जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंचे मेरठ जनपद के ऐतिहासिक जलस्रोत

इंटरनेशनल वॉटर एशोसिएशन, यूके व वर्ल्ड एन्वायरन्मेंट फेडरेशन, नीदरलैण्ड द्वारा सम्पूर्ण विश्व में चलाए जा रहे अभियान वर्ल्ड वॉटर डे के तहत नीर फाउंडेशन द्वारा मेरठ जनपद के ऐतिहासिक जल स्रोतों का सर्वेक्षण व उनके जल का परीक्षण किया गया। इसमें इन स्रोतों की दयनीय हालत व उनके पानी की सड़क हमारे वर्तमान को कलंकित कर रही है।

सर्वे में गांधारी तालाब, नवलदेह कूप, ऋंग ऋषि आश्रम, पक्का तालाब, द्रौपदी घाट, सूरजकुण्ड, कर्ण घाट, पिलोखड़ी का ताल, दुर्वासा तालाब, तरत्कारू ऋषि का तालाब, करनावल का तालाब, गंगोल का तालाब, बूढ़ी गंगा झील, कौशिकी का तालाब, नौचंदी का ताल, जाटों वाला तालाब व सेठों का तालाब की स्थिति व उनके पानी का परीक्षण किया गया। हालांकि अधिकतर तालाब सूखे हुए हैं मात्र गांधारी तालाब, गंगोल तालाब, नवलदेह कूप, पक्का तालाब द्रोपदी घाट में ही पानी बचा हुआ है। इसमें भी मात्र तीन ही तालाबों गांधारी, गंगोल व करनावल के तालाबों में पानी की मात्रा अधिक है और यह पानी वर्षा का या प्राकृतिक है।

बाकि बचे सभी तालाबों की स्थिति बहुत ही दयनीय बनी हुई है। मवाना के पक्के तालाब में कुछ पानी बरसात का रूका था लेकिन अब मात्र मवाना के घरों से निकलने वाला पानी ही आकर भर रहा है। नवलदेह कूप पानी से भरा हुआ है लेकिन उसका पानी अब सड़ने लगा है अर्थात खराब होने लगा है।

किट के माध्यम से गांधारी सरोवर के पानी के परीक्षण में चौंकाने वाले तथ्य निकले हैं। इस पानी का पीएच 8-9 के बीच है तथा इसकी टरबिडिटी 40 जेटीयू है। जबकि इसकी डिजाल्वड ऑक्सीजन 8 पीपीएम है। इसी प्रकार परीक्षितगढ़ में ही मौजूद नवलदेह कूप के पानी की डिजाल्वड ऑक्सीजन 4 पीपीएम तथा टरबिडिटी 40 जेटीयू है। इसी के साथ मवाना में स्थित पक्का तालाब में भरे हुए पानी में डीओ 8 पीपीएम, टरबिडिटी 100 जेटीयू तथा पी एच 6 से कम है। वहीं हस्तिनापुर स्थित द्रौपदी घाट का पानी गदला है। उसका पीएच भी 6 से कम, टरबिडिटी 100 तथा डीओ 8 पीपीएम पाई गई। करनावल स्थित ऐतिहासिक तालाब के पानी का पीएच भी 6 से कम है, उसका डीओ 4 पीपीएम तथा टरबिडिटी 40 जेटीयू है।

इसके अतिरिक्त बचे ऐतिहासिक तालाब जीर्ण-शीर्ण हालत में सूखे पड़े हैं। इन तालाबों की दीवारों को तोड़ दिया गया है तथा उनमें घास उग आई है।

क्रम

तालाब का नाम

स्थिति

महत्व

1

गांधारी सरोवर, परीक्षितगढ़

पानी है लेकिन गदला।

महाभारतकालीन

2

नवलदेह कूप, परीक्षितगढ़

सूख चुका है।

महाभारतकालीन

3

जरत्कारू ऋषि का तालाब,

ऋंग ऋषि आश्रम, परीक्षितगढ़

पानी है लेकिन अतिक्रमण

कर छोटा कर दिया गया है।

रामायणकालीन

 

4

सूरजकुण्ड, मेरठ

सूखा व अतिक्रमण।

रामायणकालीन

5

पिलोखड़ी का तालाब, मेरठ

सूखा व अतिक्रमण।

महाभारतकालीन

6

नौचंदी का ताल, मेरठ

सूखा व लुप्त प्राय।

रामायणकालीन

7

पक्का तालाब, मवाना

अतिक्रमण व जीर्ण-शीर्ण अवस्था।

महाभारतकालीन

8

दुर्वासा ऋषि का ताल, फिरोजपुर

सूखा व जीर्ण-शीर्ण।

महाभारतकालीन

9

जाटों वाला ताल, पूठी

सूखा व अतिक्रमण।

महाभारतकालीन

10

गंगा झील, खरखाली

अतिक्रमण और पानी गदला।

पुरातन

11

सेठों का ताल, फफूंडा

सूखा व अतिक्रमण।

महाभारतकालीन

12

करनावल का ताल, करनावल

पानी है लेकिन अतिक्रमण।

महाभारतकालीन



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Post By: ramantyagi
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