सतत विकास के लक्ष्य को पूरा करने की दौड़ में ललितपुर जिले की ग्राम पंचायत अनौरा सबसे आगे की पंक्ति में पहुँच गई है। जिला मुख्यालय से लगभग 15 से 16 किमी की दूरी पर अनौरा ग्राम पंचायत ने भूमि एवं जल संरक्षण के लिये उल्लेखनीय कार्य किया है। बरसात की एक एक बूँद को बचाने के लिये ग्राम प्रधान बड़ी संवेदनशीलता के साथ खेत का पानी खेत में, गाँव का पानी गाँव में, सहेजने के लिये अच्छा कार्य किया है। मिर्चवारा ग्राम पंचायत व तालगांव की सीमा से लगे खेतों की ढलान अनौरा गाँव की पूर्व दिशा की ओर हो जाती है बरसात का सारा पानी बहकर कचनौदा बांध में चला जाता है।
अनोरा गाँव का क्षेत्रफल 3060.82 एकड़ है बंजर जमीन 105.56 एकड़ और चारागाह 87.089 हेक्टयेर यानि 215 एकड़ है। अनौरा की सम्पूर्ण 3360 एकड़ अकृषक चारागाह बंजर जमीन है जिसके अन्दर मेडबन्दी, बड़ी धी, चेकडेम,तालाब, खेत तालाबों को बनाकर एक एक बूँद पानी बचाने के लिये कार्ययोजना बनाकर सफलतापूर्वक कार्य किया गया है। बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान ललितपुर के सहयोग से सहभागी अध्ययन, प्राकृतिक संसाधन, मौसमी चित्रण, रोजगार के अवसर गाँव में सरकारी सेवा प्रदाता स्कूल,स्वास्थ्य सेवायें, वाटरशेड की अवधारणा को लेकर भूमि एवं जल संरक्षण प्रबंधन का कार्य किया गया है।
अनौरा ग्राम पंचायत में विगत 50 वर्षो से विलुप्त बंडई नदी पुनर्जीवन का कार्य सफलतापूर्वक किया गया है। बंडई नदी अनौरा गाँव की जीवन रेखा ही नहीं बानई गंगा के रूप में प्रकट हुई है। भूमि दस्तावेजों में अंकित और मौके पर खेत खलिहानों में विलुप्त बंडई नदी को भागीरथ की तरह खोजने में जितना रचनात्मक संघर्ष बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के सचिव बासुदेव जी ने किया उससे ज्यादा मेहनत मनोहर सिंह प्रधान प्रतिनिधि अनौरा ने भी किया। वर्ष 202 में ग्राम सभा के दौरान जल संरक्षण पर हुई बातचीत से ज्ञात हुआ तो जिज्ञासा बढ़ गई बंडई नदी के खोज के लिये राजस्व दस्तावेजों में ली गई नक़ल खसरा खतोनी में बंडई नदी नाले के रूप में अंकित थी। बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान ने उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ संवेददशील अधिकारी श्री मनोज कुमार सिंह जी को प्रार्थना देकर बंडई नदी पुनर्जीवन के लिये अनुरोध किया गया।
संस्थान द्वारा जिला प्रशासन को भी प्रार्थना पत्र दिया गया। दिनांक 4 दिसंबर 2021 को जिलाधिकारी श्री आलोक कुमार सिंह जी को बंडई नदी पुनर्जीवन सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सम्पूर्ण ग्राम सभा के अन्दर हजारों लोगों द्वारा नदी को जिन्दा करने की मांग की गई। जिलाधिकारी ने मौके पर बंडई नदी का अवलोकन भी किया। सम्मेलन में जिलाधिकारी ने नदी जिन्दा करने के लिये सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा की विलुप्त बंडई नदी का पुनर्जीवन मनरेगा योजना से किया जायेगा आवश्यकतानुसार सड़क एवं पुल का भी निर्माण किया जायेगा प्राचीन परंपरागत प्राकृतिक जल श्रोतो को भी पुनर्जीवित किया जायेगा। गाँव वाले यह घोषणा सुनकर बहुत खुश हुए।
जिलाधिकारी के निर्देश से दिनांक 5 मार्च 2022 को खण्ड विकास अधिकारी बिरधा ने एक पत्र जारी कर सूचित किया कि मनरेगा योजनान्तर्गत बंडई नदी जोकि ग्राम पंचायत अनौरा, तालगांव, झरकोंन, कचनौदा कला से होते हुए कचनौदा बांध में समाप्त होती है बंडई नदी में गहरीकरण का कार्य प्रारंभ हो गया है पूरी नदी जिसकी लंबाई लगभग 5 किमी है का जीर्णोद्धार अनौरा तालगांव से प्रारंभ है नोडल एवं तकनीकि अधिकारी प्रत्येक दिवस बंडई नदी के कार्य का अनुश्रवन एवं पर्यवेक्षण करेगे। बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान की ओर से श्री बासुदेव सिंह जी निरंतर कार्य का अवलोकन करते रहे एवं सुझाव देते रहे।
ग्राम पंचायत अनौरा सतत विकास लक्ष्य के 9 बिंदु . गरीबी मुक्त, 2. स्वस्थ्य, 3. बालमैत्री, 4. पर्याप्त जलयुक्त गाँव, 5. स्वच्छ और हरित गाँव, 6. आत्मनिर्भरबुनियादी ढांचे वाला गाँव, 7.सामाजिक रूप से सुरक्षित गाँव, 8.सुशासन वाला गाँव, 9.महिला हितैषी गाँव, नौबिन्दुओ को पूर्ण करने के लिये निरंतर अग्रसर है। बंडई नदी के पानी से अनौरा, तालगांव, झरकोंन, आदि गाँव गरीबी से ऊपर उठकर कृषि उत्पादन, बागबानी, सब्जी उत्पादन से आत्मनिर्भर बन रहे है।
अनौरा गाँव की कुल आबादी 1765 है, कुल 408 परिवार है, अनौरा में छोटे-बड़े तालाब है, 4 चेकडेम है, कुल 60 बंधी निर्माण की गई है, बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान द्वारा निर्मित 3 खेत तालाब है। हर खेत में मेड, और मेड में पेड़ लगाने की परंपरा गाँव में जाग्रत हो रही है। नये पुराने 89 कूप है गाँव में 40 नलकूप खेतों में है जिनसे सिंचाई की जाती है पेयजल के लिये 75 सार्वजानिक हैंडपंप है, इस वर्ष बंडई नदी में पानी भर जाने से गाँव के जलस्तर में वृद्धि हुई है, सभी कुओं एवं नलकूपों हैंडपंपो में जलस्तर में वृद्धि हुई है। गाँव में 9 बड़े बगीचे है जिनमे अमरुद नीबू आम जामुन के पेड़ है जिनसे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।
बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान द्वारा वर्ष 2015 से अनौरा गाँव में जल संरक्षण,एवं, फलदार पौधे बांस के पौधे हजारों की संख्या में लगाये गए है। बरसात के पानी को बचाने का अभियान बानई के पुनर्जीवन से जल का कटोरा, तालगांव अनौरा, का नारा घर-घर में गूँज रहा है। गाँव में हरियाली एवं खुशहाली प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एवं वाटरशेड की अवधारणा का सफल आदर्श उदाहरण अनौरा गाँव में देखा जा सकता है। आस पास के पंचायत प्रतिनिधि, किसान और नदी बचाने के तरीके को समझने व मौके पर व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिये अन्य राज्यों एवं जिलों से लोग आने लगे है। ग्राम पंचायत अनौरा जल संरक्षण प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान किसानों एवं समुदाय को निरन्तर शिक्षित प्रशिक्षित करने का कार्य कर रहा है।
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