सारांश
घोड़ा कटोरा झील मीठे एवं वर्षाजल से भरी, राजगीर(जिला-नालन्दा) के पास स्थित है। यह झील अब पर्यटक स्थल के रूप में जानी जाती है। यहाँ किसी प्रकार की जीव हत्या वर्जित है। कालान्तर में यह पक्षी विहार का रूप ले चुका है। यहाँ पर विचरण करने वाले 37 पक्षियों का एक वर्ष तक के साप्ताहिक अवलोकन का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
Abstract
Ghora-Katora, a fresh water lake located near Rajgir of Nalanda District in Bihar is now a well known tourist place having beautiful natural habitat with well protected fauna and flora. It has now been developed as a bird sanctuary. About 37 species of birds including 8 migratary have been observed to inhabit the area during different seasons of the year.
प्रस्तावना
विश्व की जितनी भी पक्षी की जातियाँ पायी जाती है उनमें से चैदह प्रतिशत भारत में निवास करती है। भारत जैविक सम्पदा का बहुत बड़ा भाग है। भारतीय उपमहाद्वीप में इनकी 1300 जातियाँ पायी जाती है। इनमें से कई पक्षी प्रवास यात्रा करते हुए घोड़ा कटोरा झील की ओर नियमित तथा मौसम के अनुसार आते हैं और कुछ समय बाद दूसरे भौगोलिक क्षेत्र की ओर पलायन कर जाते हैं। इस तरह का आवागमन इस क्षेत्र (झील) में पूरे वर्ष लगा रहता है।
प्रयोग विधि एवं संसाधन
घोड़ा कटोरा झील में उपस्थित पक्षियों का साप्ताहिक अवलोकन द्विनेत्री दूरबीन की सहायता से फरवरी 2010 से जून 2012 तक किया गया। अवलोकन के लिये प्रातःकाल के सूर्योदय के चार घण्टे एवं सूर्यास्त के दो घण्टे का समय लगाया गया। इस समय भोजन की खोज में पक्षी अत्यधिक क्रियाशील देखे गये। पक्षियों की पहचान में उनके आकार, चोंच, पंख, पंजा इत्यादि को आधार मानकर नोटबुक में उनकी जाति तथा संख्या कासमावेश किया गया। इस कार्य के लिए झील के विभिन्न कोणों का अवलोकन किया गया। प्रातः काल में पर्यटक के कम आवागमन के कारण अधिकांश पक्षी स्वतंत्र एवं निर्भय रूप से विचरण करते देखे गये हैं। दिन में पर्यटकों का आवागमन बढ़ जाने के कारण अधिकांश पक्षी उड़ जाते हैं या आस-पास वृक्षों या पहाड़ों की ओर जा कर विश्राम करने लगते हैं। ऐसे समय पर इनका सही अवलोकन संभव नहीं है पर शाम ढलने पर पुनः रंग-बिरंगे पक्षी झील में पहुँच जाते हैं। इनमें से बहुत सारे पक्षियों के चित्र भी लिये गये, जिसकी सहायता से उन्हें पहचाना गया। इसमें से अधिकांश पक्षियों को पूरे वर्ष नहीं देखा गया। इन पक्षियों की सही पहचान के लिए उपलब्ध साहित्य का सहारा लिया गया।
सारणी-1 अवलोकित पक्षियों की सूची
क्र.सं. | वैज्ञानिक नाम | हिन्दी नाम | उपस्थिति |
1. | ऐनडिंगा रूफा (डाउडिन) | पनडुब्बी | - |
2. | फैलेकोरैक्स नाइजर (बीलट) | पनकौवा | - |
3. | आर्डिया सिनेरिआ (लिनीअस) | अंजन | - |
4. | प्लैटेलिया ल्यूकोरोडिया (रियनीगस) | चमचवाज | + |
5. | एग्रेटा गारजेटा (रियनीयस) | किलचिया वगला | + |
6. | एग्रेटा गूलेरिस (वोस्क) | कालावगला | + |
7. | पेरियकैनस फिलीपेन्सिस (गैमेलिन) | हवावील | + |
8. | नैटटा रूफाइना (पेलास) | लाल चोंच | ++ |
9. | रोडोनेसा कैरिओफिलेसिआ (लैथम) | गुलाबसिर | ++ |
10 | ऐथिया फ्यूलिगुला (लिनीयस) | रहवर | ++ |
11 | ऐनस पेनीलोप (लिनीयस) | छोटा लायसिर | + |
12 | ऐनस स्ट्रेपेरा (लिनीयस) | वेखुर | - |
13 | ऐनस प्लैटीरिक्स (लिनीयस) | नीलसिर | ++ |
14 | ऐनस क्रेका (लिनीयस) | छोटी मुर्गखी | ++ |
15 | ऐनस क्यूरक्यूडुला (लिनीयस) | चेतवा | + |
16 | ऐनस एक्यूटा (लिनीयस) | डिगोंच | ++ |
17 | टेडोर्ना फेसजिनिआ (पैलास) | डिगोंच | ++ |
18 | पोडिसेप्स रूफीकोलिस (पैलास) | पण्डुब्बी | ++ |
19 | ऐथ्रिया नाडरोका (गोल्डेन स्टेट) | कुर्यिया | ++ |
20 | ऐनस क्लाइपिएटा (लिनीयस) | पुनन | + |
21 | ऐनस पीरिनलोरिका (फार्स्टर) | गुगरल | + |
22 | सर्किडिओर्निस मेलैनोटस (पेनैन्ट) | नक्ता | ++ |
23 | नेप्टेपस कोरो मैन्डेलिएमस (गैमेलिन) | गुड़गुड़ा | - |
24 | अंसर इन्डिकस (लैथम) | राजहंस | + |
25 | फोनिकोप्टेरस रोसियस (पैलेस) | बोगहंस | + |
26 | व्यवत्कस आइविस (लिनीयस) | पशुबगुला | - |
27 | बूटराइडेस स्ट्रिएटस (लिनीयस) | क्रांच बंगला | - |
28 | आर्डियोला ग्रेयाई (साइक्स) | अंधा बगला | - |
29 | निक्टीकोरक्स निक्टीकोरक्स (लिनीयस) | कोकरई | + |
30 | इक्सोब्राइक ससिनेमोलियस (गैमोलिन) | लाल बंगला | - |
31 | सिकोनिया एपिस्कोपस (वाडैर्ट) | मनिक जोर | ++ |
32 | सिकोनिया सिकोनिया (लिनीयस) | जगलग | ++ |
33 | स्यूडिविस पैगीलोसा (टेयिक) | कालाबाज | ++ |
34 | थ्रेस्किओर्निस मेलैनोसेफैला (लैथम) | मुंड | + |
35 | जीनोरिंकस एशिएिटिक्स (लैथम) | लोहा सांरग | + |
36 | आइविस ल्याकोसेफैलस (पेनैन्ट) | जंघिल | + |
37 | एनस्टोयस आस्टिनैन्स (वाडेर्ट) | घोघिस | - |
संकेत
केवल एक बार देखे गये।
+ केवल जाड़े के मौसम में देखे गये।
* गर्मी को छोड़कर शेष पूरे वर्ष देखे गये।
++ पूरे वर्ष देखे गये।
- अधिसंख्य आबादी पूरे वर्ष देखे गये।
परिणाम व विवेचना
झील के विभिन्न भागों से किये गये अवलोकनों को एकत्रित करके प्रति सप्ताह सारणीबद्ध किया गया। अवलोकन में केवल जल पक्षियों का ही समावेश किया गया है। इसमें साइबेरियन पक्षी सबसे प्रमुख है। अतः कई क्षेत्रीय सामान्यतः पाये जाने वाले पक्षी को सूचीबद्ध नहीं किया गया है। जिन पक्षियों का अवलोकन किया गया उसे सारणी-1 में प्रस्तुत किया गया है।
यह झील बुद्धकालीन मानी गयी है जो कि 2500 वर्षों पूर्व अस्तित्व में आई। हाल ही में इसे पर्यटक स्थान बना दिया गया, इसका जल का स्रोत वर्षा पर आधारित है। गर्मी के दिनों में जलस्तर कम जाता है। या सूखने के कगार पर आ जाता है। इस झील का जल मीठा तथा अप्रदूषित है, आये दिन यहाँ नौका विहार भी किया जाता है। यहाँ पर मूर्ति विसर्जन, दीपदान, कपड़ा साफ करना, गाय बैल धोना तथा आखेट इत्यादि प्रतिबंधित है। प्रारम्भ में जैन तथा बौद्ध श्रद्धालु इस झील में स्नान कर यहाँ की मिट्टी को ले जाते थे।
निष्कर्ष
प्राचीन काल से मानवीय गतिविधियों से अछूती यह झील प्राकृतिक जलीय, पर्यावास का एक अनूठा नमूना है। इसका पारितंत्र पूर्ण रूपेण अप्रदूषित है, आये दिन यह झील पक्षियों का आश्रय स्थल का रूप ले चुका है। हमारे प्रस्तुत अध्ययन में 37 प्रजातियों की उपस्थिति पायी गई है, जिनमें से लगभग 8 प्रवासी प्रतीत होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि भारत ही नहीं यह विश्व को जैविक संपदा के संरक्षण में की गई अनूठी भूमिका है। मानव के अस्तित्व के लिये पर्यावरण संरक्षण अत्यंत ही आवश्यक है।
संदर्भ
1. अली, सलीम(1985) भारतीय पक्षी; हरियाणा, साहित्य अकादमी चण्डीगढ़ द्वारा हिन्दी अनुवाद (अनुवादक रामकृष्ण सक्सेना)।
2. रहमानी, असद रफी(2006) हमारे पक्षी; प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली (अनुवादक देवेन्द्र मेवाड़ी)।
नन्दजी कुमार तथा विकास कुमार प्रभात
स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, गया(बिहार)-824234, भारतकुलपति, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, गया (बिहार) kumarnandjee@rediffmail.com, kumarnandjee@gmail.com
Nandjee Kumar1 and Vikash Kumar Prabhat
Department of Botany, Magadh University, Bodhgaya, Gaya(Bihar)-842434, India1Vice Chancellor, Magadh University, Bodhgaya, Gaya (Bihar)kumarnandjee@rediffmail.com, kumarnandjee@gmail.com
/articles/ghaodaa-kataoraa-jhaila-raajagaira-naalanadaa-adarasa-pakasai-vaihaara-eka-vaivaecanaa