हरहट नारि बास एकबाह, परुवा बरद सुहुत हरवाह।
रोगी होइ होइ इकलन्त, कहैं घाघ ई विपत्ति क अन्त।।
भावार्थ- कर्कशा स्त्री, अकेले का घर, पराया बैल, आलसी हलवाहा, रोगी होकर अकेले रहना, घाघ कहते हैं कि इससे बढ़कर और कोई विपत्ति नहीं होगी।
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