प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के अनुसार नाले को सीधे नदी में नहीं मिलाया जा सकता है। बल्कि पानी को स्वच्छ करने के बाद नदी में छोड़ा जाना चाहिए। लेकिन यहां नाले को सीधे नदी में मिला दिया गया है। ऐसे नाले का पानी ट्रीट करने के बाद ही नदी में छोड़ा जाए। मगर जीडीए प्राधिकरण ने इस गंदे पानी की सफाई पर पैसे खर्च करना तो दूर उसे सीधे हिंडन में मिला दिया है। जिससे हिंडन नदी में काला और जहरीला पानी बह रहा है। भूमाफिया, नहर विभाग और जिला प्रशासन की सांठगांठ के चलते हिंडन को नाला बना दिया है।
गाजियाबाद/जीडीए ने एक नाले को अंडर ग्रांउड करने पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए हैं, मगर गंदे पानी की स्वच्छता पर कोई रकम खर्च नहीं की गई। इस नाले को कान्हा उपवन के पास हिंडन नदी में मिला दिया गया है, जिससे नदी जहरीली हो रही है। दूसरी ओर गाजियाबाद जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते कुछ लोगों ने हिंडन का वजूद ही खत्म कर दिया है। हिंडन नदी को नाला बना दिया गया है। यहां पर एक मंजिल से लेकर चार मंजिल तक मकान बन गए हैं। साइड – दो लोनी रोड औद्योगिक क्षेत्र से 132 केवी सब स्टेशन, मोहन नगर के सामने से होकर एक नाला कान्हा उपवन के गेट तक जाता है। यहां से रोड क्रॉस करते हुए नाला हिंडन नदी तक जाता है। पांटून पुल बनने के साथ ही जीडीए प्राधिकरण ने इस नाले को अंडर ग्राउंड करने की योजना बनाई थी। इस योजना में करीब ढाई मीटर मोटे पाइप तकरीबन पांच सौ मीटर तक बिछाए गए।नाला अंडर ग्राउंड करने की योजना पर प्राधिकरण ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। इस नाले को आगे ले जाकर सीधे हिंडन नदी में मिला दिया गया है। नाले में औद्योगिक इकाइयों का डीजल, ग्रीस, मोबिल आयल युक्त पानी, डाइंग फैक्टरी का गंदा पानी बहता है। यह पानी हिंडन नदी के जल को जहरीला कर रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के अनुसार नाले को सीधे नदी में नहीं मिलाया जा सकता है। बल्कि पानी को स्वच्छ करने के बाद नदी में छोड़ा जाना चाहिए। लेकिन यहां नाले को सीधे नदी में मिला दिया गया है। नगर निगम के अवर अभियंता डीके सत्संगी का कहना है कि तेल, ग्रीस व अन्य रसायन युक्त पानी ऊपर तैरता रहता है। वह नीचे नहीं जा पाता है। इस तरह से पानी की रिचार्जिंग नहीं हो पाती है। ऐसे नाले का पानी ट्रीट करने के बाद ही नदी में छोड़ा जाए।
मगर जीडीए प्राधिकरण ने इस गंदे पानी की सफाई पर पैसे खर्च करना तो दूर उसे सीधे हिंडन में मिला दिया है। जिससे हिंडन नदी में काला और जहरीला पानी बह रहा है। इस मामले पर जीडीए के तमाम अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। इसके अलावा जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग की मिलीभगत के चलते लोग हिंडन का वजूद ही खत्म करने में लगे हैं। यह काम भूमाफिया कर रहा है। हिंडन नदी की जमीन में मकानों का लोगों ने निर्माण कर लिया है। एक मंजिल से लेकर चार मंजिल तक मकान बने हैं। भूमाफिया, नहर विभाग और जिला प्रशासन की सांठगांठ के चलते हिंडन को नाला बना दिया है। जो जमीन बची है। उस पर अभी भी काम चल रहा है, मगर इस ओर से सभी आंख बंद करे बैठे हैं।
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