जल क्रान्ति अभियान

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जल क्रान्ति अभियान के अन्तर्गत किसी भी राज्य में करीब 1000 हेक्टेयर क्षेत्र की पहचान एक मॉडल कमान एरिया के रूप में की जाएगी। मॉडल कमान एरिया अपनाने वाले राज्य देश के अलग-अलग भागों से होने चाहिए।

जल क्रान्ति अभियान वर्ष 2015-16 से मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य देश में जल संरक्षण और प्रबन्धन को ठोस रूप देना है। इसमें सभी हितभागियों को शामिल करते हुए एक समग्र और समेकित दृष्टिकोण अपनाया जाता है ताकि इसे एक जन-आन्दोलन का रूप दिया जा सके। इसका शुभारम्भ देशभर में 5 जून, 2015 को किया गया।

जल क्रान्ति अभियान के लक्ष्य


1. जल सुरक्षा और विकास कार्यक्रमों में पंचायती राज संस्थानों और स्थानीय निकायों सहित निचले-स्तर पर सभी हितभागियों की भागीदारी सुदृढ़ करना (अर्थात भागीदारीपूर्ण सिंचाई प्रबन्धन);
2. जल-संसाधन संरक्षण और उनके प्रबन्धन में परम्परागत ज्ञान अपनाने/उपयोग करने को बढ़ावा देना;
3. सरकार, स्वयंसेवी संगठनों, नागरिकों आदि में विभिन्न स्तरों से सेक्टर-स्तरीय विशेषज्ञता का इस्तेमाल करना;
4. ग्रामीण क्षेत्रों में जल सुरक्षा के जरिए आजीविका सुरक्षा में वृद्धि करना।

जल क्रान्ति अभियान के अन्तर्गत वित्तपोषण व्यवस्थाएँ


यह एक समाभिरूपण (कन्वर्जेंस) कार्यक्रम है और इस अभियान के लिये अलग से धन आवंटन नहीं किया गया है। प्रत्येक जल ग्राम में विभिन्न कार्यों पर व्यय केन्द्र/राज्य सरकार के मौजूदा कार्यक्रमों जैसे पीएमकेएसवाई, मनरेगा, जल निकायों का आरआरआर यानी मरम्मत, जीर्णोद्धार और पुनर्जीवन, एआईबीपी आदि के लिये निर्धारित धनराशि में से किया जा रहा है।

कार्यक्रम का कार्यान्वयन


इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। मंत्रालय ने दो दिशा-निर्देश जारी किए हैं- प्रथम, सामान्य दिशा-निर्देश और दूसरे कदम-दर-कदम कार्यान्वयन दिशा-निर्देश जिनमें कार्यक्रम को लागू करने के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया है। दिशा-निर्देशों के अनुसार राष्ट्रीय-स्तर से ग्राम-स्तर तक 4 स्तरीय कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है। इसके अतिरिक्त सीडब्ल्यूसी/सीजीडब्ल्यूबी के नोडल अधिकारियों की नियुक्ति सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में की गई है, जो आवंटित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिये जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही संयुक्त सचिवस्तर के 10 अधिकारियों का एक समूह मनोनीत किया गया है, जो उन्हें निर्दिष्ट किए गए अपने-अपने क्षेत्रों में कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन पर व्यक्तिगत रूप से निगरानी रखते हैं।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय समय-समय पर राज्य सरकार के अधिकारियों और नोडल अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग भी संचालित करता है और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर नियमित रूप से निगरानी रखता है।

निगरानी व्यवस्था


राष्ट्रीय-स्तर पर विशेष सचिव (डब्ल्यूआर, आरडी और जीआर) के अन्तर्गत एक राष्ट्रीय-स्तर की समिति है, जो राष्ट्रीय-स्तर पर जल क्रान्ति अभियान के समग्र कार्यान्वयन की देखरेख करती है। इसी प्रकार राज्यों में सम्बद्ध राज्य सरकार के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में राज्य-स्तरीय निगरानी समिति है, जो राज्य-स्तर पर अभियान के कार्यान्वयन के लिये जिम्मेदार है।

जल क्रान्ति अभियान के अन्तर्गत संचालित गतिविधियाँ


1. जल ग्राम योजना : इस अभियान के अन्तर्गत जल ग्राम योजना सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण गतिविधियों में से एक है, जिसके तहत प्रत्येक जिले में दो गाँवों (जिनमें ऐसे गाँवों को वरीयता दी जाती है, जो डार्क ब्लॉक के अन्तर्गत आते हो या जिनमें पानी का भीषण संकट हो) का चयन जल ग्रामों के रूप में किया जाता है। जल संरक्षण, जल प्रबन्धन और अनुषंगी गतिविधियों के लिये एक समेकित जल सुरक्षा योजना बनाई जा रही है, ताकि पानी का अनुकूलतम और स्थायी इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके। जल ग्राम योजना के अन्तर्गत कार्यों पर अमल करने और निगरानी रखने के लिये प्रत्येक जल ग्राम के लिये गाँव/ब्लॉक-स्तर पर एक समिति गठित की जा रही है, ग्राम-स्तरीय समिति के निम्नांकित कार्य होंगे :

(i) जल सुरक्षा योजना तैयार करने के लिये जानकारी प्रदान करना;
(ii) कार्यों पर अमल करना;
(iii) कार्यों पर निगरानी रखना;
(iv) गाँव में जल संरक्षण का समर्थन करना;
(v) प्रत्येक पखवाड़े में एक बार अवश्य बैठक करना।

2. मॉडल कमान एरिया विकास : जल क्रान्ति अभियान के अन्तर्गत किसी भी राज्य में करीब 1000 हेक्टेयर क्षेत्र की पहचान एक मॉडल कमान एरिया के रूप में की जाएगी। मॉडल कमान एरिया अपनाने वाले राज्य देश के अलग-अलग भागों से होने चाहिए। उदाहरण के लिये उत्तर प्रदेश, हरियाणा (उत्तर), कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु (दक्षिण), राजस्थान, गुजरात (पश्चिम), ओडिसा (पूर्व), मेघालय (पूर्वोत्तर) आदि। मॉडल कमान एरिया का चयन राज्य में पहले से जारी/मौजूदा सिंचाई परियोजना से किया जाएगा, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों से विकास के लिये धन उपलब्ध हो। मॉडल कमान एरिया का चयन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों की सलाह से किया जाएगा।

3. जन-जागरुकता कार्यक्रम : ‘सूचना, शिक्षा और संचार’ के नाम से पहले से जारी कार्यक्रम के अन्तर्गत समाज के प्रत्येक वर्ग की जरूरतें पूरी करने के लिये जन-जागरुकता अभियानों की परिकल्पना की गई है, ताकि लोगों की समस्याओं को सुना जा सके और उनका समाधान किया जा सके। इन अभियानों में निम्नांकित बातों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा :

(i) फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया का इस्तेमाल, ताकि नागरिकों को शामिल किया जा सके;
(ii) रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से आम लोगों के लिये जागरुकता कार्यक्रमों का प्रसारण;
(iii) जल क्रान्ति अभियान के बारे में जागरुकता का प्रसार करने के लिये प्रिंट मीडिया (जैसे पुस्तिकाएँ, पोस्टर्स और पर्चे) का इस्तेमाल;
(iv) निबन्ध, चित्रकारी और अन्य प्रतिस्पर्धाओं के जरिए बच्चों और वयस्कों में जागरुकता पैदा करने के लिये कार्यक्रम;
(v) अन्तरराष्ट्रीय जल उपभोक्ता आदान-प्रदान कार्यक्रम;
(vi) नीति योजनाकारों और जनमत संग्रहकर्ताओं को ध्यान में रखकर विशिष्ट गतिविधियाँ;
(vii) जल विकास और प्रबंधन संबंधी महत्त्वपूर्ण मुद्दों के बारे में सम्मेलनों, कार्यशालाओं का आयोजन और
(viii) प्रदूषण उपशमन।

व्यापक जन-जागरुकता कार्यक्रम के अन्तर्गत देशभर में जागरुकता कार्यक्रम, प्रशिक्षण/कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं, ताकि जल संरक्षण और जल प्रबन्धन के बारे में ज्ञान का प्रसार किया जा सके। इसके अलावा निबन्ध प्रतियोगिता और राष्ट्रीय-स्तर के अन्य सम्मेलन भी आयोजित किए जा रहे हैं। रेडियो जिंगल प्रोग्राम भी प्रसारित किए जाते हैं।

4. अन्य गतिविधियाँ


इस घटक के अन्तर्गत राष्ट्रीय जलनीति, 2012 के अनुरूप राज्यों को राज्य जलनीति तैयार करने के लिये प्रेरित किया जाता है। राज्यों को स्वयं की राज्य जल संसाधन परिषद और राज्य जल नियामक प्राधिकरण स्थापित करने/सुदृढ़ बनाने के लिये भी प्रोत्साहित किया जाता है।

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