दुनिया में अन्य त्योहारों के अनुसार अब पर्यावरण हितैषी क्रिसमस मनाने के प्रयास किये जाने चाहिए। यूरोपीय देशों में क्रिसमस के त्यौहार के मौके पर बहुत कचरा पैदा होता है। स्थानीय प्रशासन को भी भारी मेहनत करनी पड़ती है। पर्यावरण हितैषी क्रिसमस के लिए उपहारों में कम पैकिंग सामग्री, सजावट हेतु स्थानीय सामग्री को प्राथमिकता, कम बधाई पत्रों का प्रयोग, लीड बल्बों से सजावट आदि जैसे प्रयासों को अधिक अपनाने की जरूरत है। 25 दिसंबर का दिन दुनिया में क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने की तैयारियाँ महीनों पहले शुरू हो जाती हैं। अन्य त्योहारों की भांति अब ग्रीन या पर्यावरण हितैषी क्रिसमस मनाने के प्रयास दुनिया भर में जारी है। क्रिसमस खुशी एवं भाईचारे का त्यौहार है- जब क्रिसमस वृक्ष सजाया जाता है एवं उपहार तथा बधाई पत्र दिये जाते है। यूरोपीय देशों के कई शहरों में इस त्यौहार पर अब इतना कचरा पैदा होता है कि इसके निपटान हेतु स्थानीय प्रशासन को भारी मेहनत करना होती है। एक अध्ययन अनुसार वर्ष 2007 में लंदन में इस त्यौहार पर 30 लाख टन कचरा पैदा हुआ था जिसमें 70-75 प्रतिशत भाग प्लास्टिक का था। सबसे ज्यादा कचरा उपहारों की पैकिंग सामग्री से फैलता है जो ज्यादातर जैव विघटनकारी नहीं होता है। कुछ खिलौनों के उपहार में पैकिंग सामग्री का वजन खिलौने के भार से दो या तीन गुना पाया गया।
इम्पीरियल कॉलेज, लंदन द्वारा किये गए एक अध्ययन अनुसार ब्रिटेन में फेंके गए कागज़ व बधाई पत्रों को एकत्र कर यदि जैव ईंधन बनाया जावे तो उसकी मात्रा इतनी होगी कि डबल डेकर बस से चंद्रमा की बीस यात्राएं संभव है। अकेले ब्रिटेन के लोगों द्वारा लगभग दो अरब बधाई पत्र उपयोग में लाये जाते हैं। इन बधाई पत्रों में उपयोगी कागज़ 83 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में लपेटा जा सकता है।
कचरे की समस्या से निजात पाने हेतु लंदन में ही कई निजी संगठनों एवं प्रशासकीय अधिकारियों ने जनता एवं दुकानदारों से निवेदन किया है कि वे कम पैकिंग सामग्री का उपयोग करे एवं जैव विघटनकारी सामग्री को प्राथमिकता दें। ग्लोबल वार्मिंग के चलते इस समय में क्रिसमस वृक्ष पर परंपरागत बल्बों के उपयोग को भी हतोत्साहित किया जा रहा है क्योंकि ये काफी अधिक बिजली की खपत करते है। न्यूयार्क की रॉकफेलर संस्था लोगों से आग्रह कर रही है कि क्रिसमस वृक्षों को लीड बल्बों से सजाया जाए क्योंकि इनकी बिजली खपत काफी कम होती है। अमेरिका के दस करोड़ परिवार यदि सजावट हेतु लीड बल्बों का उपयोग करें तो 90 लाख मेगावाट बिजली बचाई जा सकती है। इस बचत से 44 लाख टन कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन भी वायु मंडल में कम होगा।ब्रिटेन के पर्यावरण प्रेमियों ने कहा है कि क्रिसमस वृक्ष को जैव विघटनकारी वस्तुओं से सजाया जाए जैसे पापकार्न, मखाने, काजू, बादाम, किशमिश, गाजर, शलजम एवं सेव फल आदि। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध फल एवं सब्जियों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
फ्रेंड्स ऑफ अर्थ नामक संगठन ने अध्ययन कर बताया कि दुनियाभर में क्रिसमस पर्व पर लगभग 224 करोड़ बधाई पत्र भेजे जाते है। इन बधाई पत्रों हेतु यदि रिसायकिल्ड पेपर का उपयोग किया जावे तो लगभग तीन लाख वृक्ष बच सकते है। नीदरलैंड की टेंबो बैंक ने कुछ वर्षो पूर्व अपने ग्राहकों को क्रिसमस पर बधाई पत्र न भेजकर 24 टन कागज बचाया एवं परोक्ष रूप से 150 वृक्ष बचाये। वर्ष 2011 के क्रिसमस पर्व के पूर्व पेटा की महिला कार्यकर्ताओं ने कैलिफ़ोर्निया में जुलूस निकालकर लोगों से चमडे़ की वस्तुएँ नहीं खरीदने का आग्रह किया। चमड़े की वस्तुएं बनाने हेतु कई बेजुबान जीवों की बलि दी जाती है।
उपहारों में कम पैकिंग सामग्री या जैव विघटनकारी सामग्री का उपयोग, सजावट हेतु स्थानीय सामग्री को प्राथमिकता, छोटे एवं कम बधाई प़त्रों का प्रयोग, लीड बल्बों से सजावट एवं चमड़े की वस्तुओं की कम खरीददारी आदि कुछ ऐसे प्रयास है, जिन्हें अपनाकर क्रिसमस को ग्रीन क्रिसमस का स्वरूप प्रदान किया जा सकता है।
इम्पीरियल कॉलेज, लंदन द्वारा किये गए एक अध्ययन अनुसार ब्रिटेन में फेंके गए कागज़ व बधाई पत्रों को एकत्र कर यदि जैव ईंधन बनाया जावे तो उसकी मात्रा इतनी होगी कि डबल डेकर बस से चंद्रमा की बीस यात्राएं संभव है। अकेले ब्रिटेन के लोगों द्वारा लगभग दो अरब बधाई पत्र उपयोग में लाये जाते हैं। इन बधाई पत्रों में उपयोगी कागज़ 83 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में लपेटा जा सकता है।
कचरे की समस्या से निजात पाने हेतु लंदन में ही कई निजी संगठनों एवं प्रशासकीय अधिकारियों ने जनता एवं दुकानदारों से निवेदन किया है कि वे कम पैकिंग सामग्री का उपयोग करे एवं जैव विघटनकारी सामग्री को प्राथमिकता दें। ग्लोबल वार्मिंग के चलते इस समय में क्रिसमस वृक्ष पर परंपरागत बल्बों के उपयोग को भी हतोत्साहित किया जा रहा है क्योंकि ये काफी अधिक बिजली की खपत करते है। न्यूयार्क की रॉकफेलर संस्था लोगों से आग्रह कर रही है कि क्रिसमस वृक्षों को लीड बल्बों से सजाया जाए क्योंकि इनकी बिजली खपत काफी कम होती है। अमेरिका के दस करोड़ परिवार यदि सजावट हेतु लीड बल्बों का उपयोग करें तो 90 लाख मेगावाट बिजली बचाई जा सकती है। इस बचत से 44 लाख टन कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन भी वायु मंडल में कम होगा।ब्रिटेन के पर्यावरण प्रेमियों ने कहा है कि क्रिसमस वृक्ष को जैव विघटनकारी वस्तुओं से सजाया जाए जैसे पापकार्न, मखाने, काजू, बादाम, किशमिश, गाजर, शलजम एवं सेव फल आदि। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध फल एवं सब्जियों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
फ्रेंड्स ऑफ अर्थ नामक संगठन ने अध्ययन कर बताया कि दुनियाभर में क्रिसमस पर्व पर लगभग 224 करोड़ बधाई पत्र भेजे जाते है। इन बधाई पत्रों हेतु यदि रिसायकिल्ड पेपर का उपयोग किया जावे तो लगभग तीन लाख वृक्ष बच सकते है। नीदरलैंड की टेंबो बैंक ने कुछ वर्षो पूर्व अपने ग्राहकों को क्रिसमस पर बधाई पत्र न भेजकर 24 टन कागज बचाया एवं परोक्ष रूप से 150 वृक्ष बचाये। वर्ष 2011 के क्रिसमस पर्व के पूर्व पेटा की महिला कार्यकर्ताओं ने कैलिफ़ोर्निया में जुलूस निकालकर लोगों से चमडे़ की वस्तुएँ नहीं खरीदने का आग्रह किया। चमड़े की वस्तुएं बनाने हेतु कई बेजुबान जीवों की बलि दी जाती है।
उपहारों में कम पैकिंग सामग्री या जैव विघटनकारी सामग्री का उपयोग, सजावट हेतु स्थानीय सामग्री को प्राथमिकता, छोटे एवं कम बधाई प़त्रों का प्रयोग, लीड बल्बों से सजावट एवं चमड़े की वस्तुओं की कम खरीददारी आदि कुछ ऐसे प्रयास है, जिन्हें अपनाकर क्रिसमस को ग्रीन क्रिसमस का स्वरूप प्रदान किया जा सकता है।
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