पानी की कमी पूरी दुनिया में एक प्रमुख चुनौती है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। आबादी बढ़ने के साथ- साथ उद्योगों का विस्तार होता है और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बढ़ता है। इससे पानी की माँग तेजी से बढ़ रही है। हालाँकि इस परिदृश्य के बीच भारत के युवा एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में उभरे हैं, जो एक स्टेनेबल भविष्य के लिए इस बहुमूल्य संसाधन को संरक्षित करने का नेतृत्व कर रहे हैं।
भारत के युवाओं ने जल संरक्षण में अपनी भूमिका को अटूट उत्साह और दृढ़ संकल्प के साथ अपनाया है। वे पानी की हर बूँद के महत्त्व को समझते हैं और सक्रिय रूप से अपने समुदायों में जागरूकता पैदा करते हैं। अपनी सक्रिय भागीदारी के माध्यम से, वे दूसरों को पानी बचाने के तौर-तरीकों को अपनाने के लिए शिक्षित और प्रेरित करते हैं और इस बहुमूल्य संसाधन को संरक्षित करने के महत्त्व के बारे में समझाते हैं
पानी को एक दुर्लभ और मूल्यवान संसाधन के रूप में पहचानते हुए, देश भर के समुदायों ने भी जल संरक्षण की पहल में हाथ मिलाया है। उन्होंने सामूहिक रूप से कार्य करने की आवश्यकता को महसूस किया है और स्थायी जल प्रबन्धन की दिशा में सक्रिय कदम उठाए है ।
पर्यावरणविद् अनिल प्रकाश जोशी का कहना है
"मेरा स्पष्ट मानना है कि सरल माध्यमों जैसे रेडियो से प्रधानमंत्री की 'मन की बात' काम की बात तो है ही. पर ये देश-दुनिया के जन-जन के 'मन की बात' भी है। प्रधानमंत्री की ये ही कार्य शैली उन्हें लोगों से जोड़ कर भी रखती है और प्रभावी लोक नेतृत्व का अधिकारी भी बनाती है।"
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ('मन की बात' के सम्बोधन में)
" बिन पानी सब सून । बिना जीवन पर संकट तो रहता ही है, व्यक्ति और देश का विकास भी ठप्प पड़ जाता है। भविष्य की इसी चुनौती को देखते हुए आज देश के कई युवा ऐसे भी हैं, जो समाज को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के मिशन में भी लगे हुए हैं।"
पिछले नौ वर्षों में सरकार ने विभिन्न जागरूकता अभियानों, सफाई अभियान, शैक्षिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं के आयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन पहलों का उद्देश्य पानी बचाने के तौर-तरीकों को बढ़ावा देना और समाज के हर वर्ग में जल संरक्षण के प्रति जिम्मेदारी की भावना पैदा करना है।इन प्रयासों का प्रभाव स्पष्ट है, क्योंकि नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं ने पूरे दिल से इसके प्रति अपनी रुचि दर्शाई है। वे जल प्रबन्धन और वर्षा जल संचयन पर केन्द्रित नवीन स्टार्ट-अप, संगठनों और सामुदायिक नेतृत्व वाली परियोजनाओं के साथ आगे आए हैं। ये सामूहिक प्रयास वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए जल संसाधनों की सुरक्षा में युवाओं और समुदायों के दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
भारत के नागरिकों की सामूहिक शक्ति का लाभ उठाने के लिए सरकार ने विभिन्न पहले शुरू की हैं। जल शक्ति अभियान (जेएसए) सक्रिय सामुदायिक भागीदारी के साथ जल संरक्षण और प्रबन्धन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। जेएसए के तहत 'कैच द रेन' अभियान के माध्यम से राज्यों में वर्षा जल संचयन को गति मिली है। 'मिशन अमृत सरोवर' के तहत 15 अगस्त, 2023 तक 50,000 जल निकायों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य पहले ही पार कर लिया गया है। नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं की सक्रिय भागीदारी के कारण यह सम्भव हो पाया है, जिन्होंने इस मील के पत्थर को निर्धारित समय से पहले हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, सरकार व्यवहार परिवर्तन और नागरिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से जमीनी स्तर पर बदलाव ला रही है। 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' जैसी पहल कृषि में जल दक्षता को बढ़ाती है, जबकि 'अटल भूजल योजना' जल संकट वाले क्षेत्रों में समुदाय- आधारित भूजल प्रबन्धन को बढ़ावा देती है। स्वच्छ भारत मिशन बेहतर स्वच्छता सुविधाओं और अपशिष्ट जल प्रबन्धन के साथ जल प्रदूषण से निपटता है। इन लक्षित पहलों में नागरिकों को सक्रिय रूप से शामिल किया गया है, जिसका लक्ष्य स्थायी जल प्रबन्धन है।
इसके अलावा, सरकार ने जल संसाधन प्रबन्धन में उल्लेखनीय योगदान की सराहना करने और प्रेरित करने के लिए 2018 में राष्ट्रीय जल पुरस्कार की शुरुआत की। ये प्रतिष्ठित पुरस्कार राज्यों, व्यक्तियों और संगठनों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित करते हैं और जल संरक्षण में सक्रिय रूप से संलग्न होने और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए स्टार्ट-अप और स्थापित संस्थाओं के लिए एक मंच के रूप में कार्य करते हैं। सरकार की पहल ने जल संरक्षण में युवाओं की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया है। युवाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट- अप, संगठन और गैर-सरकारी संगठन प्रौद्योगिकी, कार्यशालाओं, जागरूकता अभियानों और व्यावहारिक समाधानों के माध्यम से समुदायों को सशक्त बना रहे हैं। इनका प्रभाव शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों तक फैला हुआ है, जैसा कि उत्तर प्रदेश के पटवई गाँव में पहले अमृत सरोवर के निर्माण में देखा गया, जहाँ स्कूली बच्चों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत को आगे ले जाने के लिए नागरिकों, विशेषकर युवाओं द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की सराहना करने के लिए खुद प्रधानमंत्री ने हमेशा अपनी आवाज़ का इस्तेमाल किया है। हाल ही में अपने 'मन की बात' सम्बोधन के दौरान उन्होंने विभिन्न युवाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप्स द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्यों पर प्रकाश डाला। FluxGen, एक स्टार्ट अप है, जो लोगों को पानी के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए पानी के उपयोग के अपने पैटर्न की पहचान करने में मदद करने के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स के माध्यम से जल प्रबन्धन सम्बन्धी विकल्प प्रदान करता है; LivNsense, एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग आधारित प्लेटफॉर्म है, जो पानी के प्रभावी वितरण में मदद करता है और जलकुम्भी से कागज़ बनाने का काम कर रहा स्टार्ट-अप 'कुम्भी कागज़' है ऐसी ही कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री ने साझा किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य में युवाओं द्वारा जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने और सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले पानी को संरक्षित करने के लिए चेक डैम बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
आज जब भारत मिशन LIFE के माध्यम से पर्यावरण के लिए जीवन-शैली के बारे में पूरी दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है, अपना देश जलवायु के अनुकूल क्रियाकलाप के मामले में एक अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। सरकार और राष्ट्र के नागरिकों, विशेषकर युवाओं के सामूहिक प्रयासों के कारण भारत का वॉटर-सफ़ीशिएंट, या यहाँ तक कि 'वॉटर सरप्लस नेशन' बनना निश्चित है। हम मिलकर एक जल-सुरक्षित और समृद्ध भविष्य का भारत बना रहे हैं, जहाँ हर बूँद को महत्त्व दिया जाता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाता है।
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