नदी पुनर्जीवन हेतु जल-जन जोड़ो अभियान के तत्त्वावधान में शुक्रवार को कमला बलान एवं सोनी नदी के त्रिवेणी संगम तट पिपराघाट में नदी संसद का आयोजन जीपीएसभीएस के सौजन्य से किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन जलपुरूष राजेन्द्र सिंह ने किया। अपने सम्बोधन में श्री सिंह ने लोगों से हर नदीवार संसद बनाकर नदियों के संरक्षण करने की बात कही।
उन्होंने कहा कि विकास के आधुनिक मॉडल के कारण प्रकृति के विरुद्ध चलना हम मानव के लिये घातक बनता जा रहा है। जल की धाराओं से खिलवाड़ कर इन्हें बाँधना प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता दे रहा है। यही कारण है कि आए दिन ऐसे आपदाओं से कहीं-न-कहीं मानव जाति को जूझना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि नदी मुद्दों ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। उन्होंने स्थानीय लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों में नदी के कायाकल्प के एजेंडे के क्रियान्वयन के लिये आगे आने का आह्वान किया। नदियों की अविरलता बाधित होने से पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ा है। नदी की प्रवाह बाधित हुई है।
नदी के किनारे चारों ओर समृद्धि लाने के लिये, एक जल निकायों के रूप में अच्छी तरह कायाकल्प और संरक्षण के लिये काम करना चाहिए। मिथिलांचल में नदियाँ लोगों को खुशी नहीं दे रही हैं लेकिन यह लोगों के जीवन में समस्या दे रहा है। स्थानीय लोग विकेन्द्रीकृत समुदाय आधारित जल प्रबन्धन की जरूरत को समझते हैं और वे राज्य के सामने एजेंडा लेकर नदी संसद में भाग लेने आए हैं। स्थानीय स्तर समुदाय आधारित योजना बना समस्याओं के निवारण में मदद मिलेगी।
विषय प्रवेश कराते हुए जल जन जोड़ो अभियान के राज्य संयोजक रमेश कुमार ने कहा कि विज्ञान की प्रगति के साथ आज अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। किन्तु प्रकृति की शक्तियों को हाथ लेने के कारण यह दुधारी तलवार साबित हो रहा है।
वर्तमान में सदानीरा नदियों का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है। घरों का कचरा, पूजा पाठों का कचरा, हम नदियों में फेंक रहे हैं। एक तरफ आस्था के संग हम छठ व अन्य पर्वों पर नदी की पूजा करते हैं। दूसरी ओर दूसरे दिन ही हम नदी में विभिन्न अपशिष्ट को डालने में तनिक भी संकोच नहीं करते। नदी का संरक्षण अविरलता एवं निर्मलता आज समय की माँग है। इस सन्दर्भ में नदियों के किनारे बसे लोग ज्यादा जानकारी रखते हैं। वे अपनी सहभागिता को बाँटते नदी को बचाने हेतु साझा प्रयास करें।
मुखिया नारायण मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने कहा कि मानव निर्मित प्रदूषण विभीषिका का रूप धारण कर लिया है। इसी कारण धीरे-धीरे भूगर्भ जल का लेबल नीचे भाग रहा है। नदियाँ सूख रही हैं। जलीय जीव, नदियों का सांस्कृतिक लगाव, जल धारित आजीविका के साधन स्रोत में ह्रास हो रहा है। शैक्षणिक संस्थानों में नदी एवं जल जागरुकता सम्बन्धी कार्यक्रम आयोजित करने सहित संरक्षण को साझा प्रयास करने की जरूरत है।
कार्यक्रम में मुखिया नारायण मिश्र, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी मुर्शीद अंसारी, प्रमुख शोभाकान्त राय, मुखिया राधेश्याम राय, तपेश्वर सिंह, रामपुकार महतो, पूनम भारती, जीतेन्द्र सिंह, रतन कुमार रवि, मोद नारायण झा, रमेश सिंह आदि ने अपने विचार रखें । श्री सिंह के पहुँचते ही ट्रस्ट के संरक्षक मो. सादुल्लाह ने उन्हें पाग व अंगवस्त्र से स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि विकास के आधुनिक मॉडल के कारण प्रकृति के विरुद्ध चलना हम मानव के लिये घातक बनता जा रहा है। जल की धाराओं से खिलवाड़ कर इन्हें बाँधना प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता दे रहा है। यही कारण है कि आए दिन ऐसे आपदाओं से कहीं-न-कहीं मानव जाति को जूझना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि नदी मुद्दों ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। उन्होंने स्थानीय लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों में नदी के कायाकल्प के एजेंडे के क्रियान्वयन के लिये आगे आने का आह्वान किया। नदियों की अविरलता बाधित होने से पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ा है। नदी की प्रवाह बाधित हुई है।
नदी के किनारे चारों ओर समृद्धि लाने के लिये, एक जल निकायों के रूप में अच्छी तरह कायाकल्प और संरक्षण के लिये काम करना चाहिए। मिथिलांचल में नदियाँ लोगों को खुशी नहीं दे रही हैं लेकिन यह लोगों के जीवन में समस्या दे रहा है। स्थानीय लोग विकेन्द्रीकृत समुदाय आधारित जल प्रबन्धन की जरूरत को समझते हैं और वे राज्य के सामने एजेंडा लेकर नदी संसद में भाग लेने आए हैं। स्थानीय स्तर समुदाय आधारित योजना बना समस्याओं के निवारण में मदद मिलेगी।
विषय प्रवेश कराते हुए जल जन जोड़ो अभियान के राज्य संयोजक रमेश कुमार ने कहा कि विज्ञान की प्रगति के साथ आज अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। किन्तु प्रकृति की शक्तियों को हाथ लेने के कारण यह दुधारी तलवार साबित हो रहा है।
वर्तमान में सदानीरा नदियों का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है। घरों का कचरा, पूजा पाठों का कचरा, हम नदियों में फेंक रहे हैं। एक तरफ आस्था के संग हम छठ व अन्य पर्वों पर नदी की पूजा करते हैं। दूसरी ओर दूसरे दिन ही हम नदी में विभिन्न अपशिष्ट को डालने में तनिक भी संकोच नहीं करते। नदी का संरक्षण अविरलता एवं निर्मलता आज समय की माँग है। इस सन्दर्भ में नदियों के किनारे बसे लोग ज्यादा जानकारी रखते हैं। वे अपनी सहभागिता को बाँटते नदी को बचाने हेतु साझा प्रयास करें।
मुखिया नारायण मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने कहा कि मानव निर्मित प्रदूषण विभीषिका का रूप धारण कर लिया है। इसी कारण धीरे-धीरे भूगर्भ जल का लेबल नीचे भाग रहा है। नदियाँ सूख रही हैं। जलीय जीव, नदियों का सांस्कृतिक लगाव, जल धारित आजीविका के साधन स्रोत में ह्रास हो रहा है। शैक्षणिक संस्थानों में नदी एवं जल जागरुकता सम्बन्धी कार्यक्रम आयोजित करने सहित संरक्षण को साझा प्रयास करने की जरूरत है।
कार्यक्रम में मुखिया नारायण मिश्र, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी मुर्शीद अंसारी, प्रमुख शोभाकान्त राय, मुखिया राधेश्याम राय, तपेश्वर सिंह, रामपुकार महतो, पूनम भारती, जीतेन्द्र सिंह, रतन कुमार रवि, मोद नारायण झा, रमेश सिंह आदि ने अपने विचार रखें । श्री सिंह के पहुँचते ही ट्रस्ट के संरक्षक मो. सादुल्लाह ने उन्हें पाग व अंगवस्त्र से स्वागत किया।
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Post By: RuralWater