दिल्ली में बाड़ा हिन्दू राव इलाके में स्थित एक मुगलकालीन बावड़ी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने फिर से जिंदा करने का मन बना लिया है। यह बावड़ी फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में 1354 में बनवाई गई थी। हालांकि अब इस बावड़ी का उपयोग यहां की स्थानीय आबादी और स्थानीय सरकारी अस्पताल कूड़ाघर के तौर पर ला रही है। अचरज है कि इस बावड़ी में स्थानीय सरकारी अस्पताल बाड़ा हिन्दू राव का जैविक-अजैविक कचरा धड़ल्ले से डाला जा रहा है।
दरअसल, एएसआइ ने यह फैसला लिया है कि वह ऐतिहासिक इमारतों को बचाने के अलावा पारंपरिक बावड़ियों का संरक्षण और उसका पुनरुद्धार भी करेगी। इसी क्रम में एएसआइ ने हिन्दू राव बावड़ी के जल का संरक्षण वर्षा जल (रेनवाटर हार्वेस्टिंग) संचयन तकनीक के जरिए करना तय किया है। एएसआइ इस काम को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की सहायता से अंजाम तक पहुंचाएगा।
एएसआइ के एक अधिकारी ने बताया कि वे अस्पताल के अधिकारियों से संपर्क में हैं और अस्पताल के प्रशासकीय अधिकारी से यह अनुरोध भी किया है कि बावड़ी में अस्पताल का कचरा न जाए इसके लिए ढलान की दिशा बदली जाए। बावड़ी के इर्द-गिर्द बनी दीवार पर खूब सारे बड़े-बड़े पेड़ और खर-पतवार उग आए हैं। एएसआइ ने वन विभाग से इसकी सफाई के मद्देनजर पेड़ों की कटाई की इजाजत मांगी है।
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