जानलेवा हुआ स्मॉग

दिल्ली में जानलेवा हुआ स्मॉग

 

रविवार को पीएम 10 का स्तर 800 से 1000 तक पहुँचा

यूएस एम्बेसी, चाणक्यपुरी

927

पंजाबी बाग

999

मन्दिर मार्ग

997

आनन्द विहार

999

आर के पुरम

999

आईजीआई एयरपोर्ट

872

आईटीओ

600

 

 

क्या है PM

प्रदूषण के दो मानक होते हैं

पीएम 2.5 और पीएम 10

पीएम 10 का सामान्य स्तर 100 होता है

पीएम 2.5 का सामान्य स्तर 60 होता है

कम-से-कम दो दिन फिजा में जहर घुला रहेगा और दम घोंटू हवा में ही साँस लेना होगा

 

उत्तर से पश्चिम धुआँ-ही-धुआँ


नई दिल्ली, 6 नवम्बर (ब्यूरो) : घुटन भरे माहौल से सिर्फ दिल्ली ही नहीं देश के कई बड़े शहर और उसके आस-पास के इलाके प्रभावित हुए हैं। अभी तक यह समझा जा रहा था कि धुएँ की चादर से सिर्फ दिल्ली और आस-पास का इलाका ही दिवाली के बाद से प्रभावित है जबकि असलियत यह है कि उत्तर से लेकर पश्चिम तक धुएँ की चादर फैली हुई है। रविवार को हमेशा की तरह लोगों ने आँखों में जलन महसूस की और साँस लेने की दिक्कतें एकदम से बढ़ गईं। मेडिकल स्टोरों पर भी मास्क और इनहेलर की माँग तेजी से बढ़ गई है।

मौसम की जानकारी देने वाला विभाग तो धुन्ध को लेकर चेतावनी दे ही रहा है, मोबाइल पर मौसम के एप भी अब धुएँ (स्मोक) के बारे में जानकारी दे रहे हैं। सम्भवतः पहली बार एपल और गूगल ने स्मोक भी मौसम की जानकारी वाले एप में जोड़ा है। एपल और गूगल के अनुसार दिल्ली में रात नौ बजे तापमान तो 22 डिग्री सेल्सियस था लेकिन साथ में उनमें स्मोक भी लिखा था, यानी पूरे वातावरण में धुआँ-ही-धुआँ। यही हाल अहमदाबाद का भी रहा जहाँ इसी समय तापमान तो 26 डिग्री सेल्सियस था मगर माहौल धुएँ का रहा। लेकिन, दूसरी तरफ नवम्बर के पहले हिस्से में जयपुर और लखनऊ तापमान तो लगभग इतना ही था और वातावरण धुन्ध का बताया जा रहा था। हाँ, उत्तर के एक हिस्से जालंधर में तापमान इस समय 20 डिग्री सेल्सियस रहा और मौसम भी साफ था।

एक्शन प्लान ज्यों-का-त्यों रह गया


केन्द्र सरकार ने राज्यों के लिये प्रदूषण को लेकर एक्शन प्लान जुलाई 2016 बनाया था जो अब तक नहीं लागू हो सका।

क्या कदम उठाए जाने थे जो नहीं उठाए गए।


1. ट्रैफिक कॉरिडोर नहीं बने - बनते तो इसका सकारात्मक असर प्रदूषण पर दिखता
2. धूल से उठने वाले प्रदूषण को कम करने के लिये 90 दिन के अन्दर खुले इलाकों को हरा-भरा किया जाना था - अधिकांश इलाकों में कछुए की गति से चल रहा है काम।
3. खराब वस्तुओं को जलाए जाने पर 90 दिन के भीतर बैन किया जाना था - सिर्फ हरियाणा और पंजाब में हुआ लागू, राजनीतिक कारणों से बाकी राज्यों में नहीं हुआ लागू।
4. निर्माण कार्य को लेकर नियम और दिशा-निर्देश लागू करने थे जिससे 30 प्रतिशत प्रदूषण कम हो - नहीं हुआ लागू क्योंकि इससे भ्रष्टाचार के बढ़ने की सम्भावना है
5. निजी वाहनों की जगह टैक्सी का प्रयोग करें - नहीं हुआ लागू

दिल्ली सरकार की ओर से दिये गए आश्वासन


1. सड़कों की सफाई के लिये अप्रैल में छह मशीनें मँगवाई गई थी जिन्हें बाद में वापस मँगवा लिया गया, हाल में मनीष सिसोदिया ने दोबारा लांच किया मशीनों को।
2. मशीनों द्वारा पानी का छिड़काव करने की व्यवस्था की गई थी - मशीनों को लांच ही नहीं किया गया अब तक
3. हवा को साफ व शुद्ध करने के लिये पाँच जगहों पर मशीनें लगनी थीं - अब तक नहीं हुई लांच
4. ऑड-इवेन योजना - स्कूलों में बच्चों को छोड़ने वाले वाहनों के पंजीकरण नम्बर को लेकर हुई परेशानी, अधर में लटकी है योजना कि पूरी तरह से लागू हो या नहीं और स्थायी तौर पर या अस्थायी तौर पर
5. रात को सड़कों पर झाड़ू लगाकर साफ करने की थी योजना ताकि सुबह तक ऊपर उठ जाये धूल - कर्मचारियों की कमी से असफल रही योजना, एनडीएमसी ने ही लागू की योजना बाकी एजेंसियों ने अब तक नहीं की लागू
6. दिल्ली से सटे राज्यों में फसल को न जलाया जाये - राजनीतिक विवाद में फँसा है मामला, बातचीत हो रही है

अगले दो दिन खतरे में रह सकती है आपकी जान


नई दिल्ली, 6 नवम्बर (रोहित राय) : विज्ञान जितनी भी तरक्की क्यों न कर ले लेकिन कुदरत की मार के आगे सब विफल है। पिछले एक सप्ताह से जानलेवा प्रदूषण की मार झेल रहे दिल्लीवासियों के लिये अगले दो दिन भी भारी रहेंगे। हवा चलने की सम्भावना बेहद कम है जिससे राजधानी की फिजा पर छाया जानलेवा प्रदूषण का खतरा मंगलवार तक बरकरार रह सकता है। सप्ताह भर से लोगों की जान का दुश्मन बने बैठे स्मॉग यानी (प्रदूषण) का ऊपर उठना मुश्किल लग रहा है। विज्ञान की माने तो अभी अगले दो दिन और दिल्ली की फिजा में जहर घुला रहेगा और दम घुटाने वाली हवा में ही लोगों को साँस लेना होगा। यह दावा किया है प्रदूषण के क्षेत्र में रिसर्च और कार्य करने वाली संस्था सफर ने।

सफर द्वारा जारी किये गए आँकड़ों के मुताबिक सोमवार और मंगलवार को भी दिल्ली में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर निर्धारित स्तर से चार-से-पाँच गुना ज्यादा दर्ज किया जाएगा। इससे साफ है कि दिल्ली की फिजा अभी जहरीली ही बनी रहेगी।

सोमवार को पीएम 2.5 और पीएम 10 रविवार की अपेक्षा और ज्यादा रह सकता है। हालांकि मंगलवार से जरूर हवा चलने लगेगी लेकिन गति ज्यादा नहीं होगी। हवा के चलने से प्रदूषण के स्तर में कमी मंगलवार से आने की सम्भावना है। इससे पहले रविवार को लगातार दूसरे दिन भी दिल्ली की आबो-हवा जहरीली ही दर्ज की गई।

हवा में मौजूद हानिकारक कणों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई कि रविवार शाम को करीब छह बजे पीएम 10 का स्तर 844 और पीएम 2.5 का स्तर 588 दर्ज किया गया। इतनी भारी संख्या में हवा में फैले हानिकारक कणों के लगातार साँस द्वारा फेफड़ों में पहुँचने से सामान्य व्यक्ति की जान तक जा सकती है। रविवार शाम को आलम यह था कि कुछ इलाकों में जहाँ दृश्यता का स्तर घटकर शून्य से 10 मीटर तक ही रह गया वहीं कुछ इलाके ऐसे भी थे जहाँ दृश्यता शून्य ही हो गई।

संस्था सफर ने रविवार शाम को प्रदूषण के स्तर को खौफनाक घोषित कर दिया। आलम यह था कि एक बार दोबारा से दिल्ली की तस्वीर शाम को धुँधली हो गई। लोग, मरीज और यहाँ तक की मेट्रो ट्रेन स्टेशनों पर सुरक्षा के लिये तैनात किये गए सीआईएसएफ ने भी मुँह पर मास्क बाँध लिया है।

 

रविवार को नई दिल्ली जिले के इलाके चाणक्यपुरी में स्थित यूएस एम्बेसी के पास पीएम 2.5 का स्तर निर्धारित स्तर से करीब नौ गुना ज्यादा 927 दर्ज किया गया। इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि बाकी के इलाकों का प्रदूषण को लेकर क्या हाल होगा। आर के पुरम इलाके में पीएम 10 का स्तर 999, मन्दिर मार्ग में पीएम 10 का स्तर 997, आईजीआई एयरपोर्ट पर पीएम 10 का स्तर 872 और आनन्द विहार इलाके में पीएम 10 का स्तर 999 दर्ज किया गया जो निर्धारित स्तर से करीब 10 गुना ज्यादा है।

 

दिल्ली के ये 3 इलाके सबसे ज्यादा प्रदूषित


नई दिल्ली, 6 नवम्बर (ब्यूरो): दिल्ली की आबो-हवा भले ही कुछ दिन के लिये रिकॉर्ड तोड़ प्रदूषण की चपेट में आई है लेकिन राजधानी में तीन इलाके ऐसे हैं जो पूरा साल ही प्रदूषित रहते हैं। इन इलाकों में रहने वाले लोग साल भर जहरीली साँस लेने को मजबूर हैं। आनन्द विहार, आर के पुरम और पॉश इलाकों में शामिल पंजाबी बाग पूरा साल प्रदूषित रहने वाले इलाकों में शुमार है। इन तीनों इलाकों के प्रदूषित रहने की जो बड़ी वजह हैं उनमें रिंग रोड, आउटर रिंग रोड से रोजाना रात 10 बजे से व्यावसायिक वाहनों का गुजरना, रिंग रोड के पास मोती बाग, आर के पुरम, मुनरिका और वसन्त विहार इलाके में मेट्रो ट्रेन का निर्माण कार्य होना शामिल है।

इन इलाकों में प्रदूषण के स्तर का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना रात को आसमान धुँधला हो जाता है। लम्बे समय से इलाके के लोगों ने रात को आसमान में चमकने वाले तारों तक का दीदार नहीं किया है। और-तो-और साँस से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को आये दिन अस्पताल में इलाज के लिये जाना पड़ता है। आर के पुरम सेक्टर-7 में रहने वाले अशोक मल्होत्रा ने बताया कि इलाके के लोगों द्वारा आपत्ति जताए जाने के बावजूद सरकार ने मोती बाग के पास मेट्रो के निर्माण कार्य की इजाजत दे दी। इससे रोजाना रात को निर्माण कार्य किया जाता रहा जिसके कारण पूरा इलाका प्रदूषण की चपेट में आ जाता है। बता दें कि आर के पुरम के सबसे ज्यादा प्रदूषित रहने का जो सबसे बड़ा कारण है वो यह कि यह इलाका रिंग रोड और आउटर रिंग रोड के ठीक बीचों-बीच में स्थित है। इन दोनों रोड से रोजाना रात 10 बजे के बाद हजारों की संख्या में डीजल से चलने वाले ट्रक व विभिन्न छोटे व्यावसायिक वाहन गुजरते हैं।

 

एमपीसीएम अधिकतम

276

दीवाली से दो दिन पहले

748

दीवाली वाले दिन

771

31 अक्टूबर से पाँच नवम्बर के बीच

 

छठ घाटों पर हुई आतिशबाजी


छठ पूजा के लिये विभिन्न घाटों पर पहुँचे लोगों ने पर्यावरण की परवाह किये बिना रोक के बावजूद जमकर पटाखे जलाए और आतिशबाजी की। छठ पूजा आयोजन समिति की ओर कई बार लोगों से अपील भी की गई, लेकिन इसके बावजूद पटाखे जलाना बन्द नहीं हुआ। कई घाटों में पटाखे बिकते हुए भी दिखे।

ट्रक और उद्योग बना रहे हैं पंजाबी बाग को जहरीला


नई दिल्ली, 6 नवम्बर (ब्यूरो): पश्चिम दिल्ली के सबसे पॉश इलाकों में शामिल पंजाबी बाग भी प्रदूषण की मार झेल रहा है। पंजाबी बाग के प्रदूषित रहने का सबसे बड़ा कारण इसकी लोकेशन है। इसके पास से गुजरती रोहतक रोड से रिंग रोड पर डीजल से चलने वाले 10 हजार ट्रकों को रोजाना डाइवर्ट किया जाता है। इतनी भारी संख्या में ट्रकों के परिचालन से पंजाबी बाग का दम फूल जाता है और प्रदूषण का निर्धारित स्तर सामान्य स्तर से कभी तीन तो कभी पाँच से छह गुना ज्यादा हो जाता है। पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक वो ट्रक उन ट्रकों से बहुत ज्यादा और जहरीला प्रदूषण करते हैं जिनका समय पर रख-रखाव, नियमित तौर पर सर्विसिंग व प्रदूषण जाँच नहीं होती।

रिंग रोड से गुजरने वाले अधिकांश ट्रकों की हालत बेहद खस्ता है। पंजाबी बाग के सी ब्लॉक में रहने वाले मनोज चड्ढा ने बताया कि सुबह के समय प्रदूषण का इतना बुरा हाल होता है कि बच्चों को मुँह पर रुमाल या मास्क लगाकर जाना पड़ता है। रात गुजरने के बाद सुबह जब ट्रकों का परिचालन बन्द हो जाता है तब लोग निजी वाहन सड़कों पर उतार लेते हैं जिससे प्रदूषण का स्तर और भी ज्यादा बढ़ जाता है। पंजाबी बाग में प्रदूषण के स्तर का जानलेवा स्तर तक पहुँचने का दूसरा बड़ा कारण है यहाँ से औद्योगिक क्षेत्र मायापुरी और मंगोलपुरी की दूरी का कम होना। करीब 15 से 20 मिनट की दूरी पर मायापुरी और मंगोलपुरी इलाका है जहाँ हजारों की संख्या में केमिकल और तेजाब की फैक्टरियाँ हैं।

अस्थमा मरीजों को ज्यादा खतरा


नई दिल्ली, 6 नवम्बर (अमरदीप श्रीवास्तव): राजधानी में खतरे के अनुपात को पार कर गया स्मॉग एवं प्रदूषण किसी भी वक्त किलर रूप धारण कर सकता है। डॉक्टरों ने अस्थमा मरीजों को मौत का अटैक पड़ने के साथ ही संक्रमण की वजह से आँखों की रोशनी जाने का अन्देशा जताया है। ऐसे में अस्थमा पीड़ित मरीजों को विशेष एहतियात बरतना ही बेहतर होगा।

अस्थमा मरीजों की जा सकती है जान


गंगाराम अस्पताल के गेस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग के निदेशक डॉ. अनिल अरोड़ा ने कहा कि इस वक्त सरकारी एजेंसियों को अस्थमा पीड़ित मरीजों की जान बचाने के लिये अधिक सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थिति बेहद खराब हो चुकी है और यदि यही हाल रहा तो अस्थमा पीड़ित मरीजों के मौत का सिलसिला शुरू हो सकता है। उन्होंने कहा कि अस्थमा श्वास नलिकाओं को प्रभावित करने वाली एक गम्भीर बीमारी है। श्वास नलिकाएँ फेफड़े से ऑक्सीजन को अन्दर और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर करने का काम करती हैं, जिसमें किसी भी प्रकार की रुकावट घातक है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के दौरान अस्थमा का दौरा पड़ने से श्वास नलिकाएँ पूरी तरह बन्द हो सकती हैं, जिससे शरीर के महत्त्वपूर्ण अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती और मरीज की मृत्यु तक हो सकती है, लिहाजा ऐसे समय में अस्थमा पीड़ित सभी मरीजों को बेहद सतर्क रहना होगा।

आँखों का संक्रमण बेहद खतरनाक


घर से बाहर निकलने वाले सभी कामकाजी लोगों को आँखों में जलन की समस्या खासा परेशान कर रही है, जो कि काफी खतरनाक है। इससे सबसे अधिक खतरा बच्चों को है। आँखों को मलने से यह लाल हो सकती हैं। साथ ही इनसे लगातार पानी भी बह सकता है। ऐसी किसी भी स्थिति में डॉक्टर के पास जाना बेहद जरूरी है। गुरूनानक आईसेंटर के सीनियर रेजीडेंट डॉ. सुमित ग्रोवर ने कहा कि ऐसे समय में साफ पानी से आँखों को धोना बेहतर रहेगा। उन्होंने कहा, संक्रमण बढ़ने पर रोशनी कम होने या जाने का खतरा रहता है, लिहाजा ऐसी किसी परेशानी में डॉक्टरों को दिखाना ही ठीक होगा।

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Post By: RuralWater
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