देश के अन्तर्देशीय जल संसाधन निम्न रूप में वर्गीकृत हैं नदियां और नहरें, जलाशय, कुंड तथा तालाब; बीलें, आक्सबो झीलें, परित्यक्त जल; तथा खारा पानी। नदियों और नहरों से इतर सभीजल निकायों ने लगभग 7 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्र घेर रखा है। जहां तक नदियों और नहरों का सवाल है, उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है क्योंकि उसकी नदियों और नहरों की कुल लम्बाई 31.2 हजार किलोमीटर है जो कि देश के भीतर नदियों और नहरों की कुल लम्बाई का लगभग 17 प्रतिशत बैठती है। इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश के बाद जम्मू तथा काश्मीर और मध्य प्रदेश का स्थान आता है। अन्तर्देशीय जल संसाधनों के शेष रूपों में कुण्डों और तालाबों ने सर्वाधिक क्षेत्र (2.9 मिलियन हैक्टेयर) घेर रखा है जिनके बाद जलाशयों (2.1 मिलियन हैक्टेयर) का स्थान आता है।
कुण्डों और तालाबों के अधीन अधिकांश क्षेत्र आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में स्थित है। पश्चिम बंगाल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित इन राज्यों में स्थित कुण्डों और तालाबों ने देश के भीतर कुण्डों और तालाबों के अधीन आने वाले क्षेत्र का लगभग 62 प्रतिशत हिस्सा घेर रखा है। जहां तक जलाशयों का सम्बन्ध है आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में जलाशयों के अधीन अधिक बड़ा क्षेत्र आता है। बीलों, आक्सबों झीलों और परित्यक्त जल के अधीन क्षेत्र में से 77 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और असम राज्यों में है। जहां तक खारे पानी का सम्बन्ध है, उड़ीसा का पहला स्थान है जिसके बाद गुजरात, केरल और पश्चिम बंगाल का स्थान आता है। इस प्रकार से अन्तर्देशीय जल संसाधनों के अधीन कुल क्षेत्र देश के भीतर विषमतापूर्ण ढंग से बंटा हुआ है तथा देश के कुल अन्तर्देशीय जल निकायों में आधे से अधिक निकाय उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल--इन पांच राज्यों में स्थित हैं।
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