सुरक्षा की दृष्टि से थोड़ा सा फेरबदल करके हम अपने घरों को ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं। जीवन अमूल्य है, अतः सावधनी बरतें।
(क) जहाँ तक सम्भव हो नया घर बनाने के लिये भूकम्प सुरक्षित भवन निर्माण तकनीक का प्रयोग करें। आश्वस्त रहें; तकनीक का उपयोग आपका बजट नहीं बिगाड़ेगा। साथ ही यह भी याद रखें कि आप सुरक्षा पर निवेश कर रहे हैं न कि व्यय
(ख) कुछ फेर-बदल करके पहले से बने घरों को भूकम्प सुरक्षित बनाया जा सकता है। इसे सुदृढ़ीकरण या रेट्रोफिटिंग कहते हैं। प्रशिक्षित अभियन्ता से अपने घर की जाँच करायें और उसे भूकम्प सुरक्षित बनायें
आश्वस्त रहें; भूकम्प सुरक्षा के लिये उपयोग में लायी जा रही तकनीक का उपयोग निर्माण की लागत को बहुत ज्यादा नहीं बढ़ायेगा। और फिर यह निवेश आपको अपने परिवार की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त भी तो करेगा। अब घर आपका स्वयं का है; थोड़ा सा निवेश व सुरक्षा या बचत व असुरक्षा, इस पर आखिरी फैसला तो आपको ही लेना है। भूकम्प सुरक्षित भवन निर्माण आज भवनों व अन्य अवसंरचनाओं को भूकम्प से सुरक्षित बनाने के लिये निर्माण की विशिष्ट तकनीकें उपलब्ध हैं और भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा इस हेतु रीति संहितायें व मार्गदर्शक सिद्धान्त भी जारी किये गये हैं। हममें से ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि इन रीति संहिताओं का उपयोग करके बनायी गई अवसंरचना हर भूकम्प में सुरक्षित खड़ी रहेगी और उसे भूकम्प से कभी कोई या किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। सच पूछें तो यह धारणा ठीक नहीं है। हाँलॉकि ऐसी संरचनायें निश्चित ही बनायी जा सकती हैं जो बड़े से बड़े भूकम्प में भी खड़ी रहें पर इन्हें बनाने के लिये भारी निवेश करना होगा और हर अवसरंचना के लिये इतना निवेश कर पाना किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये सम्भव नहीं है। ऐसे में अभियन्ताओं और वैज्ञानिकों के सामने निवेश व सुरक्षा के बीच संतुलन बनाये रखने की चुनौती होती है और सुरक्षा हेतु दिये जाने वाले सुझाव केवल यह सुनिश्चित करते हैं कि भूकम्प से मानव जीवन की क्षति न्यूनतम हो। अतः भूकम्प सुरक्षित भवन निर्माण तकनीक सुरक्षा व निवेश के बीच संतुलन व सामंजस्य लाने का प्रयास है जिसका उपयोग कर बनायी गयी अवसरंचनायें ध्वस्त होने से पहले बाहर निकलने के लिये पर्याप्त समय देंगी और साथ ही इनमें धराशायी होने से पहले स्पष्ट चेतावनी सूचक संकेत दिखायी देने लग जायेंगे। इनकी छत अचानक और एक साथ भरभरा कर नहीं गिरेगी। अतः भूकम्प सुरक्षित भवन निर्माण का तात्पर्य मानव जीवन की सुरक्षा से है न कि अवसंरचना के बिना किसी क्षति के सुरक्षित खड़े रह सकने से। |
(ग) घर के अन्दर भारी अलमारी व अन्य सामान रखने की रैकों के साथ ही अन्य गिर सकने वाली वस्तुओं जैसे टेलीविजन, कम्प्यूटर व फ्रिज को दीवार के साथ सुरक्षित बाँधे ताकि यह गिर कर किसी को चोट न पहुँचा सकें। याद रखें, भूकम्प में होने वाली ज्यादातर क्षति घरों के अन्दर रखे सामान के गिर कर टूट जाने के कारण ही होती है
(घ) भारी वस्तुयें अलमारी के निचले खानों में रखें; इससे संतुलन ठीक रहेगा व इनके एकदम से असंतुलित होकर गिरने की सम्भावना भी कम होगी। सुविधाजनक होने के कारण प्रायः उपयोग में आने वाले सामान को हम अलमारी के ऊपरी खानों में रखते हैं। ऐसे में बच्चे किताबों को अलमारी के ऊपरी खानों में रख सकते हैं। भारी किताबों के ऊपरी खानों में रखे होने की वजह से अलमारी के असंतुलित होकर गिर सकने की सम्भावना बढ़ जायेगी
याद रखें, भूकम्प में होने वाली आर्थिक क्षति का सबसे बड़ा कारण भवनों के अन्दर रखे सामान का गिर जाना होता है। |
(ङ) ज्वलनशील पदार्थों (खाना बनाने की गैस, पेट्रोल, मिट्टी तेल इत्यादि) का घर के अन्दर अधिक मात्रा में भण्डारण न करें
कृपया आज ही देखें कि आपके पास कितने गैस सिलेन्डर हैं और उन्हें आपने कहाँ रखा है? |
(च) भारी टाँगने वाला सामान लेटने व बैठने के स्थानों से दूर रखें। भूकम्प के समय यह गिर कर क्षति पहुँचा सकता है
प्रायः देखा गया है कि आपदा के समय महत्त्वपूर्ण अभिलेखों व अन्य को ढूँढने में हुयी देरी के कारण व्यक्ति आपदा की चपेट में आ जाता है। विशेष रूप से आग की स्थिति में कई बार व्यक्ति पहले तो सुरक्षित निकल जाता है परन्तु कुछ मूल्यवान वस्तुओं या परिजनों को बचाने के लिये वह फिर से खतरे का सामना करने का निर्णय ले लेता है। प्रायः यही एक निर्णय आत्मघाती सिद्ध हो जाता है। क्या आपके घर में रेडियो रेडियो है? क्या यह बैटरी से चलता है? आपने आखिरी आखिरी बार इसकी बैटरी कब बदली थी? क्या यह काम कर रहा है? आपने आखिरी बार अपने इस रेडियो पर कोई प्रसारण कब सुना था? क्या आपके पास काम में आ सकने लायक अतिरिक्त बैटरी है? |
(छ) बिस्तर के नजदीक की खिड़कियों पर पर्दे डाल कर रखें ताकि भूकम्प के कारण टूटे शीशे के टुकड़े नुकसान न पहुँचा सकें
(ज) आवश्यक वस्तुयें जैसे कि नगदी, भूमि या सम्पत्ति के दस्तावेज, पासपोर्ट आदि एक साथ अलग से रखें, ताकि आपातकालीन स्थिति में घर छोड़ते समय इन्हें ढूँढने में समय बर्बाद न हो
(झ) भूकम्प के बाद 2-4 दिन घर पर ही रहना पड़ सकता है। क्या आपके पास इस अवधि के लिये पर्याप्त खाना व पानी है?
(ञ) आपदा की स्थिति में बैटरी से चलने वाले टॉर्च व रेडियो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं क्योंकि भूकम्प के बाद बिजली की आपूर्ति का बाधित होना निश्चित है। रेडियो के बिना आप प्रसारित की जा रही जानकारियों से वंचित रह जायेंगे
कहीं धरती न हिल जाये (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें) |
|
क्रम |
अध्याय |
1 |
|
2 |
|
3 |
|
4 |
|
5 |
|
6 |
|
7 |
|
8 |
|
9 |
|
10 |
|
11 |
|
12 |
भूकम्प पूर्वानुमान और हम (Earthquake Forecasting and Public) |
13 |
|
14 |
|
15 |
|
16 |
|
17 |
|
18 |
|
19 |
|
20 |
/articles/ghara-kao-adhaika-saurakasaita-banaayaen