जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) उपकर अधिनियम, 1977 (Water (Pollution Prevention and Control) Cess Act, 1977)

(1977 का अधिनियम संख्यांक 36)


{ 7 दिसम्बर, 1977}


जल प्रदूषण के निवारण तथा नियंत्रण के लिये जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अधीन गठित केन्द्रीय बोर्ड और राज्य बोर्डों के साधनों में वृद्धि करने की दृष्टि से कुछ उद्योग चलाने वाले व्यक्तियों और स्थानीयप्राधिकरणों द्वारा उपभोग किये गए जल पर उपकर के उद्धहण औरसंग्रहण का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम

भारत गणराज्य के अट्ठाइसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-

अध्याय 1


प्राम्भिक


1. संक्षिप्त नाम, विस्तार, लागू होना और प्रारम्भ


(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) उपकर अधिनियम, 1977 है।

(2) इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है।

(3) उपधारा (2) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए यह उन सभी राज्यों को, जिन्हें जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) लागू होता है और संघ राज्य क्षेत्रों को, लागू होगा।

(4) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।

2. परिभाषाएँ


इस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -

(क) “स्थानीय प्राधिकरण” से वह नगर निगम या नगर परिषद (चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हो) या छावनी बोर्ड या कोई अन्य निकाय अभिप्रेत है, जिसे जल प्रदाय करने का कर्तव्य उस विधि के अधीन सौंपा गया है, जिसके द्वारा या अधीन उसका गठन किया गया है;
(ख) “विहित” से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
1{(ग) “उद्योग” के अन्तर्गत ऐसी कोई क्रिया या प्रक्रिया या उपचार और व्ययन प्रणाली भी है, जिसमें जल का उपभोग होता है या जिससे मल बहिःस्राव या व्यावसायिक बहिःस्राव होता है किन्तु इसके अन्तर्गत कोई हाइडल पावर यूनिट नहीं है;
(घ) उन शब्दों और पदों के, जो इस अधिनियम में प्रयुक्त हैं किन्तु परिभाषित नहीं हैं और जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे जो उस अधिनियम में हैं।

3. उपकर का उद्धहण और संग्रहण


(1) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) के प्रयोजनों के लिये और उसके अधीन उपयोग के लिये उपकर का उद्धहण और संग्रहण किया जाएगा।

(2) उपधारा (1) के अधीन उपकर, -

(क) किसी 2{उद्योग, चलाने वाले प्रत्येक व्यक्ति द्वारा, और
(ख) प्रत्येक स्थानीय प्राधिकरण द्वारा, सन्देय होगा और उसकी संगणना अनुसूची 2 के स्तम्भ (1) में विनिर्दिष्ट किसी प्रयोजन के लिये, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा उपभोग किये गए जल के आधार पर उस दर से की जाएगी जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट करे, किन्तु जो उस अनुसूची के स्तम्भ (2) में तत्स्थानी परिविष्ट में विनिर्दिष्ट दर से अधिक नहीं होगी।

1{(2क)} जहाँ कोई 2{उद्योग}, चलाने वाला कोई व्यक्ति या कोई स्थानीय प्राधिकरण, जो घरेलू प्रयोजन के लिये जल का उपभोग कर रहा है और जो उपकर का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार है, जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) की धारा 25 के उपबन्धों में से किसी का, या पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (1986 का 29) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिकथित मानकों में से किसी का, अनुपालन करने में असफल रहता है वहाँ, इस धारा की उपधारा (2) में किसी बात के होते हुए भी, उपकर ऐसी दर से, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, समय-समय पर विनिर्दिष्ट करे, और जो अनुसूची 2 के स्तम्भ (3) में विनिर्दिष्ट दर से अधिक न हो, संगणित और सन्देय होगा।,

(3) जहाँ कोई स्थानीय प्राधिकरण कोई 2{उद्योग} चलाने वाले किसी व्यक्ति या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकरण को जल का प्रदाय करता है और ऐसा व्यक्ति या अन्य स्थानीय प्राधिकरण इस प्रकार प्रदाय किये गए जल की बाबत 3 {उपधारा (2) या उपधारा (2क)}, के अधीन उपकर का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार है, वहाँ 3{ उन उपधाराओं}, में किसी बात के होते हुए भी, प्रथम वर्णित स्थानीय प्राधिकरण ऐसे जल की बाबत ऐसे उपकर का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार नहीं होगा।

स्पष्टीकरण


इस धारा और धारा 4 के प्रयोजनों के लिये, “जल का उपभोग” पद के अन्तर्गत जल का प्रदाय है।

4. मीटरों का लगाया जाना


(1) कोई 2{उद्योग, चलाने वाला प्रत्येक व्यक्ति और स्थानीय प्राधिकरण उपभोग किये गए जल का परिमाण मापने और उसे दर्शित करने के प्रयोजनों के लिये ऐसे मानकों के और ऐसे स्थानों पर, जो विहित किये जाएँ, मीटरों को लगवाएगा और जब तक प्रतिकूल साबित नहीं हो जाता है तब तक यह उपधारणा की जाएगी कि, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण ने मीटर द्वारा उपदर्शित परिमाण तक जल का उपभोग किया है।

(2) जहाँ कोई व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित कोई मीटर लगवाने में असफल रहता है, वहाँ केन्द्रीय सरकार, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण को सूचना देने के पश्चात, ऐसा मीटर लगवाएगी और ऐसे मीटर की कीमत और उसे लगवाने का खर्च ऐसे व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण से उसी रीति से वसूल कर सकेगी, जिस रीति से भू-राजस्व की बकाया वसूल की जाती है।

5. विवरणियों का देना


4{(1)}, कोई 2{उद्योग}, चलाने वाला प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक स्थानीय प्राधिकरण जो धारा 3 के अधीन उपकर का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार है ऐसी विवरणियाँ, ऐसे प्रारूप में, ऐसे अन्तरालों पर और ऐसी विशिष्टियाँ देते हुए, ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी को देगा, जो, यथास्थिति, विहित किया जाये या विहित किये जाएँ या विहित की जाएँ।

4{(2) यदि कोई 2{उद्योग, चलाने वाला कोई व्यक्ति या कोई स्थानीय प्राधिकरण जो धारा 3 के अधीन उपकर का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार है, उपधारा (1) के अधीन कोई विवरणी देने में असफल रहता है, तो अधिकारी या प्राधिकारी ऐसे व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण को यह अपेक्षा करते हुए एक सूचना देगा कि वह, ऐसी तारीख के पूर्व जो सूचना में विनिर्दिष्ट की जाये, ऐसी विवरणी दे।}

6. उपकर का निर्धारण


(1) वह अधिकारी या प्राधिकारी, जिसे धारा 5 के अधीन विवरणी दी गई है, ऐसी जाँच करने या करवाने के पश्चात जो वह ठीक समझे और अपना यह समाधान कर लेने के पश्चात कि विवरणी में दी गई विशिष्टियाँ सही हैं, आदेश द्वारा उपकर की उस रकम का निर्धारण करेगा, जो, यथास्थिति, कोई 2{उद्योग, चलाने वाले सम्बद्ध व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा सन्देय है।

5{(1क) यदि अधिकारी या प्राधिकारी को धारा 5 की उपधारा (2) के अधीन विवरणी नहीं दी गई है तो वह, ऐसी जाँच करने या कराने के पश्चात जो वह ठीक समझे, 2{उद्योग, चलाने वाले सम्बद्ध व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा सन्देय उपकर की रकम का, आदेश द्वारा, निर्धारण करेगा।}

(2) उपधारा (1) 5{या उपधारा (1क), के अधीन किये गए निर्धारण के आदेश में वह तारीख विनिर्दिष्ट की जाएगी जिसके भीतर राज्य सरकार को उपकर का सन्दाय किया जाएगा।

(3) उपधारा (1) 5{या उपधारा (1क), के अधीन किये गए निर्धारण आदेश की एक-एक प्रति, यथास्थिति, सम्बद्ध व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण और राज्य सरकार को भेजी जाएगी।

(4) राज्य सरकार, अपने ऐसे अधिकारियों या प्राधिकारियों के माध्यम से, जो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, उपकर का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण से उपकर का संग्रहण करेगी और इस प्रकार संग्रह की गई रकम का सन्दाय केन्द्रीय सरकार को ऐसी रीति से और ऐसे समय के भीतर करेगी, जो विहित किया जाये।

7. रिबेट


जहाँ इस अधिनियम के अधीन उपकर का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार कोई व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण मल या व्यावसायिक बहिःस्राव की अभिक्रिया के लिये कोई संयंत्र लगाता है वहाँ ऐसा व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण ऐसी तारीख से, जो विहित की जाये, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा सन्देय उपकर के 1{पच्चीस प्रतिशत, की रिबेट का हकदार होगा :

2{परन्तु कोई व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण किसी रिबेट का हकदार नहीं होगा यदि वह-

(क) उस अधिकतम परिमाण से अधिक जल का उपभोग करता है जो किसी 3{उद्योग, या स्थानीय प्राधिकरण के लिये इस निमित्त विहित किया जाये; या
(ख) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) की धारा 25 के उपबन्धों में से किसी या पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (1986 का 29) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिकथित मानकों में से किसी का अनुपालन करने में असफल रहता है।,

8. भारत की संचित निधि में उपकर के आगमों का जमा करना और उसका उपयोजन


धारा 3 के अधीन उद्गृहीत उपकर के आगम प्रथमतः भारत की संचित निधि में जमा किये जाएँगे और यदि संसद इस निमित्त विधि द्वारा किये गए विनियोग द्वारा ऐसा उपबन्ध करती है, तो केन्द्रीय सरकार संग्रहण व्यय काटने के पश्चात समय-समय पर ऐसे आगमों में से केन्द्रीय बोर्ड और प्रत्येक राज्य बोर्ड को ऐसी धनराशियाँ दे सकेगी जो वह जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) के अधीन उपयोग किये जाने के लिये ठीक समझती है :

परन्तु इस धारा के अधीन किसी राज्य बोर्ड को दी जाने वाली धनराशि अवधारित करते समय केन्द्रीय सरकार उपकर की उस रकम को ध्यान में रखेगी जो सम्बन्धित राज्य सरकार ने धारा 6 की उपधारा (4) के अधीन संग्रह की है।

स्पष्टीकरण


इस धारा के प्रयोजनों के लिये “राज्य बोर्ड’ के अन्तर्गत जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) की धारा 13 के अधीन गठित कोई संयुक्त बोर्ड, यदि कोई है, भी है।

9. प्रवेश करने की शक्ति


राज्य सरकार का कोई अधिकारी या प्राधिकारी, जो उस सरकार द्वारा इस निमित्त विशेष रूप से सशक्त किया गया है,-

(क) ऐसी सहायता के साथ, यदि कोई हो, जो वह ठीक समझे, किसी युक्तियुक्त समय पर किसी भी ऐसे स्थान में प्रवेश कर सकेगा जिसमें प्रवेश करना वह इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये, जिनके अन्तर्गत धारा 4 के अधीन लगाए गए मीटरों के ठीक होने की जाँच करना भी है, आवश्यक समझता है, और
(ख) ऐसे स्थान में अपने कर्तव्यों के उचित निर्वहन के लिये कोई भी आवश्यक बात कर सकेगा, और
(ग) ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा जो विहित की जाएँ।

10. उपकर के सन्दाय में विलम्ब के लिये सन्देय ब्याज


यदि किसी 3{उद्योग, को चलाने वाला कोई व्यक्ति या कोई स्थानीय प्राधिकरण धारा 3 के अधीन सन्देय उपकर की किसी रकम का राज्य सरकार को धारा 6 के अधीन किये गए निर्धारण आदेश में विनिर्दिष्ट तारीख के भीतर सन्दाय करने में असफल रहता है, तो, यथास्थिति, 4{ऐसा व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण सन्दाय की जाने वाली रकम पर उस तारीख से, जिसको ऐसा सन्दाय शोध्य है, उस तारीख तक की, जिसको ऐसी रकम का वास्तव में सन्दाय कर दिया जाता है, अवधि में समाविष्ट प्रत्येक मास या मास के भाग के लिये दो प्रतिशत की दर से ब्याज का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार होगा}।

11. विनिर्दिष्ट समय के भीतर उपकर का सन्दाय न करने के लिये शास्ति


यदि किसी 3{उद्योग, को चलाने वाले किसी व्यक्ति या किसी स्थानीय प्राधिकरण धारा 3 के अधीन सन्देय उपकर की कोई रकम धारा 6 के अधीन किये गए निर्धारण आदेश में, विनिर्दिष्ट तारीख के भीतर राज्य सरकार को सन्दत्त नहीं की जाती है, तो वह बकाया समझी जाएगी और इस निमित्त विहित प्राधिकारी, ऐसी जाँच के पश्चात जो वह ठीक समझे, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण पर ऐसी शास्ति अधिरोपित कर सकेगा, जो बकाया उपकर की रकम से अधिक नहीं होगी :

परन्तु ऐसी कोई शास्ति अधिरोपित करने के पूर्व यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिया जाएगा और यदि ऐसी सुनवाई के पश्चात उक्त प्राधिकारी का समाधान हो जाता है कि व्यतिक्रम किसी अच्छे और पर्याप्त कारण के लिये किया गया था तो इस धारा के अधीन कोई शास्ति अधिरोपित नहीं की जाएगी।

12. अधिनियम के अधीन शोध्य रकम की वसूली


किसी 1{उद्योग, को चलाने वाले किसी व्यक्ति या किसी स्थानीय प्राधिकरण से इस अधिनियम के अधीन शोध्य कोई रकम (जिसके अन्तर्गत, यथास्थिति, धारा 10 या धारा 11 के अधीन सन्देय कोई ब्याज या शास्ति भी है) केन्द्रीय सरकार द्वारा उसी रीति से वसूल की जा सकेगी जैसे भू-राजस्व की बकाया वसूल की जाती है।

13. अपीलें


(1) धारा 6 के अधीन किये गए किसी निर्धारण आदेश से या धारा के अधीन शास्ति अधिरोपित करने वाले किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण, ऐसे समय के भीतर, जो विहित किया जाये, ऐसे प्राधिकारी को ऐसे प्रारूप में और ऐसी रीति से, जो विहित की जाये, अपील कर सकेगा।

(2) उपधारा (1) के अधीन की गई प्रत्येक अपील के साथ ऐसी फीस दी जाएगी, जो विहित की जाये।

(3) उपधारा (1) के अधीन किसी अपील की प्राप्ति के पश्चात अपील प्राधिकारी अपीलार्थी को उस विषय में सुनवाई का अवसर देने के पश्चात अपील का यथासम्भव शीघ्रता के साथ निपटारा करेगा।

(4) इस धारा के अधीन अपील में पारित प्रत्येक आदेश 2{यदि धारा 13क के अधीन कोई अपील फाइल नहीं की गई है, अन्तिम होगा और किसी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।

3{13क. राष्ट्रीय हरित अधिकरण को अपील


कोई व्यक्ति, जो राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के प्रारम्भ होने पर या उसके पश्चात धारा 13 के अधीन अपील प्राधिकारी के किसी आदेश या विनिश्चय से व्यथित है, वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 3 के अधीन स्थापित राष्ट्रीय हरित अधिकरण को, उस अधिनियम के उपबन्धों के अनुसार अपील फाइल कर सकेगा।,

14. शास्ति


(1) कोई व्यक्ति, जो इस अधिनियम के अधीन विवरणी देने की किसी बाध्यता के अधीन है, ऐसी कोई विवरणी देगा जिसका मिथ्या होना वह जानता है या जिसके मिथ्या होने का विश्वास करने का कारण उसके पास है, तो वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा।

(2) कोई व्यक्ति, जो इस अधिनियम के अधीन उपकर देने के लिये जिम्मेदार है, ऐसे उपकर के सन्दाय से जानबूझकर या साशय बचेगा या बचने का प्रयत्न करेगा, तो वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा।

(3) कोई भी न्यायालय इस धारा के अधीन दण्डनीय किसी अपराध का संज्ञान, केन्द्रीय सरकार द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन किये गए परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं।

15. कम्पनियों द्वारा अपराध


(1) जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया जाता है, वहाँ प्रत्येक व्यक्ति, जो उस अपराध के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिये उस कम्पनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कम्पनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएँगे तथा तदनुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने के भागी होंगे :

परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को दण्ड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किये जाने को रोकने के लिये सब सम्यक तत्परता बरती थी।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध कम्पनी द्वारा किया गया है और यह साबित होता है कि वह अपराध कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सम्मति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है, वहाँ ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार, अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने का भागी होगा।

स्पष्टीकरण


इस धारा के प्रयोजनों के लिये,-

(क) “कम्पनी” से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और उसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम भी है; तथा
(ख) फर्म के सम्बन्ध में, ‘निदेशक” से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है।

4{16. जल उपकर के उद्धहण से छूट देने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति


(1) केन्द्रीय सरकार, धारा 3 में किसी बात के होते हुए भी, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट मात्रा से कम जल का उपभोग करने वाले किसी उद्योग को जल उपकर के उद्धहण से छूट दे सकेगी।

(2) केन्द्रीय सरकार, उपधारा (1) के अधीन किसी उद्योग को छूट देते समय, उक्त उद्योग में,-

(क) प्रयुक्त कच्चे माल की प्रकृति;
(ख) नियोजित विनिर्माण प्रक्रिया की प्रकृति;
(ग) उत्पादित बहिःस्त्राव की प्रकृति;
(घ) जल निस्सारण के स्रोत;
(ड़) बहिःस्राव प्राप्त करने वाले जलाशयों की प्रकृति; और
(च) उत्पादन आँकड़ों, जिनमें प्रति एकक उत्पादन में जल का उपभोग भी है और उक्त उद्योग की अवस्थिति को ध्यान में रखेगी।,

17. नियम बनाने की शक्ति


(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये नियम बना सकेगी।

(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियम निम्नलिखित सभी विषयों के लिये या उनमें से किसी के लिये उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात:-

(क) धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन लगाए जाने वाले मीटरों के मानक और वे स्थान जहाँ ऐसे मीटर लगाए जाने हैं;
(ख) धारा 5 के अधीन दी जाने वाली विवरणियाँ, वह प्रारूप, जिसमें और वे अन्तराल, जिन पर ऐसी विवरणियाँ दी जानी हैं और वे विशिष्टियाँ, जो ऐसी विवरणियों में होंगी और वह अधिकारी या प्राधिकारी जिसको ऐसी विवरणी दी जाएँगी;
(ग) वह रीति जिससे और वह समय जिसके भीतर संगृहीत उपकर का केन्द्रीय सरकार को धारा 6 की उपधारा (4) के अधीन सन्दाय किया जाएगा;
(घ) वह तारीख जिससे उपकर का सन्दाय करने के लिये जिम्मेदार कोई व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण धारा 7 के अधीन रिबेट का हकदार होगा 1{और जल का वह अधिकतम परिमाण जिससे अधिक का उपभोग करने पर कोई व्यक्ति या स्थानीय प्राधिकरण रिबेट का हकदार नहीं होगा;}
(ङ) वे शक्तियाँ, जिनका धारा 9 के अधीन उस अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा प्रयोग किया जा सकेगा;
(च) वह प्राधिकारी, जो धारा 11 के अधीन शास्ति अधिरोपित कर सकेगा;
(छ) वह प्राधिकारी जिसके समक्ष धारा 13 की उपधारा (1) के अधीन कोई अपील फाइल की जा सकती है और वह समय, जिसके भीतर तथा वह प्रारूप जिसमें और वह रीति जिससे ऐसी अपील फाइल की जा सकती है;
(ज) वह फीस, जो धारा 13 की उपधारा (2) के अधीन किसी अपील पर दी जाएगी और
(झ) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाना है या किया जाये।

(3) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिये रखा जाएगा। वह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिये सहमत हो जाएँ, तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएँ कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए, तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

1{अनुसूची 2


(धारा 3 देखिए)


 

 

वह प्रयोजन जिसके लिये जल का उपभोग किया जाता है

धारा 3 की उपधारा (2) के अधीन अधिकतम दर

धारा 3 की उपधारा (2क) के अधीन अधिकतम दर

 

(1)

(2)

(3)

1.

औद्योगिक शीतलन, खान के गड्ढों में छिड़काव या बायलर भरण

पाँच पैसे प्रति किलोलीटर

दस पैसे प्रति किलोलीटर

2.

घरेलू प्रयोजन

दो पैसे प्रति किलोलीटर

तीन पैसे प्रति किलोलीटर

3.

प्रसंस्करण जिसके द्वारा जल प्रदूषित हो जाता है और प्रदूषक -

(i) आसानी से जैव अवकषर्णीय हैं; या

(ii) विषैले हैं; या

(iii) विषैले और आसानी से जैव अवकर्षणीय दोनों ही हैं।

दस पैसे प्रति किलोलीटर

बीस पैसे प्रति किलोलीटर

4.

प्रसंस्करण जिसके द्वारा जल प्रदूषित हो जाता है और प्रदूषक-


(i) आसानी से जैव अवकर्षणीय नहीं हैं; या

(ii) विषैले हैं; या

(iii) विषैले और आसानी से जैव अनअवकर्षणीय दोनों ही हैं।

पन्द्रह पैसे प्रति किलोलीटर

तीस पैसे प्रति किलोलीटर}

 

सन्दर्भ


1. 2003 के अधिनियम सं० 19 की धारा 2 द्वारा प्रतिस्थापित।
2. 2003 के अधिनियम सं० 19 की धारा 3 द्वारा प्रतिस्थापित।
3. 1991 के अधिनियम सं० 53 की धारा 2 द्वारा अन्तःस्थापित।4. 2003 के अधिनियम सं० 19 की धारा 3 द्वारा प्रति स्थापित।
5. 1991 के अधिनियम सं० 53 की धारा 2 द्वारा प्रति स्थापित।
6. 1991 के अधिनियम सं० 53 की धारा 3 द्वारा पुनःसंख्यांकित तथा तत्पश्चात उपधारा (2) अन्तःस्थापित।
7. 1991 के अधिनियम सं० 53 की धारा 4 द्वारा अन्तःस्थापित।
8. 1991 के अधिनियम सं० 53 की धारा 5 द्वारा प्रति स्थापित।
9. 1991 के अधिनियम सं० 53 की धारा 5 द्वारा अन्तःस्थापित।
10. 2003 के अधिनियम सं० 19 की धारा 3 द्वारा प्रति स्थापित।
11. 1991 के अधिनियम सं० 53 की धारा 6 द्वारा प्रति स्थापित।
12. 2003 के अधिनियम सं० 19 की धारा 3 द्वारा प्रतिस्थापित।
13. 2010 के अधिनियम सं० 19 की धारा 36 और अनुसूची 3 द्वारा प्रतिस्थापित।
14. 2010 के अधिनियम सं० 19 की धारा 36 और अनुसूची 3 द्वारा अन्तःस्थापित।
15. 2003 के अधिनियम सं० 19 की धारा 4 द्वारा प्रतिस्थापित।
16. 1991 के अधिनियम सं० 53 की धारा 7 द्वारा अन्तःस्थापित।
17. 2003 के अधिनियम सं० 19 की धारा 5 द्वारा लोप किया गया।
18. 2003 के अधिनियम सं० 19 की धारा 6 द्वारा प्रतिस्थापित।

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