जिन्दगी में जहर घोल रहा है माइक्रोबीड्स

Plastic Waste
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राज्य पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव सतीश गवई कहते हैं, ‘माइक्रोबीड्स का इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स बनाने के लिये किया जाता है। यह इंसान, जानवर और पर्यावरण के लिये घातक साबित होने की पुष्टि भी कई अध्ययन में हुई है। नतीजतन सरकार ने इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। इस सन्दर्भ में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।’

आम आदमी की जिन्दगी में प्लास्टिक जहर घोल रहा है। यह विभिन्न रूप में हमारी जिन्दगी का हिस्सा बन चुका है। महाराष्ट्र सरकार ने पॉलिथिन व प्लास्टिक के कुछ प्रकार पर प्रतिबंध लगाया है। पर कुछ पदार्थ ऐसे हैं जिनका हम घर में धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं पर हमें उसमें प्लास्टिक नहीं दिखता जबकि उसमें जहरीला प्लास्टिक होता है। अति सूक्ष्म इन प्लास्टिक कणों को माइक्रोबीड्स या माइक्रोप्लास्टिक भी कहा जाता है।

माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध लगाने के लिये सरकार के साथ ऑल इंडिया कॉस्मेटिक मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन भी है, जिसमें 700 मध्यम व लघु व्यापारिक संस्थाएं हैं। देखने में यह माइक्रोबीड्स भले ही बेहद छोटे हो लेकिन जीवन पर इसके दुष्प्रभाव बहुत बड़े हैं।

आपका कॉस्मेटिक्स कैंसर देता है
कॉस्मेटिक्स कम्पनियाँ बादाम और अखरोट के तत्व शामिल करने का लोकलुभावन दावा करती है लेकिन उनमें माइक्रोबीड्स का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। सुबह की शुरुआत टूथपेस्ट (दंत मंजन) से शुरू होती है जिसमें यह तत्व पाया गया है जबकि शरीर की सफाई और चेहरे को चमकाने के लिये उपयोग किए जा रहे साबुन, शैम्पू, स्क्रब इससे अछूते नहीं है।

माइक्रोबीड्स क्या हैं?
माइक्रोबीड्स प्लास्टिक के सूक्ष्मतम कण है। इसका सबसे बड़ा आकार 1 मिलीमीटर का होता है। इसे पॉलिथीन, पॉलीप्रॉपलीन, पॉलीस्टिरीन से बनाया जाता है जिससे प्लास्टिक बनाया जाता है। यह किसी भी चीज में न तो घुलता है और न ही खत्म होता है। इसको कॉस्मेटिक्स में रगड़ने घिसने के लिये उपयोग किया जाता है।

पर्याय
विशेषज्ञों के अनुसार माइक्रोबीड्स की जगह अखरोट, बादाम के आवरणों का उपयोग किया जा सकता है। ये उपयोग के बाद नैसर्गिक रूप से नष्ट हो जाते हैं।

यहाँ है प्रतिबंधित
माइक्रोबीड्स के उपयोग पर अमेरिका में प्रतिबंध है। इग्लैंड ने हाल ही में प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है जबकि इटली न्यूजीलैंड प्रतिबंध लगाने की दिशा में है।

राज्य पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव सतीश गवई कहते हैं, ‘माइक्रोबीड्स का इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स बनाने के लिये किया जाता है। यह इंसान, जानवर और पर्यावरण के लिये घातक साबित होने की पुष्टि भी कई अध्ययन में हुई है। नतीजतन सरकार ने इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। इस सन्दर्भ में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।’

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