पेयजल आपूर्ति विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1अप्रैल 2009 को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (NRDWP) का शुभारंभ किया गया।
यह कार्यक्रम विभिन्न स्टेक होल्डरों के पूर्व प्रयासों से प्राप्त अनुभवों पर आधारित है एवं वर्तमान में संचालित समस्त ग्रामीण पेयजल योजनाओं को समेकित कर एक एकल (एकीकृत) कार्यक्रम के रूप में आरंभ करने का प्रयास किया गया है।
NRDWP (एनआरडीडब्ल्यूपी) का मुख्य उद्देश्य- भारत के समस्त ग्रामीण नागरिकों हेतु पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करना है। पेयजल सुरक्षा से तात्पर्य है कि प्रत्येक ग्रामीण को हर समय एवं (बाढ़ व सूखे सहित) सभी परिस्थितियों में पीने, भोजन बनाने एवं अन्य घरेलू आवश्यकताओं तथा मवेशियों हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध करना, सम्मिलित हैं।
गाँव में रहने वाले लोगों की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वे यह तय करें कि उनके पास कितना पानी उपलब्ध है व उसका उपयोग वे किस प्रकार करते हैं तथा पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें कौन से उपाय करने चाहिए। NRDWP के निर्देशों ने इसके महत्व को समझते हुए इस बात के प्रबंध किए गए हैं कि राज्य सरकारें, पेयजल सुरक्षा हेतु नियोजन, क्रियान्वयन संचालन, रख-रखाव एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी पंचायती राज संस्थाओं को सौप दें।
पेयजल सुरक्षा के लिए इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समुदाय का नेतृत्व एवं प्रतिनिधि के रूप में ग्राम पंचायतों को आगे आना चाहिए। ग्राम पंचायतों को ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से समाज को प्रेरित एवं शिक्षित करना चाहिए एवं यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पेयजल सुरक्षा हेतु उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहयोग प्राप्त हो। ग्रामसभा निर्णय लेने एवं योजनाओं की स्वीकृति (अनुमोदन) का एक मुख्य मंच है।
यही सही है कि ग्रामीण समुदाय यह सब अकेले प्राप्त नहीं कर सकते उनका सहयोग करने में विकासखंड संसाधन केंद्रों (BRCs), जिला एवं स्वच्छता मिशन (DWSMs), राज्य जल एवं स्वच्छता सहयोगी संस्थाओं (SWSSOs), तकनीकी संस्थाओं जैसे जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHEDs), प्रशिक्षण संस्थाओं जैसे राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (SIRDs), स्थानीय निजी संस्थाओं एवं एनजीओ आदि की महत्वपूर्ण भूमिका है।
अधिक जानकारी के लिए अटैचमेंट देखें।
यह कार्यक्रम विभिन्न स्टेक होल्डरों के पूर्व प्रयासों से प्राप्त अनुभवों पर आधारित है एवं वर्तमान में संचालित समस्त ग्रामीण पेयजल योजनाओं को समेकित कर एक एकल (एकीकृत) कार्यक्रम के रूप में आरंभ करने का प्रयास किया गया है।
NRDWP (एनआरडीडब्ल्यूपी) का मुख्य उद्देश्य- भारत के समस्त ग्रामीण नागरिकों हेतु पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करना है। पेयजल सुरक्षा से तात्पर्य है कि प्रत्येक ग्रामीण को हर समय एवं (बाढ़ व सूखे सहित) सभी परिस्थितियों में पीने, भोजन बनाने एवं अन्य घरेलू आवश्यकताओं तथा मवेशियों हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध करना, सम्मिलित हैं।
गाँव में रहने वाले लोगों की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वे यह तय करें कि उनके पास कितना पानी उपलब्ध है व उसका उपयोग वे किस प्रकार करते हैं तथा पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें कौन से उपाय करने चाहिए। NRDWP के निर्देशों ने इसके महत्व को समझते हुए इस बात के प्रबंध किए गए हैं कि राज्य सरकारें, पेयजल सुरक्षा हेतु नियोजन, क्रियान्वयन संचालन, रख-रखाव एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी पंचायती राज संस्थाओं को सौप दें।
पेयजल सुरक्षा के लिए इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समुदाय का नेतृत्व एवं प्रतिनिधि के रूप में ग्राम पंचायतों को आगे आना चाहिए। ग्राम पंचायतों को ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से समाज को प्रेरित एवं शिक्षित करना चाहिए एवं यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पेयजल सुरक्षा हेतु उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहयोग प्राप्त हो। ग्रामसभा निर्णय लेने एवं योजनाओं की स्वीकृति (अनुमोदन) का एक मुख्य मंच है।
यही सही है कि ग्रामीण समुदाय यह सब अकेले प्राप्त नहीं कर सकते उनका सहयोग करने में विकासखंड संसाधन केंद्रों (BRCs), जिला एवं स्वच्छता मिशन (DWSMs), राज्य जल एवं स्वच्छता सहयोगी संस्थाओं (SWSSOs), तकनीकी संस्थाओं जैसे जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHEDs), प्रशिक्षण संस्थाओं जैसे राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (SIRDs), स्थानीय निजी संस्थाओं एवं एनजीओ आदि की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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