हिमालयी राज्यों में पर्यावरण के अनुरूप बनेगी पर्यावरण नीति

हिमालयी राज्यों में पर्यावरण के अनुरूप बनेगी पर्यावरण नीति
हिमालयी राज्यों में पर्यावरण के अनुरूप बनेगी पर्यावरण नीति

पर्यावरण संरक्षण के लिए हिमालयी प्रदेशों में गठित ‘हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद’ उत्तराखंड समेत 12 हिमालयी प्रदेशों में पर्यटन नीति भी तय करेगी। जिसमे पर्यावरण के अनुरूप पर्यटन नीति को बनाया जाएगा। इसके लिए हिमालयी राज्यों में समन्वित व सतत विकास के पांच ज्वलंत विषयों पर गहन अध्ययन किया जा रहा है।

भारत में उत्तराखंड सहित 12 हिमालयी राज्य हैं। इन सभी राज्यों की प्राकृतिक सुंदरता करोड़ों देशी और विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। शहर के भागदौड़ और थकावट भरे जीवन में कुछ पल सुकून के जीने के लिए लोग छुट्टियों में हिमालयी राज्यों का रुख करते हैं। इससे इन राज्यों में रोजगार की बहार तो आती ही है, साथ ही पर्यटक इन राज्यों के लिए  समृद्धि के अवसर भी लेकर आते हैं। हालाकि जैसे जैसे पर्वतीय राज्यों के दुर्गम इलाके या कहीं कहीं दुर्गम पर्यटन स्थल सड़क मार्ग से जुड़ते जा रहे हैं और पहाड़ों पर पर्यटकों को रहने खाने सहित विभिन्न प्रकार की सुविधाएं मिल रही हैं। ऐसे में हर साल पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है, किंतु पर्यटकों की बढ़ती संख्या और समृद्धि के अवसर के बीच पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों को पर्यावरण का संरक्षण काफी चिंतित करता था। 

दरअसल पूरी दुनिया वायु प्रदूषण की चपेट में है। भारत की स्थिति वायु प्रदूषण के कारण भयावह है। यहां पर्वतीय राज्यों में वाहनों की संख्या बढ़ने से बीते कुछ वर्षों की अपेक्षा प्रदूषण में काफी वृद्धि दर्ज भी की गई है। जिस कारण पर्यावरणविद और वैज्ञानिक काफी चिंतित रहते थे। उनका चिंतित होना लाजमी भी है, क्योंकि पर्वतीय इलाके ही संपूर्ण भारत सहित पूरे विश्व को प्राण रूपी शुद्ध वायु/हवा देने का कार्य करते हैं। किंतु बढ़ते पयर्टन के कारण काफी अधिक संख्या में वाहन पहाड़ी इलाकों में पहुंचने लगे हैं। यहां तक कि कई इको-सेंसिटिव इलाकों तक भी वाहन पहुंच रहे है। जिस कारण पर्यावरण पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसे में गौर करने वाली बात ये है कि हिमालयी राज्यों में पर्यावरण के अनुरूप पर्यटन नीति तक नहीं थी, लेकिन अब ऐसा ज्यादा समय तक नहीं रहेगा।

विस्तृत अध्ययन करने के बाद हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद हिमालयी राज्यों की भौगोलिक, सामाजिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार पर्यटन नीति तैयार करेगी। वैज्ञानिक पर्यावरण हित से जुड़े मुद्दों को केंद्रीय स्तर पर मजबूती से रख सकेंगे। इस पूरे कार्य मे हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद ही नोडल एजेंसी भी रहेगी। इस मुहिम में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कटारमल में स्थित राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान अहम भूमिका में रहेगा। इस मुहिम में एक खास बात यह भी है कि इंटरनेशनल सेंटर फाॅर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (इसीमोड) काठमांडू (नेपाल) के वैज्ञानिक भी साथ मिलकर काम करेंगे। सभी हिमालयी राज्यों के अध्ययन के बाद ही रिपोर्ट पेश की जाएगी।  

 

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Post By: Shivendra
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