गोमती नदी बेसिन में भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों के अनुसार भूतल से 5 मीटर के मध्य जल स्तर वाले भूभाग का क्षेत्र भूजल स्तर में काफी गिरावट के कारण भूमि से नदी में प्राकृतिक रूप से बेसफ्लो कम होने के कारण गोमती नदी के विभिन्न स्ट्रेचेज में ‘रीजनरेटेड वाटर’ विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा है। इसका मुख्य कारण गोमती नदी जल ग्रहण क्षेत्र में भू-उपयोग में परिवर्तन और भूजल का अत्यधिक दोहन आदि है। गोमती नदी के अस्तित्व और प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखने के संबंध में सिंचाई विभाग सचेष्ट है। नदी में पूरे वर्ष पर्यावरणीय बहाव उपलब्ध रहे, इसके लिए राज्य जल संसाधन अभिकरण तथा सिंचाई विभाग ने गोमती एवं उसकी सहायक नदियों एवं नालों में जल संरक्षण हेतु एक प्रारंभिक फिजिबिल्टी रिपोर्ट तैयार कर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश के समक्ष 15 जून, 2011 को प्रस्तुत किया था। गोमती नदी के जल संग्रहण क्षेत्र (30,934 वर्गकिमी.) में सकल वर्षा में कमी, डिस्चार्ज स्थलों पर औसत नाॅन-मानसून प्रवाह में कमी, नदी की प्रारंभिक रीच में अत्यधिक सिल्ट जमा होने, भूगर्भ जल स्तर में गिरावट, नदी के फ्लड प्लेन का अतिक्रमण, हरित ह्रास की समस्या का निदान अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक उपचारात्मक कार्य योजनाएं क्रियान्वित कर गोमती नदी में अविरल निर्मल प्रवाह सुनिश्चित करने हेतु सिंचाई नहर प्रणालियों-शारदा/शारदा सहायक परियोजना से क्रमशः 50 क्यूसेक जल उद्गम स्थल पर और 100 क्यूसेक जल लखनऊ के अपस्ट्रीम में डालकर तथा खेतों में सिंचाई में जल मांग न होने की दशा में लखनऊ डाउन स्ट्रीम भू-भाग हेतु शारदा सहायक की गोमती स्केप से नदी में जल छोड़ने के सुझाव शामिल हैं।
राज्य सरकार ने जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण परिषद, वन विभाग एवं कृषि विभाग को अध्ययन रिपोर्ट में चिन्हित किए गए मुद्दों के उपचारात्मक उपायों के अंतर्गत अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक तत्काल प्रभावी एवं समयबद्ध कार्य योजना ‘मनरेगा’ से धनराशि प्राप्त कर क्रियान्वित करने के निर्देश दिए गए हैं जिसकी लगातार समीक्षा मुख्य सचिव द्वारा की जा रही है।
1. गोमती नदी (लम्बाई 900 किमी) में अविरल धारा सुनिश्चित करने हेतु नदी प्रवाह मार्ग में अतिक्रमण हटाने हेतु जनपद पीलीभीत में राज्य अभिलेखों में गोमती नदी के नाम अंकित भूमि अत्यंत कम होने के परिदृश्य पर जनपदों में वस्तुस्थिति अनुसार जिलाधिकारी पीलीभीत एवं जिलाधिकारी लखनऊ द्वारा नदी समरेखन का चिन्हीकरण एवं निर्धारण से संबंधित कार्यवाही सुनिश्चित कर गोमती नदी में निरंतर सुचारू जल प्रवाह हेतु पर्याप्त जल मार्ग उपलब्ध कराया जा रहा है। अन्य जनपदों में नदी समरेखन में जल प्रवाह में व्यवधान नहीं है।
2. आप जानते हैं गोमती नदी का उद्भव गोमत ताल (फुलहर झील, ग्राम माधोटांडा, तहसील पूरनपुर, जनपद पीलीभीत) समुद्र तल से ऊंचाई 185 मीटर से हुआ है जो अंततः 900 किमी चलकर गंगा नदी में कैथी गाजीपुर में मिलती है जहाँ ऊंचाई 61 मीटर है। गोमती पूर्णतः भूगर्भ जल से अनुप्राणित है। औसत स्लोप 0.14 मी. प्रति किमी है। नदी में मेंन्डरिंग बहुत है। कैचमेंट से कृषि, नगरीय और औद्योगिक प्रदूषण नदी में आता है जिससे नदी जल गुणवत्ता प्रभावित होती है। माधो टांडा से एकोत्तर नाथ के मध्य गैर मानसून में प्रवाह न होने तथा विगत 30 वर्षों में वार्षिक औसत वर्षा में कमी के कारण गोमती नदी के नाॅन-मानसून प्रवाह में गिरावट आई है। नीमसार तथा लखनऊ में गोमती का जल प्रवाह मार्च से मई तक अत्यंत न्यून होना भी प्रदर्शित है, के कारण 15 फरवरी से 15 जून के मध्य नहरी जल उपलब्ध कराने हेतु सिंचाई विभाग को निम्न कार्य करने के निर्देश हैं-
अ. फुलहर झील (गोमत ताल) पर 50 क्यूसेक जल शारदा नहर प्रणाली की हरदोई शाखा से निकली माधो टांडा रजबहा से दिया जाना।
ब. लखनऊ नगर के अपस्ट्रीम में शारदा नहर की हरदोई शाखा पर स्थित महदोइया स्केप से बेहटा नदी के रास्ते एवं खीरी शाखा स्थित अटरिया स्केप के माध्यम से नहरों के रोस्टर के अनुसार जल उपलब्धता अनुसार वर्तमान में 100 क्यूसेक जल 15 फरवरी से 15 जून के मध्य की वर्तमान व्यवस्था जारी रखना।
स. शारदा/शारदा सहायक नहर द्वारा घाघरा बेसिन से ट्रांसफर किए गए जल को नहर कमांड में कम मांग की अवधि में गोमती स्केप के माध्यम से गोमती नदी में डालकर भूगर्भ जल स्तर में वृद्धि का प्रयास।
जनपद पीलीभीत में हरदोई शाखा के किमी 3.60 से निकलने वाली माधो टांडा रजबहा की क्षमता वृद्धि कर एवं इसके 2.8 किमी पर रेग्यूलेटर निर्मित कर तथा 4 किमी लम्बाई में चैनल निर्माण कर गोमती नदी के उदगम स्थल फुलहर झील (गोमत ताल) पर 50 क्यूसेक जल उपलब्ध कराने हेतु प्राक्कलित धनराशि रु. 652.43 लाख के अंतर्गत मिट्टी के कार्य हेतु रु. 9.43 लाख के विरूद्ध जिलाधिकारी पीलीभीत द्वारा रु. 2.6 लाख की प्रथम किस्त उपलब्ध करा दी गई है तथा अन्य पक्के कार्यों के वित्त पोषण हेतु यथाशीघ्र धनावंटन किया जाना जिलाधिकारी पीलीभीत द्वारा सूचित किया गया है। कार्य प्रगति में है।
1. जनपद पीलीभीत की सीमा में उद्गम से 47.1 किमी लम्बाई में नदी तल में डिसिल्टिंग की कार्य योजना (अनुमानित लागत रु. 1556.71 लाख) का वित्तीय पोषण श्रम एवं सामग्री अनुपात का परीक्षण कर मनरेगा योजना के अंतर्गत अनुमन्य किए जाने के निर्देश मुख्य सचिव द्वारा जिलाधिकारी पीलीभीत को 17 अगस्त, 2011 को दिए गए हैं। अभी यह कार्य शुरू नहीं हो सका है।
2. जनपद शाहजहांपुर में गोमती नदी की जोखनई नदी के संगम तक 17 किमी लम्बाई में सुचारु जल प्रवाह हेतु कार्य योजना रु. 437.64 लाख के विरुद्ध रू0 109.0 लाख की धनराशि जिलाधिकारी शाहजहांपुर द्वारा अवमुक्त करा दी गई है। कार्य प्रगति में है।
गोमती नदी बेसिन में भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों के अनुसार भूतल से 5 मीटर के मध्य जल स्तर वाले भूभाग का क्षेत्र भूजल स्तर में काफी गिरावट के कारण भूमि से नदी में प्राकृतिक रूप से बेसफ्लो कम होने के कारण गोमती नदी के विभिन्न स्ट्रेचेज में ‘रीजनरेटेड वाटर’ विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा है। इसका मुख्य कारण गोमती नदी जल ग्रहण क्षेत्र में भू-उपयोग में परिवर्तन और भूजल का अत्यधिक दोहन आदि है। अतः दीर्घकालीन उपचारात्मक उपाय संबंधित विभागों द्वारा निम्नवत सुझाए गए हैं- (1) कृषि विभाग (भू-संरक्षण अनुभाग) उत्तर प्रदेश द्वारा भूगर्भ जल संरक्षण हेतु विभिन्न नालों में जहां मानसून उपरान्त भूजल स्तर 8 मीटर से अधिक नीचे है, चेक डैम प्रस्तावित किए गए हैं। जनपद लखनऊ एवं जनपद सीतापुर में कार्य योजना संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा एवं आंशिक धनराशि अवमुक्त किया जाना कृषि विभाग द्वारा अवगत कराया गया है।
(2) वन विभाग द्वारा गोमती नदी के 100 मीटर दोनों किनारों की भूमि उपलब्धता अनुसार परती भूमि वृक्षारोपण एवं वनों का सघनीकरण 6 जनपदों-सीतापुर, शाहजहांपुर, खीरी, हरदोई, पीलीभीत और लखनऊ में वृक्षारोपण/वन सघनीकरण कार्य प्रगति में होना वन विभाग द्वारा बताया गया है।
(3) लघु सिंचाई विभाग से भी भूगर्भ जल स्तर/जल संरक्षण संबंधित कार्य योजनाएं जनपद स्तर पर प्रस्तुत करने के निर्देश है।
(4) उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दूषित औद्योगिक निकासी को चिन्हित कर जल गुणवत्ता नियंत्रण करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि गोमती नदी प्रदूषण मुक्त रह सके।
(5) नगर विकास विभाग द्वारा गोमती नदी प्रदूषण उपचार के अंतर्गत गोमती कार्य योजना में जनपद लखनऊ, सुल्तानपुर एवं जौनपुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर नदी प्रदूषण कम करने के प्रयास की कार्यवाही प्रगति में है। गोमती नगर स्थित एस.टी.पी. उ.प्र. जल निगम द्वारा क्रियाशील किया जा चुका है।
इस प्रकार सिंचाई विभाग अन्य संबंधित विभागों के सहयोग से गोमती नदी सदानीरा बहती रहे से प्रतिबद्ध है।
राज्य सरकार ने जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण परिषद, वन विभाग एवं कृषि विभाग को अध्ययन रिपोर्ट में चिन्हित किए गए मुद्दों के उपचारात्मक उपायों के अंतर्गत अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक तत्काल प्रभावी एवं समयबद्ध कार्य योजना ‘मनरेगा’ से धनराशि प्राप्त कर क्रियान्वित करने के निर्देश दिए गए हैं जिसकी लगातार समीक्षा मुख्य सचिव द्वारा की जा रही है।
(क) अल्पकालिक कार्य योजना
1. गोमती नदी (लम्बाई 900 किमी) में अविरल धारा सुनिश्चित करने हेतु नदी प्रवाह मार्ग में अतिक्रमण हटाने हेतु जनपद पीलीभीत में राज्य अभिलेखों में गोमती नदी के नाम अंकित भूमि अत्यंत कम होने के परिदृश्य पर जनपदों में वस्तुस्थिति अनुसार जिलाधिकारी पीलीभीत एवं जिलाधिकारी लखनऊ द्वारा नदी समरेखन का चिन्हीकरण एवं निर्धारण से संबंधित कार्यवाही सुनिश्चित कर गोमती नदी में निरंतर सुचारू जल प्रवाह हेतु पर्याप्त जल मार्ग उपलब्ध कराया जा रहा है। अन्य जनपदों में नदी समरेखन में जल प्रवाह में व्यवधान नहीं है।
2. आप जानते हैं गोमती नदी का उद्भव गोमत ताल (फुलहर झील, ग्राम माधोटांडा, तहसील पूरनपुर, जनपद पीलीभीत) समुद्र तल से ऊंचाई 185 मीटर से हुआ है जो अंततः 900 किमी चलकर गंगा नदी में कैथी गाजीपुर में मिलती है जहाँ ऊंचाई 61 मीटर है। गोमती पूर्णतः भूगर्भ जल से अनुप्राणित है। औसत स्लोप 0.14 मी. प्रति किमी है। नदी में मेंन्डरिंग बहुत है। कैचमेंट से कृषि, नगरीय और औद्योगिक प्रदूषण नदी में आता है जिससे नदी जल गुणवत्ता प्रभावित होती है। माधो टांडा से एकोत्तर नाथ के मध्य गैर मानसून में प्रवाह न होने तथा विगत 30 वर्षों में वार्षिक औसत वर्षा में कमी के कारण गोमती नदी के नाॅन-मानसून प्रवाह में गिरावट आई है। नीमसार तथा लखनऊ में गोमती का जल प्रवाह मार्च से मई तक अत्यंत न्यून होना भी प्रदर्शित है, के कारण 15 फरवरी से 15 जून के मध्य नहरी जल उपलब्ध कराने हेतु सिंचाई विभाग को निम्न कार्य करने के निर्देश हैं-
अ. फुलहर झील (गोमत ताल) पर 50 क्यूसेक जल शारदा नहर प्रणाली की हरदोई शाखा से निकली माधो टांडा रजबहा से दिया जाना।
ब. लखनऊ नगर के अपस्ट्रीम में शारदा नहर की हरदोई शाखा पर स्थित महदोइया स्केप से बेहटा नदी के रास्ते एवं खीरी शाखा स्थित अटरिया स्केप के माध्यम से नहरों के रोस्टर के अनुसार जल उपलब्धता अनुसार वर्तमान में 100 क्यूसेक जल 15 फरवरी से 15 जून के मध्य की वर्तमान व्यवस्था जारी रखना।
स. शारदा/शारदा सहायक नहर द्वारा घाघरा बेसिन से ट्रांसफर किए गए जल को नहर कमांड में कम मांग की अवधि में गोमती स्केप के माध्यम से गोमती नदी में डालकर भूगर्भ जल स्तर में वृद्धि का प्रयास।
कार्य योजना की प्रगति
जनपद पीलीभीत में हरदोई शाखा के किमी 3.60 से निकलने वाली माधो टांडा रजबहा की क्षमता वृद्धि कर एवं इसके 2.8 किमी पर रेग्यूलेटर निर्मित कर तथा 4 किमी लम्बाई में चैनल निर्माण कर गोमती नदी के उदगम स्थल फुलहर झील (गोमत ताल) पर 50 क्यूसेक जल उपलब्ध कराने हेतु प्राक्कलित धनराशि रु. 652.43 लाख के अंतर्गत मिट्टी के कार्य हेतु रु. 9.43 लाख के विरूद्ध जिलाधिकारी पीलीभीत द्वारा रु. 2.6 लाख की प्रथम किस्त उपलब्ध करा दी गई है तथा अन्य पक्के कार्यों के वित्त पोषण हेतु यथाशीघ्र धनावंटन किया जाना जिलाधिकारी पीलीभीत द्वारा सूचित किया गया है। कार्य प्रगति में है।
नदी तल में डिसिल्टिंग का कार्य
1. जनपद पीलीभीत की सीमा में उद्गम से 47.1 किमी लम्बाई में नदी तल में डिसिल्टिंग की कार्य योजना (अनुमानित लागत रु. 1556.71 लाख) का वित्तीय पोषण श्रम एवं सामग्री अनुपात का परीक्षण कर मनरेगा योजना के अंतर्गत अनुमन्य किए जाने के निर्देश मुख्य सचिव द्वारा जिलाधिकारी पीलीभीत को 17 अगस्त, 2011 को दिए गए हैं। अभी यह कार्य शुरू नहीं हो सका है।
2. जनपद शाहजहांपुर में गोमती नदी की जोखनई नदी के संगम तक 17 किमी लम्बाई में सुचारु जल प्रवाह हेतु कार्य योजना रु. 437.64 लाख के विरुद्ध रू0 109.0 लाख की धनराशि जिलाधिकारी शाहजहांपुर द्वारा अवमुक्त करा दी गई है। कार्य प्रगति में है।
(ख) दीर्घकालिक उपाय
गोमती नदी बेसिन में भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों के अनुसार भूतल से 5 मीटर के मध्य जल स्तर वाले भूभाग का क्षेत्र भूजल स्तर में काफी गिरावट के कारण भूमि से नदी में प्राकृतिक रूप से बेसफ्लो कम होने के कारण गोमती नदी के विभिन्न स्ट्रेचेज में ‘रीजनरेटेड वाटर’ विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा है। इसका मुख्य कारण गोमती नदी जल ग्रहण क्षेत्र में भू-उपयोग में परिवर्तन और भूजल का अत्यधिक दोहन आदि है। अतः दीर्घकालीन उपचारात्मक उपाय संबंधित विभागों द्वारा निम्नवत सुझाए गए हैं- (1) कृषि विभाग (भू-संरक्षण अनुभाग) उत्तर प्रदेश द्वारा भूगर्भ जल संरक्षण हेतु विभिन्न नालों में जहां मानसून उपरान्त भूजल स्तर 8 मीटर से अधिक नीचे है, चेक डैम प्रस्तावित किए गए हैं। जनपद लखनऊ एवं जनपद सीतापुर में कार्य योजना संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा एवं आंशिक धनराशि अवमुक्त किया जाना कृषि विभाग द्वारा अवगत कराया गया है।
(2) वन विभाग द्वारा गोमती नदी के 100 मीटर दोनों किनारों की भूमि उपलब्धता अनुसार परती भूमि वृक्षारोपण एवं वनों का सघनीकरण 6 जनपदों-सीतापुर, शाहजहांपुर, खीरी, हरदोई, पीलीभीत और लखनऊ में वृक्षारोपण/वन सघनीकरण कार्य प्रगति में होना वन विभाग द्वारा बताया गया है।
(3) लघु सिंचाई विभाग से भी भूगर्भ जल स्तर/जल संरक्षण संबंधित कार्य योजनाएं जनपद स्तर पर प्रस्तुत करने के निर्देश है।
(4) उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दूषित औद्योगिक निकासी को चिन्हित कर जल गुणवत्ता नियंत्रण करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि गोमती नदी प्रदूषण मुक्त रह सके।
(5) नगर विकास विभाग द्वारा गोमती नदी प्रदूषण उपचार के अंतर्गत गोमती कार्य योजना में जनपद लखनऊ, सुल्तानपुर एवं जौनपुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर नदी प्रदूषण कम करने के प्रयास की कार्यवाही प्रगति में है। गोमती नगर स्थित एस.टी.पी. उ.प्र. जल निगम द्वारा क्रियाशील किया जा चुका है।
इस प्रकार सिंचाई विभाग अन्य संबंधित विभागों के सहयोग से गोमती नदी सदानीरा बहती रहे से प्रतिबद्ध है।
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