वाटर क्राइसिस के दौरान इमरजेंसी के लिए पेयजल निगम द्वारा दून में खोदे गए हैंडपंप जल संस्थान के मोटर पंप डकार गए। जल संस्थान ने नए ट्यूबवेल खोदने के बजाय हैंडपंप में मोटर पंप लगा दिए और सीधे पाइपलाइन से कनेक्ट कर दिया। ऐसे में कुछ दिन तो पानी की किल्लत से लोग बच गए लेकिन हैंडपंप से मोटर के जरिए पानी खींचने के कारण वाटर लेवल गिर गया और अब इनका उपयोग पब्लिक भी नहीं कर पा रही है।
51 हैंडपंप और डकारने की तैयारी
जल संस्थान ट्यूबवेल के खर्चे से बचने के लिए आसान तरीका अपना रहा है। हैंडपंप पर मोटर लगाने का खर्चा कम है, ऐसे में ट्यूबवेल की बजाय हैंडपंप पर मोटर लगाई जा रही हैं। अब राज्यभर में 51 (दून के 28) हैंडपंपों पर मोटर इनस्टॉल करने की तैयारी है।
44 लाख में लगेंगे मोटर पंप
राज्यभर के 51 और हैंडपंप में मोटर पंप इनस्टॉल करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इसका एस्टीमेट तैयार कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि 51 हैंडपंप पर मोटर पंप लगाने के लिए 44 लाख रुपये खर्च होंगे।
बिना परमिशन मोटर पंप लगाए
पेयजल निगम द्वारा शहरभर में हैडपंप लगाए गए थे। इनका उपयेग पब्लिक पानी की किल्लत के दौरान आसानी से कर सकती थी। ये बेहतर काम भी कर रहे थे। इसके बाद 150 हैडपंप पर जल संस्थान द्वारा मोटर पंप इनस्टॉल कर दिए गए और पानी मोटर के जरिए खींचा जाने लगा और इसकी सप्लाई पेयजल लाइनों से कई इलाकों को की जाने लगी। क्षमता से ज्यादा पानी खींचे जाने के कारण वाटर लेवल नीचे गिर गया। इसके लिए पेयजल निगम से परमिशन लेने की जरूरत भी जल संस्थान ने नहीं समझी।
गिर गया वाटर लेवल
क्षमता से ज्यादा पानी खींचे जाने के कारण हैंडसेटपंप तो बेकार हो ही रहे हैं, वाटर लेवल भी गिर रहा है। इसका असर केवल हैंडपंप तक सीमित नहीं है, उनके आसपास लगे ट्यूबवेल भी प्रभावित हो रहे हैं। वाटर लेवल गिरने के कारण ट्यूबवेल का वाटर डिस्चार्ज भी गिर रहा है। ऐसे में उन क्षेत्रों में भी अब पानी की किल्लत होगी जहां ट्यूबवेल सप्लाई है।
पानी की गुणवत्ता पर सवाल
जल संस्थान ने जिले में 150 हैंडपंपों पर मोटर पंप लगा दी। इसके लिए पेयजल निगम से अनुमति नहीं ली गई। हैंडसेटपंप में खराबी आती हैं तो जिम्मेदारी जल संस्थान की है। - जीतेंद्र देव, ईई, पेयजल निगम
हैंडपंपों पर मोटर लगाकर पाइपलाइनों के जरिये सीधे सप्लाई किए जा रहे पानी की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस पानी का क्लोरीनेशन नहीं किया जाता है, नहीं इसकी गुणवत्ता की जांच ही की जाती है। ऐसे में बिना ट्रीट किए हुए पानी सीधे घरों तक पहुंच रहा है, जिसे लोग पीने के उपयोग में ले रहे हैं। यदि कोई पानी की गुणवत्ता को लेकर जल संस्थान से शिकायत करता है, तो संस्थान हैंडपंप पेयजल निगम का होने का हवाला देता है और वहीं शिकायत करने को कहता है। ऐसे में क्वालिटी पर सवाल उठते हैं।
खराब हैंडपंप हादसे का सबब
पेयजल निगम द्वारा लगाए गए कई हैंडपंप वाटर लेवल गिरने के कारण बेकार हो चुके हैं। लेकिन इन्हें हटाया नहीं जा रहा है। कई हैंडपंप सड़कों के किनारे हादसों का सबब बने हुए हैं। माजरा, हल्राता रोड, कारगी रोड सहित कई इलाकों में ऐसे खतरे सड़क पर खड़े हैं। अक्सर इनसे वाहन टकराकर लोग चोटिल होते हैं। इनकी अब जरूरत नहीं है, अगर इन्हें मरम्मत की जाए, तो शायद ये पानी उगलने लगे लेकिन ऐसा भी नहीं किया जा रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा सुरक्षा को देखते हुए उन्हें हटाए जाने की मांग की गई है।
इन स्थानों पर लगे हुए हैंडपंप पर मोटरपंप
कौलागढ़, बालावाला, मोहनपुर, हसनगर, गणेशपुर, नहर रोड, राघव विहार, माजरी माफी, मोहकमपुर
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