जैसे काया में मन रहता है
वैसे ही धरती में रहती है झील
लड़ती हुई फूहड़ता-विद्रूपता के खिलाफ़
दरअसल जो सुन्दरता की तरफ़दारी है
जैसे काया में मन रहता है
वैसे ही धरती में
झील रहती है
हर पहर जो पृथ्वी पर प्रेम की
कथा रचती है
झील में दूरदुनिया से पाखी आते हैं
अच्छे विचार की तरह
झील के आदर-सत्कार की उन्हें बड़ी तलब
जैसे काया में मन रहता है
वैसे ही धरती में रहती है झील
जहाँ प्यास के द्वन्द्व में
पानी का मतलब बहता है!
वैसे ही धरती में रहती है झील
लड़ती हुई फूहड़ता-विद्रूपता के खिलाफ़
दरअसल जो सुन्दरता की तरफ़दारी है
जैसे काया में मन रहता है
वैसे ही धरती में
झील रहती है
हर पहर जो पृथ्वी पर प्रेम की
कथा रचती है
झील में दूरदुनिया से पाखी आते हैं
अच्छे विचार की तरह
झील के आदर-सत्कार की उन्हें बड़ी तलब
जैसे काया में मन रहता है
वैसे ही धरती में रहती है झील
जहाँ प्यास के द्वन्द्व में
पानी का मतलब बहता है!
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