औद्योगिक और शहरी प्रदूषण की वजह से गन्दे नाले में तब्दील हो चुकी हिंडन, काली और कृष्णी नदी के किनारे बसे पश्चिमी यूपी के सैकड़ों गाँव पेयजल संकट और कैंसर जैसी घातक बीमारियों से जूझ रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त आदेशों के बाद सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद, शामली और मेरठ जिलों में जहरीला पानी दे रहे हजारों हैंडपम्प को उखाड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है, लेकिन समाधान अभी कोसों दूर है। हैंडपम्प उखड़ने से लोगों के सामने एक नई समस्या खड़ी हो रही है। इन गाँवों में साफ पानी मुहैया करना सरकार के लिये बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। भूजल प्रदूषण की इस गम्भीर समस्या पर अजीत सिंह ने स्थानीय जन प्रतिनिधि और केन्द्रीय मंत्री से बात की
![जहरीला पानी](https://c1.staticflickr.com/1/392/31650752904_346f325026.jpg)
बेकाबू हैं प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियाँ
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उनकी ग्रामसभा में कुल 96 हैंडपम्प हैं, जिनमें से 40 हैंडपम्प उखड़ने हैं। लोगों को साफ पानी मुहैया कराने के लिये नए बोरिंग करने का सामान डेढ़ महीने से गाँव में पड़ा है, लेकिन जल निगम ने अभी तक काम शुरू नहीं किया। पट्टी बंजारन और सरोरा गाँव में पानी की टंकी बनना प्रस्तावित है, लेकिन यह काम भी अटका हुआ है।
पेपर व शुगर मिलों के अलावा कई अन्य फैक्ट्रियाँ भी हिंडन, काली और कृष्णी नदियों में अपनी गंदगी और प्रदूषित पानी डालती है, जिसकी वजह से पूरे क्षेत्र का भूजल पीने लायक नहीं रहा। खुद राज्य सरकार की जाँच में यह बात सामने आ चुकी है कि इन नदियों के आस-पास सैकड़ों गाँवों में मरकरी, लेड, आर्सेनिक जैसे हानिकारक तत्व तय मानकों से कई गुना अधिक हैं।
नमामि गंगे में शामिल होगी हिंडन
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दरअसल, हिंडन के प्रदूषित होने का सिलसिला सहारनपुर से ही शुरू हो जाता है। पूरे शहर का गंदा पानी और फैक्ट्रियों की गन्दगी हिंडन में गिरती है। हिंडन को प्रदूषण मुक्त बनाने के उपाय यहीं से शुरू करने होंगे। आगे जहाँ-जहाँ भी ये नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं, वहाँ रोकथाम के उपाय किए जाएँगे। प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
कई जगह लोगों ने भी नदियों के अन्दर खेती करनी शुरू कर दी है। नदियों की इस हालत के लिये बहुत से कारण जिम्मेदार हैं। इस साल अजीब बात यह रही कि बरसात में भी हिंडन में पानी नहीं आया। यह मेरे लिये आश्चर्य का विषय है। मैंने मंत्रालय से जुड़े विशेषज्ञों को इसके कारणों का पता लगाने को कहा है। भूजल में सुधार के लिये मंत्रालय पश्चिमी यूपी में एक्वीफर मैपिंग भी करा रहा है। -संजीव बालियान, राज्य मंत्री, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय
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