जल जीवन मिशन का उद्देश्य देश भर के गांवों में जल गुणवत्ता निगरानी और पर्यवेक्षण (डब्ल्यू क्यूएमएस) गतिविधियों को मजबूत करना है। यह लेख दस अलग-अलग तरीकों पर प्रकाश डालता है जिसके माध्यम से 'सेवा सुपुर्दगी' पर ध्यान देने के साथ-साथ 'स्थानीय सार्वजनिक उपयोगिताओं के निर्माण के समग्र दृष्टिकोण के साथ पानी की गुणवत्ता पर जोर दिया जाता है।
1. कार्यशीलता की परिभाषा में 'पानी की गुणवत्ता' को महत्व देना -
जेजेएम हर ग्रामीण घर में नल के पानी के कनेक्शन का प्रावधान कर रहा है। यह केवल घरेलू नल से जल कनेक्शन प्रदान करने के बारे में नहीं है, बल्कि नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त मात्रा में, निर्धारित गुणवत्ता के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के बारे में है। नल कनेक्शनों की मात्र 'संख्या' को महत्व न देकर 'कार्यशीलता' के रूप में कार्यक्रम का परिणाम निर्धारित करके, इसका उद्देश्य क्रियान्वयन एजेंसियों के मानव संसाधन में व्यवहारवादी परिवर्तन लाना है। समुदाय को पानी की गुणवत्ता के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
2. 'न सिर्फ बुनियादी ढांचे का निर्माण पर ध्यान देना अपितु विकेन्द्रीकृत 'सेवा सुपुर्दगी' पर ध्यान केन्द्रीत करना -
स्थानीय समुदायों को आधार बनाकर मात्र जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के निर्माण से 'सेवा सुपुर्दगी' पर ध्यान केन्द्रित करना एक बहुत बड़ा नीतिगत बदलाव है। यह बदलाव महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह 'निर्माण के बाद की योजना बना रहा है और हर कदम पर एक दिशा प्रदान करता है।
जिससे स्थानीय समुदाय गांव में जल आपूर्ति प्रणालियों के प्रबंधन, संचालन और रखरखाव के लिए सशक्त बनता है। यह पानी की गुणवत्ता की निगरानी को सुदृढ़ बनाने और पानी की गुणवत्ता निगरानी गतिविधियों को शुरू करने के लिए स्थानीय क्षमताओं के निर्माण को भी प्राथमिकता देता है। सभी जल स्रोतों का वर्ष में दो बार बैक्टीरियोलॉजिकल संदूषण (मानसून पूर्व और बाद में) के लिए और वर्ष में एक बार रासायनिक संदूषण के लिए परीक्षण किया जाना है।
3. विस्तृत प्रबंधन -
हर साल जेजेएम के तहत कुल निधि आवंटन का 2% तक डब्ल्यूक्यूएम एंड एस गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाना है। विस्तृत योजना राज्यों को विभिन्न डब्ल्यूक्यूएमएस पर विचार- मंथन करने और वास्तविक तथा आर्थिक रूप से बेहतर योजना बनाने की सुविधा प्रदान करती है। अर्थात प्रस्तावित प्रशिक्षण की संख्या की तुलना में इसकी अपेक्षित लागत, विभिन्न प्रकार की आईईसी गतिविधियों की तुलना में इसकी अपेक्षित लागत खरीदी जाने वाली एफटीके की संख्या की तुलना में इसकी लागत, आदि। इस तरह की विस्तृत आयोजना संरचित नियमित समीक्षा और तिमाही - वार उपलब्धि के साथ परिणाम आधारित कार्यान्वयन को अनुमत करती है।
4. एनएबीएल प्रत्यायन / मान्यता के साथ प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण -
जेजेएम की शुरूआत के समय, 50 से भी कम पानी का परीक्षण प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त थी जबकि आज 210 से अधिक प्रयोगशालाओं को मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा, ब्लॉक / उप-मंडल स्तर और मोबाइल प्रयोगशालाओं के लिए प्रवीणता परीक्षण (पीटी) कार्यक्रम के तहत एनएबीएल मान्यता शुरू की गई है। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, विभिन्न राज्यों के लिए एनएबीएल प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं, कई परामर्श जारी किए गए हैं और यह भी सुझाव दिया गया है कि बड़े पैमाने पर सुधारात्मक कार्रवाई के लिए सभी प्रयोगशालाओं का भौतिक अवसंरचना, मानव संसाधन उपलब्धता आदि के लिए अंतराल मूल्यांकन किया जाए।
5. प्रयोगशालाओं को जनता के लिए खोलना -
सभी राज्यों में देश भर की सभी प्रयोगशालाओं को आम जनता के लिए उनके पानी के नमूनों का नाममात्र दर पर परीक्षण करने के लिए खोल दिया गया है। एनजेजेएम द्वारा गठित एक समिति ने पैकेज के रूप में 13 बुनियादी जल गुणवत्ता मानकों के परीक्षण के संदर्भ के रूप में मानकीकृत लागत के साथ प्रयोगशालाओं को खोलने की सुविधा के लिए एक परामर्श जारी किया है। कई राज्यों ने नागरिकों का अपने पानी के नमूने परीक्षण के लिए लाने के लिए स्वागत करते हुए प्रयोगशालाओं को खोलने की घोषणा करते हुए समाचार पत्र विज्ञापन जारी किए हैं। उदारणार्थ: त्रिपुरा ने एक ऐसी प्रणाली स्थापित की है जहां व्यक्ति की जानकारी को गोपनीय बनाए रखने के लिए पानी के नमूने को एक बार कोड दिया जाता है और रिपोर्ट सीधे एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से व्यक्ति को भेजी जाती है।
6. जल गुणवत्ता परीक्षण को बढ़ावा देने के लिए साझेदारी तलाशना
उच्च विद्यालयों/ महाविद्यालयों/ विश्वविद्यालयों आदि के साथ मौजूदा और कार्यात्मक रसायन विज्ञान प्रयोगशालाओं के साथ भी जल गुणवत्ता परीक्षण स्थापित करने के लिए साझेदारी तलाशी जा रही है। राज्यों को ऐसी प्रयोगशालाओं को जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं के दायरे में लाने की सलाह दी गई है। केरल जल प्राधिकरण ने उच्च माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के साथ साझेदारी में सभी उच्च माध्यमिक विद्यालयों में स्थानीय समुदायों के लिए पानी की गुणवत्ता परीक्षण को अधिक सुलभ बनाने के लिए लघु जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं खोली हैं।
7. घरेलू स्तर पर पानी की गुणवत्ता परीक्षण के लिए पोर्टेबल उपकरणों का विकास करना
एनजेजेएम ने घरेलू स्तर पर जल परीक्षण के लिए पोर्टेबल उपकरण विकसित करने के लिए उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ साझेदारी में एकनवाचार चुनौती शुरू की ताकि कोई ऐसा अभिनव, मॉड्यूलर और लागत प्रभावी समाधान लाया जा सके जिसका उपयोग गांव / घरेलू स्तर पर पीने के पानी की गुणवत्ता का तुरंत, आसानी से और सटीक परीक्षण करने के लिए किया जा सके। यह कदम, यदि सफल होता है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में जल गुणवत्ता परीक्षण में क्रांति आने की उम्मीद जगती है।
8. गुणवत्ता निगरानी का नेतृत्व करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना
जेजेएम के तहत, स्थानीय समुदाय के नेतृत्व में जल गुणवत्ता निगरानी में दो चीजें शामिल हैं ;
(i) फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता परीक्षण; और
(ii) नियमित स्वच्छता निरीक्षण करना।
इसके अलावा, प्रत्येक गांव की पांच महिलाओं (बसावट - वार प्रतिनिधित्व को कवर करते हुए) को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षित महिलाओं का विवरण जेजेएम- आईएमआईएस पर दर्ज करवाया जा रहा है।
स्थानीय जल उपयोगिताओं के विकास पर संवाद से पंचायत के साथ भुगतान के आधार पर नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता परीक्षण और स्वच्छता निरीक्षण करने वाली महिलाओं के नेतृत्व वाले एस.एच.जी का भी पता लगाया जा सकता है।
9. पानी की गुणवत्ता के लिए समर्पित डैशबोर्ड
जल जीवन मिशन जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (जेजेएम डब्ल्यूक्यूएमआईएस) जिसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की साझेदारी में विकसित किया गया है, को पानी की गुणवत्ता प्रबंधन के लिए मोबाइल एप्लिकेशन के साथ एक ऑनलाइन पोर्टल के रूप में लॉन्च किया गया है। सभी जल गुणवत्ता डेटा सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है अर्थात प्रयोगशालाओं की संख्या, निकटतम प्रयोगशाला, पानी के नमूने और परीक्षण के विवरण, आदि। इस एप्प के जरिए, जहां भी आवश्यक हो, उपचारात्मक कार्रवाई के लिए स्थानीय अधिकारियों को भी सचेत किया जाता है। आसानी से उपलब्ध डेटा पर पहुंच आश्वासित सेवा सुपुर्दगी के लिए आवश्यक नीति कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में एक लंबा मार्ग तय करेगी।
10. सेंसर आधारित आईओटी संवर्धन
एनजेजेएम ने राज्यों और क्षेत्र के भागीदारों के साथ साझेदारी में प्रायोगिक आधार पर सेंसर आधारित जल आपूर्ति प्रणाली की सुविधा शुरू कर दी है। जल आपूर्ति की मात्रा, गुणवत्ता और नियमितता के बारे में 11 लाइव स्थानों से डेटा जेजेएम डैश बोर्ड पर दिखाया गया है। बिहार, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य इसके कार्यान्वयन के लिए आगे आए हैं। सिक्किम, मणिपुर और गोवा ने बुनियादी सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया है। गुजरात ने कई गांवों में सेंसर आधारित ग्रामीण जलापूर्ति प्रणालियों को करना शुरू कर दिया है।
निष्कर्ष -
पानी की गुणवत्ता की निगरानी और पर्यवेक्षण गतिविधियों को सुदृढ़ बनाने के लिए कुछ पहल हैं और इस पहल में से प्रत्येक के दृष्टिकोण को साकार करना अपने आप में एक बड़ा काम है, जिसमें जमीनी स्तर पर निरंतर प्रशिक्षण, जीपी / वीडब्ल्यूएससी सदस्यों और 05 महिला सदस्य वाली टीम के साथ मिलकर कार्य करना, संसाधनों की खरीद को सुविधाजनक बनाना, व्यापक क्षमता निर्माण तथा प्रशिक्षण आदि की आवश्यकता होती है। इसके लिए डब्ल्यूक्यूएमएस गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में एसडब्ल्यूएसएम/ डीडब्ल्यूएसएम की निरंतर सहायता करने के लिए क्षेत्र के भागीदारों और आईएसए से समर्थन की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थानीय जल उपयोगिताओं का निर्माण करने का दृष्टिकोण है जो हर ग्रामीण घर और सार्वजनिक संस्थाओं को दीर्घकालिक आधार पर सेवा सुपुर्दगी पर आधारित हो। भावी मार्ग, एनजेजेएम का आदर्श वाक्य के अनुसार, 'एक साथ मिलकर करें काम और बनाएं जीवन आसान है।
स्रोत - जल जीवन संवाद
अंक XI, अगस्त 2021
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