है। सभी विश्वविद्यालयो में जल संरक्षण एवं नदी-पुनर्जीवन का पाठयक्रम बने, इसके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इस वर्ष नासिक में होने वाले संघर्षपूर्ण में जलग्राम का निर्माण किया जायेगा। नौजवानों, महिलाओ एवं पुरुषों को जल के अभियान से विशेष तौर से जोड़ा जायेगा। जल-जन जोड़ो अभियान के शीर्ष नेतृत्व जल पुरुष श्री राजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता एवं सैकड़ो लोगों की उपस्थिति में जल सुरक्षा अधिनियम बनाने के लिए अधिक से अधिक जन जागरण करने की जिम्मेदारी ली गई।
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