चट्टान सोयी है पत्थर-नींद
बूँद-बूँद कर अपने को
जगा रहा है जल
जल जगाता है
जब-तब इसे मेरे भीतर
एक पाखी गाता है
बूँद-बूँद कर अपने को
जगा रहा है जल
जल जगाता है
जब-तब इसे मेरे भीतर
एक पाखी गाता है
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