प्लास्टिक कचरे के बढ़ते बोझ को कम करने के लिये पुनर्चक्रण करके उसका दोबारा उपयोग करना ही सबसे बेहतर तरीका माना जाता है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने पानी को शुद्ध करने के लिये प्लास्टिक कचरे के उपयोग का एक नया तरीका खोज निकाला है।
![प्लास्टिक कचरा](https://farm5.staticflickr.com/4565/39031904762_5d67442016.jpg)
वैज्ञानिकों ने पॉलियेथलीन टेरेफ्थैलेट (पीईटी) के कचरे को ऐसी उपयोगी सामग्री में बदलने की प्रभावी रणनीति तैयार की है, जो पानी में जैव-प्रतिरोधक तत्वों के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकती है। इस तकनीक से प्लास्टिक अपशिष्ट का निपटारा होने के साथ-साथ जल प्रदूषण को भी दूर किया जा सकेगा।
अध्ययनकर्ताओं में शामिल डॉ. प्रेमांजलि राय ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “आस-पास के क्षेत्रों से पीईटी रिफ्यूज एकत्रित कर नियंत्रित परिस्थितियों में उन्हें कार्बनीकरण एवं चुंबकीय रुपांतरण के जरिये चुंबकीय रूप से संवेदनशील कार्बन नैनो-मेटेरियल में परिवर्तित किया गया है।”
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इस नए विकसित अवशोषक में प्रदूषकों को सोखने की काफी क्षमता है और इसका पुन: उपयोग किया जा सकता है। यही कारण है कि इसे सूक्ष्म प्रदूषकों की समस्या से निपटने के लिये कारगर माना जा रहा है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इस खोज से अपशिष्ट प्रबंधन की गैर-अपघटन आधारित नवोन्मेषी रणनीतियाँ विकसित करने में मदद मिल सकती है।
यह अध्ययन जर्नल ऑफ एन्वायरनमेंटल मैनेजमेंट में प्रकाशित किया गया है। अध्ययनकर्ताओं की टीम में डॉ. प्रेमांजलि राय के अलावा डॉ. कुंवर पी. सिंह भी शामिल थे।
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अनुवाद : उमाशंकर मिश्र
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