जल बंटवारे पर राज्यों का उबाल

हरियाणा ने द्वारका और ओखला को पानी देने से किया इनकार। दिल्ली-हरियाणा यमुना जल विवाद अब यमुना नदी बोर्ड के हवाले।

हरियाणा और दिल्ली के बीच यमुना नदी के जल बंटवारे पर बरसों से चल रही जंग अब और बढ़ गई है। मंगलवार को गृहमंत्री पी.चिदंबरम की अध्यक्षता में गठित चार केंद्रीय मंत्रियों के समूह की बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साफ कर दिया कि हरियाणा अपने हितों को ताक पर रखकर दूसरे राज्यों की प्यास नहीं बुझा सकता। सूत्रों के मुताबिक अब इस विवाद पर ऊपरी यमुना नदी बोर्ड ही कोई फैसला करेगा।

चिदंबरम के नार्थ ब्लॉक स्थित कार्यालय में करीब आधे घंटे तक चली बैठक में जीओएम में शामिल चारो मंत्रियों ने दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की बात को ध्यान से सुना। हालांकि बैठक के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन इसमें दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित का तर्क था कि पानी लाने के लिए पक्का कैरियर लाइन चैनल (सीएलसी) बन जाने के बाद हरियाणा को करीब 80 एमजीडीएल पानी की जो बचत होगी, वह अतिरिक्त पानी उसे मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजधानी को द्वारका व ओखला के लिए इस पानी की जरूरत है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मांग को पूरी तरह खारिज करते हुए साफ कहा कि यमुना के पानी में दिल्ली का 610 क्यूसेक हिस्सा है और हरियाणा यह पानी मूनक में देने को तैयार है। हैदरपुर व वजीराबाद जल संयंत्रों को भरा रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनुपालना का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा के पास खुद ही पानी की बेहद कमी है। ऐसे में वह द्वारका व ओखला के लिए दिल्ली को उसके आवंटित हिस्से का पानी देने की स्थिति में कतई नहीं है। हुड्डा ने कहा कि दिल्ली अपने हिस्से के पानी को कहीं भी ले जाए, हरियाणा को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। मसले पर दोनों मुख्यमंत्रियों की राय जानने के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अब इस विवाद पर ऊपरी यमुना नदी जल बोर्ड कोई फैसला लेगा। बैठक में गृह मंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, जल संसाधन मंत्री पवन बंसल और दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल भी मौजूद थे।

राजस्थान से तकरार, मावी से ले पानी


नई दिल्ली। हरियाणा ने ताजेवाला बांध से राजस्थान को पानी देने के मसले पर ऊपरी यमुना बोर्ड की अधिकार प्राप्त कमेटी की रपट पर आपत्ति जताई है। हुड्डा ने कहा है कि राजस्थान को पानीपत के समीप मावी से अपने हिस्से का पानी लेना चाहिए, जहां राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी पहले ही यमुना राजस्थान लिंक कैनाल के लिए बैराज का प्रस्ताव कर चुकी है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां आयोजित बैठक में हुड्डा ने कहा कि मावी से राजस्थान तक पानी ले जाना ज्यादा सुगम होगा, क्योंकि यहां से दूरी कम है। मावी में पानी के उठान की जरूरत भी कम होगी, जिससे काफी ऊर्जा की भी बचत होगी।

बांधों के निर्माण पर समर्थन


मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यमुना नदी पर रेणुका, किशाऊ व लखवर व्यासी बांधों के जल्द निर्माण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यमुना में चूंकि बरसात के मौसम में ही पानी आता है, इसलिए वे इसके एक बूंद पानी को भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते। बैठक में मौजूद दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित समेत सभी राज्यों के सदस्यों ने बांधों के निर्माण को जल्द मंजूरी देने की हुड्डा की मांग का समर्थन किया।

इधर पंजाब का सौतेला व्यवहार


पानीपत । पंजाब से अलग होकर जब हरियाणा एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया तब पंजाब को बड़ा भाई और हरियाणा को छोटा भाई कह कर बुलाया जाता था। इस भाईचारे में पानी की वजह से अब दरार पड़ चुकी है। पंजाब शुरू से ही हरियाणा को उसके हक का पानी देने से कतराता रहा है। जब हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में केस जीतकर एसवाईएल का पानी मांगा तब पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने विधानसभा में तमाम जल समझौते रद्द कर दिए। प्रदेश को एसवाईएल का पानी तो अब तक नहीं मिला, इस बीच पंजाब ने अब सतलुज-ब्यास नदियों के जल पर रायल्टी मांग ली है। पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल का तर्क है कि हरियाणा उनके पानी का प्रयोग करता है, इसलिए रायल्टी देनी चाहिए। इसके साथ ही अब हांसी-बुटाना नहर पर भी दोनों राज्यों के बीच तलवारें खींच गई हैं। हरियाणा बाढ़ से बचने के लिए कैथल के नजदीक इस नहर पर करीब साढ़े तीन किलोमीटर लंबी दीवार बना रहा है।

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