इस बरसात पानी को बचाने की करें कवायद


वर्षा जल संरक्षणनई दिल्ली, 29 जून : जल संकट केवल दिल्ली नहीं पूरे देश की बड़ी समस्या बनता जा रहा है। बरसात में जल संचयन करना बहुत फायदेमंद हो सकता है। वाटर हार्वेस्टिंग की बात हो या फिर सूखे जलाशयों को रीचार्ज करना। इन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। भविष्य में पानी के लिये लड़ाई होगी, यह बात जानकार कहते रहते हैं। लेकिन, बात करने से कुछ नहीं होने वाला जरूरत है तो इस बात की कि समय रहते जल संरक्षण की कवायदों को तेज कर दिया जाए।

राजधानी की बात की जाए तो में प्राकृतिक जलस्रोत विलुप्त हो चुके हैं। जो बचे हैं वह फाइलों में गुम हो गए हैं। जोहड़ों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इन पर कब्जा कर मकान बना लिये गये हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो हमारी यह प्रवृत्ति हमें भविष्य के संकट की ओर ले जा रही है। प्राकृतिक जलस्रोतों से न केवल पेयजल की समस्या सामने है, बल्कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा भी हमें भारी तबाह की ओर धकेल सकती है।

राजधानी में झीलों का क्षेत्रफल है बहुत कम देश में 67429 झीलें मौजूद हैं। जिनका क्षेत्रफल लगभग 41 लाख हेक्टेयर है। दिल्ली में झील क्षेत्र काफी कम है। राज्यों में झीलों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र

 

शीर्ष तीन राज्य (प्रतिशत में झील क्षेत्र)

लक्षद्वीप-

96.12

अंडमान और निकोबार

18.52

दमन और दीव-

18.46

 


 

निचले तीन राज्य (प्रतिशत में क्षेत्र)

0.93

दिल्ली

0.86

हरियाणा

0.66

मिजोरम

 


 

झीलों

जोहड़ों की बर्बादी

वनस्पतियों के क्षय और मिट्टी का कटाव से

15 प्रतिशत

खेती के कारण होने वाली जल निकासी से

24 प्रतिशत

इंसानी बसावट के कारण

21 प्रतिशत

औद्योगिक प्रदूषण के कारण

20 प्रतिशत

मछली पकड़ने, शिकार करने आदि के कारण

20 प्रतिशत

 


खतरे में जलाशय


प्रत्येक वर्ष 2-3 प्रतिशत जलाशय तेजी से लुप्त हो रहे हैं
50 वर्षों में उत्तर भारत से 70 प्रतिशत जलाशय और झीलें खत्म हो चुकी हैं
10 वर्षों में 33 प्रतिशत जलाशय शहरीकरण की प्रक्रिया की भेंट चढ़ गए हैं

 

राजधानी में कम होती संख्या

वर्ष 1965-86

वर्ष 2012-13

600

190

स्रोतः वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, दिल्ली पार्कस एंड गार्डनस सोसायटी

 

पेयजल कहाँ है सबको मयस्सर


देश की आधी से अधिक आबादी के पास ही नल के माध्यम से पानी पहुँच पाता है। वहीं एक तिहाई आबादी के पास ही शुद्ध और सुरक्षित पेयजल की पहुँच है।

जरूरत


- वर्ष 2025 तक देश की 1.4 अरब आबादी को 72.81 अरब क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होगी।
- प्रत्येक वर्ष प्रति व्यक्ति 52 हजार लीटर पानी की जरूरत होगी।
- पानी की जरूरतों में प्रति व्यक्ति 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी।

देश में मौजूदा हालात


- 43.6 प्रतिशत परिवारों के पास नल का पानी उपलब्ध।
- 32 प्रतिशत परिवारों के पास ही ट्रीट पानी की पहुँच।
- देश के 24.67 प्रतिशत परिवारों में से 10.74 करोड़ परिवारों तक ही पहुँच रहा है जल।
- 78.88 प्रतिशत ट्रीटेड नल और 28.54 प्रतिशत नलों को ट्रीट किये बिना पानी की आपूर्ति

गाँव और शहर


- शहर के प्रत्येक 7वें परिवार तक साफ पानी पहुँचता है। गाँव में महज दो परिवार को ही यह सुविधा नसीब है।
- शहरी परिवारों की तुलना में गाँव के तीन गुणा ज्यादा परिवार अनट्रीटेड पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

स्रोतः एमओएसपीआई

Path Alias

/articles/isa-barasaata-paanai-kao-bacaanae-kai-karaen-kavaayada

Post By: Hindi
×