मोदी सरकार के सबसे अहम मिशन में शामिल ‘जल जीवन मिशन’ के लिए केन्द्रीय बजट में 11,500 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की गई है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मिशन का उल्लेख करते हुए कहा है कि योजना में स्थानीय जल स्रोतों के परिवर्धन, मौजूदा स्रोतों के पुनर्भरण और जल संरक्षण एवं विलणीकरण पर जोर दिया जाएगा। सीतारमण ने कहा कि दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को इसी वित्तवर्ष में लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
सीतारमण ने कहा कि सरकार का लक्ष्य सभी घरों तक पाइप से पानी पहुँचाने का है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से घोषण की थी। सरकार ने इस मिशन के लिए 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। वित्तवर्ष 2020-21 में योजना के लिए 11,500 करोड़ रुपए की बजटीय सहायता दी जाएगी। जलशक्ति मंत्रालय के पेयजल व स्वच्छ विभाग के कुल बजट 21,518 करोड़ के लगभग आधा इसी योजना का है। विभाग के कुल बजट में 1500 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है।
जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण विभाग का बजट आवंटन भी 700 करोड़ रुपए बढ़ा है। विभाग को इस बार 8960 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जबकि बीते साल का बजट आवंटन 8245 करोड़ रुपए था। इसमें ‘नमामि गंगे’ योजना के तहत 800 करोड़ रुपए का आवंटन है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के बजट में एक हजार करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है।
घोषणा
- 800 करोड़ रुपए का प्रावधान नमामि गंगे योजना के लिए
- 1000 करोड़ ज्यादा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में भी
- 3.6 लाख करोड़ हर घर पाइप से पानी पहुँचाने के लिए मंजूर
- 11,500 करोड़ हर घर जल योजना के लिए दिए जाएंगे 2020-21 में
- 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में यह स्कीम इसी साल लागू करने का लक्ष्य है
- स्थानीय जल स्रोतों की संख्या बढ़ाई जाएगी, मौजूदा जल स्रोतों का पुरर्भरण और जल संचयन किया जाएगा।
- पानी की समस्या वाले 100 जिलों के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे।
- हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन पर काम चल रहा है। इसके लिए 3.6 लाख करोड़ दिए जाएंगे।
नदियों के किनारे बहेगी अर्थगंगा
दैनिक जागरण, 2 फरवरी, 2020
नदियों के किनारे व्यापारिक गतिविधियों का व्यापक ढांचा विकसित करने की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 'अर्थगंगा' संबंधी संकल्पना अब साकार होगी। आम बजट में इसकी घोषणा हो गई है। गंगा-भागीरथी-हुगलीनदी पर विकसित हो रहे राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर तेजी से काम चल रहा है और इसे शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा 890 किलोमीटर लंबी धुबरी-सदिया जल संपर्क योजना को भी 2022 तक पूरा करने का प्रस्ताव है। गौरतलब है कि सरकार ने नदियों में जल परिवहन सुविधाओं के विकास के लिए जनवरी 2018 में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर 5370 करोड़ रुपये लागत वाली जलमार्ग विकास परियोजना को मंजूरी दी थी।
विश्व बैंक की मदद से कार्यान्वित होने वाली इस परियोजना का मकसद परिवहन का वैकल्पिक साधन विकसित करने के अलावा परिवहन लागत तथा पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाना है। इसके तहत गंगा नदी के साथ मल्टी मॉडल एवं इंटरमॉडल टर्मिनलों के विकास के साथ रोल-ऑन, रोल ऑफ फेरी सेवाएं प्रारंभ की जा रही हैं। परियोजना 2023 में पूरी होनी है। इसके पूरा होने पर 46 हजार लोगों को प्रत्यक्ष तथा 84 हजार लोगों को परोक्ष रोजगार मिलने की संभावना है।
इसका लाभ उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गंगा के तटवर्ती जिलों के लोगों को मिलेगा। प्रोजेक्ट के तहत वाराणसी, साहिबगंज, हल्दिया में मल्टीमोडल तथा कालूघाट, गाजीपुर में इंटरमोडल टर्मिनल का विकास किया जाएगा जबकि फरक्का में नया नेवीगेशन लॉक निर्मित किया जा रहा है। इसके अलावा नदी के दोनो ओर पांच स्थानों पर रोल-ऑन, रोल ऑफ टर्मिनल बनाए जा रहे हैं। इसमें कुछ जगहों पर एकीकृत शिप रिपेयर व मेंटीनेंस कांप्लेक्स के निर्माण का भी प्रस्ताव है।
इस समय देश में नदी आधारित कुल 111 राष्ट्रीय नदी जलमार्ग हैं। इनमें 106 नए जलमार्गो की घोषणा मोदी सरकार ने 2016 में की थी। इनकी कुल लंबाई 20,275.5 किलोमीटर है। 2018-19 में इन जलमार्गो के जरिए 7.2 लाख टन माल की ढुलाई की गई। जबकि 2021-22 तक इसे बढ़ाकर 10 लाख टन करने का लक्ष्य है।
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