‘जीवन रेखा’ की ऊंचाई बढ़ाने को मंजूरी

मत-अभिमत


नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) ने गुजरात को सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई वर्तमान के 121.92 मीटर से बढ़ाकर 138.68 मीटर करने की मंजूरी 12 जून को दे दी है। 17 मीटर से भी ज्यादा और बांध की ऊंचाई बढ़ने पर दर्जनों गांव और डूब क्षेत्र में आ जाएंगे। 2 लाख से ज्यादा लोग और विस्थापित होंगे। पहले के विस्थापितों का ही अभी ठीक से पुनर्वास नहीं हुआ है। ऐसे में और ऊंचाई बढ़ा देना लाखों लोगों को अंधेरे में धकेल देना जैसा है।

प्रस्तुत आलेख पत्रिका के नई दिल्ली संस्करण से लिया गया है। आलेख में बांध ऊंचाई बढ़ाने के निर्णय को काफी सकारात्मक रूप से लिया गया है। उनके मत को हम यहां जस-का-तस प्रस्तुत कर रहे हैं- हिंदी इडिया वाटर पोर्टल टीम।


सरदार सरोवर बांधराज्य के इतिहास में गुरूवार को एक बहुप्रतीक्षित सफलता तब मिली, जब जीवनदायिनी सरदार सरोवर नर्मदा बांध की अंतिम ऊंचाई बढ़ाने को मंजूरी मिली। नई दिल्ली में गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) की बैठक में गेट लगाकर केवडिया स्थित नर्मदा बांध की ऊंचाई 121.92 मीटर से 138.38 मीटर करने की मंजूरी दी गई। यह फैसला करीब आठ वर्ष से लम्बित था।

इस निर्णय से गुजरात के साथ-साथ म.प्र., महाराष्ट्र व राजस्थान को सिंचाई व पीने का पानी मिलेगा, वहीं मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात को 1450 मेगावाट बिजली मिलेगी। यह अहम फैसला नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के आसीन होने के करीब दो सप्ताह में किया गया। मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए लगातार तत्कालीन केन्द्र सरकार से बांध की ऊंचाई बढ़ाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2006 में 51 घंटों का उपवास भी किया था।

काम का एक भी दिन नहीं खोएंगे- सीएम


गुजरात मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने गुरुवार को जूनागढ़ में शाला प्रवेशोत्सव के दौरान बांध की ऊंचाई बढ़ाने के निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए एक दिन भी नहीं खोया जाएगा। मुख्यमंत्री ने भी गत दिनों की प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक में इस संबंध में गुहार लगाई थी। राज्य के प्रवक्ता मंत्री नितिन पटेल ने कहा कि बांध को 121.92 मीटर से 17 मीटर तक ऊंचाई बढ़ाने की मंजूरी मिली है। इस बांध की नींव भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 5 अप्रैल 1951 को रखी थी। हालांकि इतने वर्षों के दौरान प्रोजेक्ट प्रभावित लोगों के विस्थापन के मुद्दे को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन को लेकर यह प्रोजेक्ट विवादों में फंस गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट व एनसीए ने बांध की ऊंचाई बढ़ाने की मंजूरी दी।

2017 तक 30 गेट लगेंगे


नर्मदा बांध पर 30 रेडियल गेट लगाए जाएंगे। यह काम 2017 तक 270 करोड़ की लागत से पूरा हो जाने की उम्मीद है। वर्ष 1986 में इस प्रोजेक्ट का खर्च 6406.04 करोड़ था जो 2010 तक बढ़कर करीब 40 हजार करोड़ हो गया था। गेट लगाने से इससे बांध की क्षमता 9 मिलियन घन फीट पानी की संग्रहण क्षमता बढ़ेगी व बिजली का उत्पादन होगा. बैठक में उपस्थित सरदार सरोवर नर्मदा बांध निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जेएन सिंह ने कहा कि रेडियल गेट लगाने की मंजूरी मिलते ही मुख्यमंत्री ने पूजन कर बांध का कार्य को युद्धस्तर पर आरंभ कर दिया है। यह कार्य मानसून के बाद तेजी पकड़ेगा। पहले चरण के तहत गेट लगाने के अलावा पीयर्स व ओवरहेड ब्रिज का निर्माण किया जाएगा।

इसी मांग पर मोदी दे चुके हैं धरना


गुजरात की जीवनदायनी कही जाने वाली सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना के तहत नर्मदा बांध पर द्वार (गेट) लगाने और ऊंचाई को 121.92 मीटर से अधिक बढ़ाने की मांग को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी आठ वर्ष पहले 51 घंटे का उपवास व धरना दे चुके हैं। वो अप्रैल- 2006 में अहमदाबाद के गुजरात विश्वविद्यालय मैदान पर अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ धरने पर बैठे थे। उन्होंने तत्कालीन यूपीए सरकार की ओर से नर्मदा बांध की ऊंचाई को बढ़ाए जाने पर रोक लगाने व नर्मदा बांध पर गेट लगाने की मंजूरी नहीं देने के चलते विरोध दर्ज कराते हुए ये धरना दिया था। गुजरात में तीन बार सरकार बनाने के बाद कुछ ही दिनों पहले देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए नरेद्र मोदी ने गुजरात की इस आठ वर्ष पुरानी अपेक्षित मांग को पूरा किया है। मोदी अपने चुनावी रैली में कह चुके हैं ऊंचाई बढ़ाना तो अभी छोड़ो लेकिन नर्मदा बांध पर गेट नहीं लगने से उसका 60 प्रतिशत पानी का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसी के चलते उन्होंने (नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी) गेट लगाने को तो मंजूरी दी ही साथ ही बांध की ऊंचाई भी 121.92 मीटर से 17 मीटर बढ़ाकर 138 मीटर करने को हरी झंडी दे दी है।

जवाहरलाल नेहरू ने किया शुरू, नरेेंद्र मोदी ने किया पूरा


गुजरात के अस्तित्व में आने के कुछ समय बाद ही गुजरात की जीवनदायी कहे जाने वाले सरदार सरोवर नर्मदा योजना (नर्मदा बांध) की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चार अप्रैल 1961 को रखी थी। आज पांच दशक (53) वर्षों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ वर्षों से चली आ रही बांध पर गेट लगाने और अंतिम ऊंचाई बढ़ाने की मांग को हरी झंडी देकर इसे पूरा करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

1. वर्ष 1946 में नर्मदा नदी से सिंचाई और बिजली उत्पादन करने के लिए बांध बनाने की पहल भरूच परियोजना के साथ चार परियोजना को चिन्हित किया गया, जिसमें गुजरात में भरूच, मध्य प्रदेश में बरगी, तवा एवं पुणासा को परियोजना प्राथमिकता दी गई।
2. 5 अप्रैल 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नर्मदा बांध का निर्माण के लिए नींव रखी।
3. 1964 में गुजरात एवं मध्य प्रदेश सरकारों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ। भारत सरकार ने डॉ. ए.एन. खोसला का अध्यक्षता में विशेषज्ञों की कमेटी गठित की गई। जिसमें वर्ष 1965 में पूर्णत: संरक्षित जलस्तर (एफआरएल 500 फीट (152.44 मीटर) के साथ बांध की अधिकतम ऊंचाई करने की सिफारिश की। हालांकि मध्य प्रदेश सरकार खोसला समिति की रिपोर्ट से सहमत नहीं हुई। इसके चलते भारत सरकार ने अंतर राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत वर्ष अक्टूबर 1969 में नर्मदा जल विवाद अधिकरण (एनडब्ल्यूडीटी) का गठन किया। एनडब्ल्यूडीटी ने दस वर्ष बाद दिसंबर, वर्ष 1979 अपना फैसला सुनाया।
4. फरवरी-1999 में सुप्रीम कोर्ट ने बांध की ऊंचाई 80 मीटर (260 फीट) से बढ़ाकर 88 मीटर (289 फीट) तक बढ़ाने को लेकर हरीझंडी दे दी।
5. अक्टूबर, 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से फैसला सुनाया था। बाद में राज्य सरकार ने 90 मीटर तक (300 फीट) तक बांध बढ़ाने को लेकर स्वीकृति दी।
6. मई, 2002 में नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने 95 मीटर (312 फीट) तक ऊंचाई बढ़ाने को लेकर मंजूरी दी।
7. मार्च, 2004 में प्राधिकरण ने 15 मीटर (49 फीट) और ऊंचाई बढ़ाने की मंजूरी दी, जो 95 मीटर (312 फीट) से बढ़ाकर 110 मीटर (360 फीट)।
8. मार्च 2006 नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने बांध की ऊंचाई 110.64 मीटर (363 फीट) से 121.92 मीटर (400 फीट) बढ़ाने की हरी झंडी दी।
9. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2006 में नर्मदा बांध की ऊंचाई बढ़ाने की मांग को लेकर अनशन भी किया था।
10. अगस्त, 2013 में, भारी बारिश के चलते बांध पर चार फीट तक चादर चली और जलस्तर 131.5 मीटर (431 फीट) तक बढ़ा। इसके चलते नर्मदा किनारे रहने वाले करीब सात हजार ग्रामीणों को स्थानांतरित किया गया।
11. नर्मदा कंट्रोल (नियंत्रण) प्राधिकरण ने आठ वर्ष की जद्दोजहद के बाद नर्मदा बांध पर दरवाजे रखकर उसकी ऊंचाई 121.92 से 17 मीटर बढ़ाकर 138.68 मीटर तक ऊंचाई ले जाने को मंजूरी दे दी। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के दो सप्ताह के बाद ही बांध की ऊंचाई बढ़ाने को हरी झंडी मिल गई। अब गुजरात की जीवनदायी नर्मदा बांध को ऊंचाई के लिए हरी झंडी मिलने के बाद गुजरात के लोगों में खुशी की लहर है।

इन राज्यों को ये होगा फायदा


सरदार सरोवर नर्मदा निगम (नर्मदा बांध) परियोजना से गुजरात ही नहीं इसके पड़ोसी तीन अन्य राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को भी सिंचाई व पीने के लिए जल के साथ बिजली के मामले में लाभ होगा। नर्मदा बांध के जरिए सबसे ज्यादा फायदा यदि किसी को सिंचाई जल के मामले में है तो वो गुजरात राज्य ही है। गुजरात के 15 जिलों की 73 तहसीलों के 3112 गांवों की 18.45 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगा। इसके अलावा राजस्थान को ढाई लाख हेक्टेयर में मिलेगा पानी। महाराष्ट्र के पहाड़ी इलाके की 37 हजार पांच सौ हेक्टेयर भूमि को भी सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगा। गुजरात का 75 प्रतिशत नर्मदा के दायरे में आने वाला इलाका संभावित सूखा प्रभावित इलाका माना जाता है। नर्मदा का जल उपलब्ध होने पर ये इलाके संभावित सूखा प्रभावित इलाकों की श्रेणी से बाहर निकल आएंगे।

राजस्थान को 4.58 मिलियन की बुझेगी प्यास


राजस्थान की बात करें तो नर्मदा बांध की ऊंचाई बढ़ने और गेट लगने के बाद राजस्थान को अच्छे दबाव से पानी मिल सकेगा, जिसके चलते राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर और जालौर के दो लाख 46 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए जल मिलेगा। जिससे इन दोनों जिलों के सूखाग्रस्त होने की छवि से इन्हें छुटकारा मिलेगा। यहां भी भविष्य में हरियाली दिखाई दे सकेगी। इसके अलावा राजस्थान के तीन शहरों और 1336 गांवों को पीने का पानी भी वर्ष 2021 तक मुहैया कराने की योजना है।

>2021 तक चार करोड़ लोगों की बुझेगी प्यास


गुजरात का नर्मदा बांध अभी गुजरात के सौराष्ट्र व कच्छ, उत्तर गुजरात इलाके के 131 शहरी केंद्रों और 9633 गांवों के करीब दो करोड़ 80 लाख (28 मिलियन) लोगों की प्यास बुझा रहा है। इसकी ऊंचाई बढ़ने की मंजूरी मिलने के चलते वर्ष 2021 तक ये और सवा करोड़ लोगों यानि करीब चार करोड़ (40 मिलियन) लोगों को प्यास बुझाएगा। इसमें राजस्थान के तीन नगरों और 1336 गांवों के करीब 4.58 मिलियन लोगों को पीने का पानी मिलेगा।

1450 मेगावाट बिजली


नर्मदा बांध पर दो प्रकार के जल ऊर्जा संयंत्र लगे हैं। इसमें एक रिवर बेड पावर हाउस है, जो 1200 मेगावाट का है, जबकि दूसरा केनाल हेड पावर हाऊस है, जो 250 मेगावाट का है। केनाल का माइक्रो हाईड्रो पावर स्टेशन बनाने पर भी विचार चल रहा है। इससे उत्पन्न होने वाली बिजली में से 57 प्रतिशत मध्य प्रदेश को, 27 प्रतिशत महाराष्ट्र को जबकि 16 प्रतिशत गुजरात को दी जाती है। ये बांध भरुच जिले के 210 गांवों को बाढ़ के खतरे से भी छुटकारा दिलाता है।

वन्य जीव अभ्यारण्य को भी है लाभ


नर्मदा बांध के जल की बदौलत शूलपानेश्वर वन्य जीव अभ्यारण्य, कच्छ के घुड़खर, अभ्यारण्य, काला हिरण राष्ट्रीय उद्यान वेलावदर, कच्छ की ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सेंचुरी, अहमदाबाद की नल सरोवर वर्ल्ड सेंचुरी भी लाभान्वित हो रहे हैं।

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