'जल जागरूकता सप्ताह' के तहत लूणकरणसर ब्लाॅक में कार्यशाला

पुराने जमाने में जल को एक बार से ज्यादा बार प्रयोग करके जल की बचत की जाती थी और प्रत्येक धर्म व जाति में जल से संबंधित सांस्कृतिक रीति रिवाज हैं जो बताते हैं कि जल के बारे में पुराने समाज में चेतना किस स्तर की थी और जल को देवता के रूप में पूजकर समाज में सर्वोच्च स्थान दिया था। वर्तमान समय में जल का अनादर हो रहा है इसलिए जल समाज का अनादर कर रहा है अतः जरूरत है कि हम जल के प्रति संवेदना व अपनत्व का भाव रखें और जल का सम्मान करें। बीकानेर, 23 फरवरी, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा मनाए जा रहे जल जागरूकता सप्ताह के तहत आज बीकानेर जिले के लूणकरणसर ब्लाॅक में पंचायत समिति सभागार में ब्लाॅक स्तरीय कार्यशाला का आायेजन किया गया। इस कार्यशाला में बोलते हुए लूणकरणसर के उपखण्ड अधिकारी श्री मुरारीलाल शर्मा ने कहा कि लूणकरणसर ब्लाॅक में पानी की समस्या है और इस क्षेत्र के लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिलता है। सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है लेकिन फिर भी विभाग के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।

श्री मुरारीलाल शर्मा ने कहा कि सरकारी प्रयासों के साथ-साथ आमजन की भागीदारी हो और आमजन की जहां-जहां समस्या है वहां के बारे में सीधे विभाग को या उपखण्ड कार्यालय को जानकारी दें ताकि उचित समय पर समस्या का समाधान हो सके। उपखण्ड अधिकारी ने कहा कि आज आमजन में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता की जरूरत है और आमजन के जागरूक हुए बिना सरकारी प्रयासों में सफलता नहीं आ सकती। कार्यशाला में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में लूणकरणसर पंचायत समिति के प्रधान श्री श्योदानाराम ने कहा कि एक समय था जब पानी की कमी थी तो पानी की कोई समस्या नहीं थी परन्तु आज जब गांव-गांव में पानी पहुॅंच चुका है तो पानी की समस्या हुई है।

प्रधान ने कहा कि इसका कारण यह है कि पानी के प्रति लोगों का नजरिया बदल गया है। प्रधान ने उपस्थित लोगों को बताया कि पुराने समय में पानी की एक-एक बूंद को सहेज कर रखा जाता था और गांव के तालाब व नाड़ियों की नियमित सफाई होती थी तथा गांव के लोग खुद पानी का प्रबंध करते थे अगर वर्तमान समय में भी यही व्यवस्था अपनाई जाए और पानी के प्रबंध में आमजन अपनी भागीदारी निभाए तो पानी से संबंधित समस्या को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोग पानी का दुरूपयोग करते हैं और सरकारी प्रयास भी उस स्तर पर नहीं हो पाते जिस स्तर पर होने चाहिए अतः जरूरत है कि सब मिल कर प्रयास करें व जल के संबंध में सभी समस्याओं का समाधान करें।

कार्यशाला में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए लूणकरणसर ग्राम पंचायत के सरपंच श्री पृथ्वी कुम्हार ने कहा कि वर्तमान में पानी के संबंध में जो प्रयास सरकारी स्तर पर हो रहे हैं वे काफी सराहनीय हैं परन्तु सरकारी स्तर पर इसकी मानिटरिंग नहीं हो पाती इसलिए समस्या आ रही है। सरपंच पृथ्वी कुम्हार ने कहा कि लोग भी पानी के प्रति जागरूक नहीं हैं और जमकर पानी का दुरूपयोग करते हैं ऐसी स्थिति में प्रत्येक सरपंच वार्ड पंच, प्रधान, पंचायत समिति सदस्य की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में लोगों को जागरूक करें और सरकारी मानिटरिंग में भी अपनी भूमिका निभाएं।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय प्रयोगशाला के वरिष्ठ रसायनज्ञ डाॅ. मनोज शर्मा ने कहा कि लूणकरणसर में ब्लाॅक स्तर की एक प्रयोगशाला स्थापित की गई है जिसने अपना काम करना चालू कर दिया है और प्रत्येक जन प्रतिनिधि व सरकारी अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वो प्रयोगशाला में पानी की जाॅंच करवाएं और पता करें कि पानी पीने योग्य है या नहीं साथ में उन्होंने यह जानकारी दी कि प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर एक फिल्ड ट्रेनिंग किट दी गई जिसके माध्यम से ग्राम स्तर पर ही स्थानीय स्रोत के पानी की जांच की जा सकती है और अगर सरपंच चाहे तो क्षेत्र की एएनएम के माध्यम से पानी क्षेत्रीय प्रयोगशाला में भेज सकता है ताकि पानी की पूर्ण जांच हो जाए। डाॅ. मनोज शर्मा ने लूणकरणसर क्षेत्र के पानी की क्वालिटी, व लवणीय क्षमता की जानकारी दी।

कार्यशाला में सभी उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सहायक अभियंता जयदेव सारण ने कहा कि विभाग अपने स्तर पर सदा ही प्रत्येक व्यक्ति को साफ व शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराता है और विभाग का यह सदैव प्रयास भविष्य में भी रहेगा। सारण ने कहा कि प्रत्येक नागरिक की भी जिम्मेदारी है कि वो अपने नागरिक दायित्व बोध को निभाते हुए विभाग के साथ समन्वय बिठाए और सहयोग करें ताकि विभाग अपने काम को सुचारू रूप से कर सके।

कार्यक्रम में जिला आईईसी सलाहकार ने एक फिल्म के माध्यम से आमजन में जागरूकता की जानकारी दी और साथ ही जल संरक्षण, जल बचत एवं परंपरागत जल स्रोतों के संरक्षण पर विस्तार से बताया। रंगा ने बताया कि पुराने जमाने में जल को एक बार से ज्यादा बार प्रयोग करके जल की बचत की जाती थी और प्रत्येक धर्म व जाति में जल से संबंधित सांस्कृतिक रीति रिवाज हैं जो बताते हैं कि जल के बारे में पुराने समाज में चेतना किस स्तर की थी और जल को देवता के रूप में पूजकर समाज में सर्वोच्च स्थान दिया था।

वर्तमान समय में जल का अनादर हो रहा है इसलिए जल समाज का अनादर कर रहा है अतः जरूरत है कि हम जल के प्रति संवेदना व अपनत्व का भाव रखें और जल का सम्मान करें। कार्यशाला में जिला एचआरडी सलाहकार श्री नवीन कुमार सारस्वत ने बताया कि जल संकट के दौर से वर्तमान में पूरा विश्व गुजर रहा है और इसका असर हम पर भी पड़ा है और समय रहते हमने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो भयंकर संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए पत्रकार रामप्रताप ने लूणकरणसर क्षेत्र की पानी की समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया और यह भी सुझाव दिया कि किस क्षेत्र की समस्या को कैसे समाप्त किया जा सकता है। कार्यशाला में सामाजिक कार्यकर्ता भानूप्रताप ने वर्षा जल संग्रहण को ज्यादा से ज्यादा अपनाने के बारे में कहा।

कार्यशाला में जिला एचआरडी सलाहकार नवीन सारस्वत, भूजल वैज्ञानिक डाॅ. मनोज पंवार, जिला एमएंडई सलाहकार श्री योगेश बिस्सा, कनिष्ठ अभियंता देवकुमार, सामाजिक कार्यकर्ता हंसराज थोरी, सामाजिक कार्यकर्ता अशोक आचार्य, वार्ड पंच दीनदयाल मुद्गल, पत्रकार आशुतोष गौड़, समाजसेवी प्रेम नायक, साहित्यकार राजूराम बिजारणियां सहित लूणकरणसर क्षेत्र के गणमान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि व ब्लाॅक अधिकारी उपस्थित थे। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सहायक अभियंता जयदेव सारण ने सभी आगुतंकों का स्वागत किया और आभार प्रकट किया। कार्यशाला का संचालन जिला आईईसी सलाहकार श्याम नारायण रंगा ने किया।

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