दुनिया में तेजी से बढ़ रहे कंक्रीट के जंगलों यानी भवन व इमारतों के निर्माण से प्रकृति को खतरा जाना पहचाना है। ये सीमेंट से बने जंगल धीरे धीरे हरियाली को खाते जा रहे हैं। लेकिन अब हरियाली के प्रति समर्पित वैज्ञानिकों ने हरी कंक्रीट ईजाद करने की ठान ली है। जिससे प्रकृति का दोहन भी रुकेगा और मानव की जरूरत भी पूरी होती रहेंगी।
लुइसियाना टेक यूनिवर्सिटी ने एक ऐसे जिओपॉलिमर कंक्रीट का निर्माण किया है, जो अपने आप में एक नया उत्पादन तो है ही साथ ही पर्यावरण के लिए भी हितकारी है। यह ग्रीन कंक्रीट सामान्य कंक्रीट की तुलना में इकोफ्रेंडली है और यह ग्रीनहाउस गैसों को 90 प्रतिशत तक कम कर सकता है। इसे बनाने वाले डॉ. इरेज अलाउच है। इसे बनाने के लिए उद्योगों से निकलने वाली राख का इस्तेमाल किया गया है। इस जिओपॉलिमर की सबसे खास बात यह है कि यह क्षय नहीं होता और 2400 डिग्री फेरेनहाइट तक अग्नि प्रतिरोधक है। इसके अलावा इस जिओपॉलिमर कंक्रीट से बनाई हुई इमारतें सामान्य कंक्रीट की उम्र से कई गुना अधिक समय तक रह सकती है।
लुइसियाना टेक यूनिवर्सिटी ने एक ऐसे जिओपॉलिमर कंक्रीट का निर्माण किया है, जो अपने आप में एक नया उत्पादन तो है ही साथ ही पर्यावरण के लिए भी हितकारी है। यह ग्रीन कंक्रीट सामान्य कंक्रीट की तुलना में इकोफ्रेंडली है और यह ग्रीनहाउस गैसों को 90 प्रतिशत तक कम कर सकता है। इसे बनाने वाले डॉ. इरेज अलाउच है। इसे बनाने के लिए उद्योगों से निकलने वाली राख का इस्तेमाल किया गया है। इस जिओपॉलिमर की सबसे खास बात यह है कि यह क्षय नहीं होता और 2400 डिग्री फेरेनहाइट तक अग्नि प्रतिरोधक है। इसके अलावा इस जिओपॉलिमर कंक्रीट से बनाई हुई इमारतें सामान्य कंक्रीट की उम्र से कई गुना अधिक समय तक रह सकती है।
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