गोमती को राज्य नदी घोषित किया जाए

डॉ. वेंकटेश का सुझाव गोमती-गंगा यात्रा दल लखनऊ वापस पहुंचा


बाधाओं के बावजूद गोमती को अविरल-निर्मल बनाने की संभावनाएं अभी बाकी है। जरूरत नदी के उद्गम व गंगा से मिलन स्थल सहित इसमें मिलने वाली सहायक नदियों के संगम को इको फ्रेजाइल जोन (पारिस्थितिकीय संतुलन की दृष्टिकोण से अति संवेदनशील) करने की है। नदी में जैव विविधता, स्वाभाविक प्रवाह व अपने जल को शुद्ध करने की क्षमता है, लेकिन संरक्षण न होने से धीरे-धीरे इसकी खूबियां दम तोड़ रही हैं।

गोमती-गंगा यात्रा मे शामिल अध्ययन दल के प्रमुख डॉ. वेंकटेश दत्ता के मुताबिक गोमती के उद्गम स्थल माधौ टाण्डा (पीलीभीत) में इसका ऊँचाई समुद्र तल के जलस्तर से 185 मीटर व कैथी में 126 मीटर मिली है। ऐसे में किसी तरह के कृत्रिम अवरोध खड़ा न करने से नदी 1250 किलोमीटर तक अपने स्वाभाविक प्रवाह के माध्यम से बह सकती है, जबकि कुल लंबाई इससे कम है। गोमती में लखनऊ के सिवा कहीं बैराज बनाकर पानी नहीं रोका गया है। अगर गऊघाट के बैराज को हटाकर दूसरा विकल्प अपनाया जाए तो नदी का स्वाभाविक प्रवाह बना रहेगा।

पंपिंग स्टेशन के लिए इसी के बगल में जलाशय बनाया जा सकता है। नदी में इतना पानी है कि कमी नहीं पड़ेगी। पर, इसके लिए पूरी नदी के लिए जल प्रबंधन की योजना बनाकर काम करना पड़ेगा। डॉ. वेंकटेश गोमती को राज्य नदी घोषित करने का सुझाव देते हैं। कहते हैं- यह ऐसी विशिष्ट नदी है, जो जमीन, के अंदर से निकलती है। जगह-जगह उससे जल लेती चलती है, जबकि ज्यादातर नदियाँ ऊँचाई से निकली हैं। यह उत्तर प्रदेश से निकलकर यहीं गंगा में मिलती है। नदी राज्य का विषय है इसलिए इसके बारे में कोई फैसला लेने में परेशानी नहीं होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश का राजकीय चिन्ह मछली अपनाए जाने की प्रेरणा इसी नदी से मिली है। इसलिए गोमती को राज्य नदी घोषित करना और अधिक गौरव की बात होगी। आसफुद्दौला जब लखनऊ आए तो गोमती से निकली मछली उनकी गोद में आ गिरी थी। इसे उन्होंने शुभ मानकर राजकीय चिन्ह बनाया। अब यह उत्तर प्रदेश शासन का राजकीय चिन्ह है।

गोमती-गंगा यात्रा से लौटे संयोजक डॉ. नरेंद्र मेहरोत्रा कहते हैं- नदी में जीवन है। इसे 2020 तक अविरल निर्मल बनाने के लिए जनता, समाज व सरकार से सहयोग लेकर लक्ष्य पूरा किया जाएगा। सरकार से सहयोग पाने के लिए वह विस्तृत कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करेंगे। यात्रा के आयोजक लोकभारती के संगठन सचिव बृजेंद्र पाल सिंह ने कहा कि यात्रा के दौरान गठित किए गए गोमती मित्र मंडलों के सदस्यों के साथ बैठकर जल्द आगे की कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिससे नदी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए स्थानीय लोगों को पूरी तरह जागरूक किया जा सके।

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