घेरेंगे संसद, दिल्ली करेंगे जाम

यमुना मुक्ति यात्रा के तहत आंदोलनकारी दिल्ली पहुँचकर संसद और जंतर-मंतर का घेराव करेंगे। कहना है आंदोलन का एक अहम हिस्सा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र प्रसाद शास्त्री का उन्होंने कहा कि दिल्ली पहुंचने पर हमारे साथ लाखों का कारवाँ होगा। केंद्र सरकार को हमारे सामने झुकना ही होगा। आंदोलनकारी इस बार केंद्र सरकार को यमुना में पानी की अविरल प्रवाह के लिए मजबूर करेंगे। यमुना तो मात्र प्रतीक है। देश की सभी नदियों के उद्गम स्थल से चले जल का 50 फीसदी जल के हमेशा अविरल प्रवाह के लिए लिखित समझौता किया जाएगा। केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि ‘जलनीति’ में इसका प्रावधान किया जाए। हथिनी बांध से 141 किमी आगे तक यमुना और गंगा उद्गम स्थल से 115 किमी तक गंगा सूखी पड़ी है। बांधों से बिजली पर किसी को आपत्ति नहीं, लेकिन निजी कंपनियां पानी बेच कर भारी मुनाफ़ा कमा रही हैं और यमुना के खादर में जंगली पशु नीलगाय, जंगली सुअर पानी के अभाव में लुप्त होते जा रहे हैं।

उन्होंने 2011 के कटु अनुभवों को याद दिलाते हुए बताया कि वर्ष 1999 में उच्चतम न्यायालय ने यमुना में 10 क्यूमैक्स पानी अनवरत छोड़ने का निर्णय दिया था। निर्णय के बावजूद 12 वर्ष तक कोई पानी नहीं छोड़ा गया। इसलिए हमने दो साल पहले दो मार्च, 2011 से लेकर 15 अप्रैल 2011 तक ‘किसान बचाओ, यमुना बचाओ’ का आंदोलन किया।

74 किसानों और साधु-संतों के 15 दिन जंतर-मंतर पर अनशन और हजारों के धरना देने के बाद सरकार के साथ वार्ता हुई। यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी, तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, जल संरक्षण मंत्री सलमान खुर्शीद से आंदोलनकारियों की बातचीत हुई। सरकार ने यमुना में 10 क्यूमैक्स पानी छह मई, 2013 को छोड़ा था और तिगुना पानी छोड़ने का वायदा किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने आंदोलनकारियों के लौट जाने पर पानी नहीं छोड़ा। जनता के विश्वास को छला गया।

आंदोलनकारियों के तेवरों से हरियाणा की चिंता बढ़ी


यमुना मुक्ति यात्रा में शामिल आंदोलनकारियों में दिल्ली के साथ हरियाणा सरकार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। पानी के मुद्दे पर पहले ही प्रदेश सरकार के दिल्ली व पंजाब से तकरार रहती है। ऐसे में हरियाणा पर यमुना में पानी छोड़ने के लिए दबाव बढ़ सकता है। आंदोलनकारी पद-यात्रा को दिल्ली से हथिनीकुंड बैराज तक ले जा सकते हैं। ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि यात्रा को दिल्ली में प्रवेश से पूर्व ही रोक लिया जाए। आंदोलनकारियों के तेवरों को देखते हुए दिल्ली से अधिक हरियाणा सरकार की चिंता बढ़ गई है।

ऊपर से दिल्ली के लिए पानी छोड़ने का दबाव गर्मी के सीजन में हरियाणा पर रहता है। आंदोलनकारियों के तेवर तीखे होते जा रहे हैं और उनके द्वारा यमुना में पानी छोड़ने की मांग की जा रही है। माना जा रहा है कि संतों व आंदोलनकारियों दबाव में केंद्र हरियाणा को यमुना के प्रवाह को जीवित रखने के लिए पानी छोड़ने के निर्देश दे सकती है।

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