सिजुआ। बाघमारा की मालकेरा दक्षिण पंचायत का बाड़ूघुटू गांव कभी पानी के लिए तरसता था, लेकिन अब वहां इसकी स्थाई व्यवस्था हो गई है। यह संभव हुआ ग्रामीणों के हौसलों और कड़ी मेहनत की बदौलत। उन्होंने खोदो नदी से गांव तक एक किमी. लंबा नाला बनाकर अपने गांव की तकदीर बदल दी।
ग्रामीणों के इस भगीरथ प्रयास का असर भी दिखने लगा है। कभी झाड़-झंखाड़ से भरे इस गांव में अब दूर-दूर तक हरियाली नजर आती है। गांव के तालाब लबालब भरे रहते हैं। खेतों में गेहूं, सरसों, हरी सब्जियां की फसलें लहलहा रही हैं। ग्रामीणों ने अपने हौसले के दम पर समाज के सामने मिसाल पेश की है।
बाड़ूघुटू के पास से गुजरने वाली खोदो नदी में सालों भर पानी रहता है। ग्रामीणों ने उसका पानी गांव तक पहुंचाने के लिए नदी के एक किनारे को काट डाला। फिर वहां से गांव तक खुदाई करते हुए बढ़े। एक महीने में एक किमी लंबा नाला तैयार हो गया और पानी गांव तक पहुंच गया। उसे तालाबों में जमा किया गया है। तालाबों के पानी से गांव के खेतों की भरपूर सिंचाई होने लगी और गांव में हरियाली छा गई।
ग्रामीणों का कहना है कि वहां पहले पानी की काफी किल्लत थी। उन्होंने खोदो नदी के पानी को गांव तक पहुंचाने के लिए नाला बनाने की योजना बनाई। कुछ ग्रामीणों ने खुदाई का काम शुरू किया। धीरे-धीरे लोग इससे जुड़ते गए। बच्चों से बुजुर्गों तक ने हाथ बंटाया, तो एक माह में ही नाला बनकर तैयार हो गया।
ग्रामीणों का प्रयास काफी सराहनीय है। मैं उनके हौसले को सलाम करता हूं। ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर मनरेगा के तहत जलाशयों को बड़ा और बेहतर बनाया जाएगा।
संजय, मुखिया, मालकेरा दक्षिण पंचायत
ग्रामीणों के इस भगीरथ प्रयास का असर भी दिखने लगा है। कभी झाड़-झंखाड़ से भरे इस गांव में अब दूर-दूर तक हरियाली नजर आती है। गांव के तालाब लबालब भरे रहते हैं। खेतों में गेहूं, सरसों, हरी सब्जियां की फसलें लहलहा रही हैं। ग्रामीणों ने अपने हौसले के दम पर समाज के सामने मिसाल पेश की है।
अब लबालब भरे रहते हैं गांव के तालाब
बाड़ूघुटू के पास से गुजरने वाली खोदो नदी में सालों भर पानी रहता है। ग्रामीणों ने उसका पानी गांव तक पहुंचाने के लिए नदी के एक किनारे को काट डाला। फिर वहां से गांव तक खुदाई करते हुए बढ़े। एक महीने में एक किमी लंबा नाला तैयार हो गया और पानी गांव तक पहुंच गया। उसे तालाबों में जमा किया गया है। तालाबों के पानी से गांव के खेतों की भरपूर सिंचाई होने लगी और गांव में हरियाली छा गई।
साझा प्रयास का नतीजा
ग्रामीणों का कहना है कि वहां पहले पानी की काफी किल्लत थी। उन्होंने खोदो नदी के पानी को गांव तक पहुंचाने के लिए नाला बनाने की योजना बनाई। कुछ ग्रामीणों ने खुदाई का काम शुरू किया। धीरे-धीरे लोग इससे जुड़ते गए। बच्चों से बुजुर्गों तक ने हाथ बंटाया, तो एक माह में ही नाला बनकर तैयार हो गया।
ग्रामीणों का प्रयास काफी सराहनीय है। मैं उनके हौसले को सलाम करता हूं। ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर मनरेगा के तहत जलाशयों को बड़ा और बेहतर बनाया जाएगा।
संजय, मुखिया, मालकेरा दक्षिण पंचायत
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