हाईटेक की राह

मां गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 2037 करोड़ की जो धनराशि आवंटित की गई है, उससे बनारस, इलाहाबाद, कानपुर से हरिद्वार तक मां को गंगा का निर्मलीकरण करने का काम भी शुरू हो गया। काशी, कानपुर, इलाहाबाद सहित अन्य घाटों की सफाई के लिए भी 100 करोड़ खर्च करने की योजना है। इलाहाबाद से हंडिया-संतरविदासनगर भदोही-बनारस-पटना-कोलकाता होते हुए हल्दिया तक 1620 किमी जलमार्ग बनाकर पानी का जहाज चलाने की भी योजना है। इस योजना में यात्री के साथ-साथ मालवाहक जहाज भी चलेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल के विकास को लेकर काफी संजीदा है। अपने वायदे के मुताबिक उन्होंने पूर्वांचल को हरा-भरा बनाने के साथ यहां के लोगों की रोजी-रोटी चलती रहे, इसके लिए विकास का रोडमैप तैयार किया है।

योजना के मुताबिक दो दर्जन से अधिक बड़े डेवलपर पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों में इंडस्ट्री लगाने के लिए जगह तलाश ली है। जबकि प्रशासनिक तंत्र ने भी प्रधानमंत्री के विकासरूपी रोडमैप को अंतिम रूप में देने में दिन-रात एक कर दिया है।

प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 20 लाख से भी अधिक लोगों की दो जून की रोटी मुहैया कराने वाले कालीन, साड़ी, हैंडलूम, काष्ठ व खिलौना उद्योग सहित अन्य कुटीर उद्योगों की बदहाली दूर करने के वास्ते मास्टर प्लान तैयार किया है।

विदेशियों को बनारस के घाट, तीर्थस्थल, सारनाथ की बोध प्रतिमा व गंगा आरती ही नहीं पूरी दुनिया में हाथ से बनी बलबूटेदार कालीने व साड़ियां भी आकर्षित कर सकती हैं। इसीलिए टेक्सटाइल टूरिज्म के रूप में विकसित कर पर्यटकों को लुभाने के साथ ही अच्छा व्यापार करने की योजना है।

मास्टर प्लॉन बनाने वाले अधिकारियों की मानें तो गाजीपुर को एग्रो बेस इंडस्ट्री व सर्विस टाउन, डाला, पिपरी, रेनुकोट, ओबरा, चोपन, शक्तिनगर, रिहंदनगर के इलाकों में नए इंडस्ट्रियल कलस्टर के अलावा दर्जन भर वाटर फॉल व प्राकृतिक सौंदर्यता वाले इलाकों को संसाधनयुक्त बनाने, भदोही में मेगा मार्ट व बनारस में हस्तकला उत्पाद केंद्र की स्थापना कर वस्त्र पर्यटक केंद्र तथा जौनपुर के शाहगंज क्षेत्र को बेहतर टाउन के रूप में विकसित करने की योजना है।

नए मास्टर प्लान में इंडस्ट्रीज और टूरिज्म के लिए दर्जन भर कलस्टर विकसित करने के अलावा बढ़ती आबादी के लिए मूलभूत सुविधाओं को रखा गया है। पर्यटकों के लिए सुवेनेयर शॉप यानी जहां यादगार सामान बिकते हों और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर भी स्थापित करने की योजना है।

मंदी सहित अन्य समस्याओं से जूझ रहे कालीन व साड़ी बुनकरों तथा कारोबारियों को उबारने के लिए काम शुरू हो गया है। शिल्प म्यूजियम के लिए सारनाथ व राजातालाब में जमीन खोजी गई है। इसमें बुनकरों के कल्याण व हथकरघा क्षेत्र प्रोत्साहन के लिए व्यापार सुविधा केंद्र व हैंडीक्रॉफ्ट म्यूजियम निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपए का प्रावधान है। इससे न सिर्फ गरीब बुनकर मजदूरों का पलायन रुकेगा, बल्कि वाराणसी व भदोही में मेगा कलस्टर की स्थापना से वस्त्र उद्योग को भी बढ़ा मिलेगा।

व्यापार सुविधाकरण केंद्र व शिल्प संग्रहालय की स्थापना अंगुलियों की जादू लगाने वाले इलाके के बुनकरों के लिए सरकार की बड़ी सौगात है। ट्रेंड सेंटर का विकास इस तरीके से होगा कि बुनकरों को अपनी मेहनत का माल आधे-पौने दाम पर या फिर कई दिन की उधारी पर देने से मुक्ति मिल जाएगी।

ट्रेड सेंटर में बुनकरों का माल बिचौलियों की बजाय सीधे खरीदने की योजना है। इसके अलावा बनारस का लकड़ी खिलौना उद्योग जो बनारस के नक्शे से गायब हो चला है, को एकबार फिर म्यूजियम के रूप में विकसित करने की योजना है। जरी-जरदोजी, पाटरीज व पत्थर के आकर्षक दैनिक उपयोग की वस्तुएं-ड्राइंगरूम के सजावटी सामान, हैंडमेड वॉल पेटिंग आदि काशी की कभी पहचान रही, एक जगह नजर आएगी।

मीरजापुर और विंध्य क्षेत्र का संयुक्त मास्टर प्लान 2031 बनाया गया है। इसमें 15 वर्ग किमी क्षेत्र में कालीन इंडस्ट्री और विंध्य इलाके में नए टूरिस्ट सेंटर बनाया जाना है। भदोही के ज्ञानपुर व गोपीगंज इलाके को मिलाकर तैयार होने वाले मास्टर प्लान में 58 गांवों को शामिल किया गया है। इसके लिए फिजिकल सर्वे का काम शुरू होने के साथ ही सेटेलाइट मैपिंग नगर नियोजन विभाग को दिया गया है।

गाजीपुर को एग्रो बेस इंडस्ट्री व सर्विस टाउन के रूप में विकसित करने के लिए 2875 हेक्टेयर के रायुलेटरी क्षेत्र में 32 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है। इसमें शहर के बाहरी इलाकों में सभी सुविधाओं से युक्त मंडी, पालीटेक्निक, इंजीनियरिंग-उच्च शिक्षा केंद्र, स्टेडियम और ग्रीन बेल्ट का प्रावधान है।

वाराणसी की ही तरह यहां भी गंगा किनारे के 200 मीटर क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण पर प्रतिबंध रहेगा। डाला, पिपरी, रेनुकोट, ओबरा, चोपन, शक्तिनगर, रिहंदनगर के इलाकों में नए इंडस्ट्रियल कलस्टर बनाने के मद्देनजर 3450 वर्ग किमी का दायरा लिया गया है। इसमें दर्जनभर वाटर फॉल व प्राकृतिक सौंदर्यता वाले इलाकों में टूरिज्म बढ़ावा के मद्देनजर हर तरह की आधुनिक सुविधाएं मुहैया किया जाना है। जौनपुर में शाहगंज क्षेत्र को बेहतर टाउन के रूप में विकसित करने की योजना है।

वाराणसी-गाजीपुर 110 किमी मार्ग को फोरलेन बनाने की भी मंजूरी हो गई है और छह माह के भीतर काम शुरू हो जाएगा। मां गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 2037 करोड़ की जो धनराशि आवंटित की गई है, उससे बनारस, इलाहाबाद, कानपुर से हरिद्वार तक मां को गंगा का निर्मलीकरण करने का काम भी शुरू हो गया। काशी, कानपुर, इलाहाबाद सहित अन्य घाटों की सफाई के लिए भी 100 करोड़ खर्च करने की योजना है।

इलाहाबाद से हंडिया-संतरविदासनगर भदोही-बनारस-पटना-कोलकाता होते हुए हल्दिया तक 1620 किमी जलमार्ग बनाकर पानी का जहाज चलाने की भी योजना है। इस योजना में यात्री के साथ-साथ मालवाहक जहाज भी चलेंगे। इसके लिए कुल 4200 करोड़ राशि का प्रावधान है और छह साल के अंदर कार्य पूरा कर आवागमन शुरू करने की बात कहीं गई है।

जलमार्ग पर हर 30 किमी पर एक टर्मिनल व डैम भी बनाए जाएंगे। माना जा रहा है कि इससे यात्रियों व व्यापारियों का समय तो बचेगा ही भाड़ा में भी काफी किफायत होगी। इतना ही नहीं नमामि गंगे योजना का सर्वाधिक लाभ इलाहाबाद-बनारस के सहित पूरे पूर्वांचल का होगा। न सिर्फ टूरिज्म बढ़ेगा बल्कि माल ढुलाई भी आसान हो जाएगी।

बड़े जहाजों का आवागमन पश्चिम बंगाल से पटना के रास्ते तमाम पर्यटक स्थलों तक की पहुंचना आसान हो जाएगा। रेल व सड़क मार्ग से आधे दाम पर माल की ढुलाई होगी। बड़े जहाज से एक बार में 1000 टन माल ढोया जा सकता है। बड़े प्लांट मशीनरी जलमार्ग से आसानी से पहुंचाए जा सकते हैं। गंगा में हर वक्त पर्याप्त पानी होगा तो अविरल हिलोरे मारती लहरें पर्यटकों को लुभाएगी।

पूर्वांचल में एम्स की स्थापना से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को काफी सुविधाएं मिलेगी। किडनी ट्रांसप्लांट, हार्ट अटैक, कार्डियक सर्जरी, न्यूरो, बाईपास सर्जरी, समेत विभिन्न गंभीर रोगों की सर्जरी के लिए एम्स भेजे जाने वाले दो दर्जन से अधिक मरीज खुद की सांसे भगवान की मर्जी पर छोड़ देने को विवश होते हैं।

हैरानी होगी कि गंभीर रोगों से पीड़ितों के अलावा इसमें मरीज की संख्या होती है जिन्हें तत्काल इलाज की दरकार होती है। दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल दो दर्जन से अधिक मरीज पूर्वाचल के अस्पतालों में पहुंचते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ देते हैं। जो बनारस तक किसी तरह पहुंच जाते हैं, वहां भी चिकित्सकों की लापरवाही उन्हें नहीं बचा पाती।

बनारस जब स्मार्ट सिटी बनेगा तो न सिर्फ व्यापार बढ़ेगा बल्कि काफी संख्या मे लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। सारनाथ, गया व वाराणसी के बीच बौद्ध सर्किट बनने से भी काशी की महत्ता बढ़ेगी।

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