मुख्य सचिव अनूप मिश्र ने कहा कि गोमती नदी के किनारे अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलेगा। गोमती का अलौकिक स्वरूप बरकार रखने के लिए सभी विभागों की 12 जून को बैठक बुलाई गई है। सभी नदियों का पानी साफ रखने के लिए साल में सभी प्रमुख शहरों में बन रहे एसटीपी को चालू कर दिया जाएगा। इसके बाद कोई भी नाला नदी में नहीं गिरेगा। उन्होंने कहा कि गोमती का जलस्तर बनाए रखने के लिए सिंचाई विभाग पीलीभीत में शारदा व सीतापुर में घाघरा नदी से कैनाल के जरिए पानी लाने का काम कर रहा है।
गोमती नदी की लंबाई में प्रति 500 मीटर पर पार्क बने
भूजल स्रोत से बनी आदि गंगा का जलस्तर बनाए रखने के लिए अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रो. वेंकटेश दत्ता ने सरकार से गोमती को राज्य की धरोहर घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि 960 किलोमीटर लंबी नदी में प्रति 500 मीटर पर पार्क बनाकर बारिश के पानी का संचयन किया जाए। इससे माधौ टाण्डा के गोमत ताल से निकली गोमती के 35 किलोमीटर की दूरी में होने की स्थिति नहीं आएगी। इसके अलावा सरकार को वट, नारी, कच्छप संस्कृति के जरिए नदी का महत्व बरकरार रखने का प्रयास करना चाहिए।
हैंडपंप और जलसंचयन साथ-साथ
ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के राज्य मंत्री लखीराम नागर ने समारोह के दौरान ही प्रमुख सचिव सुशील कुमार को सभी डीएम को एक दिशानिर्देश जारी करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि गांव व शहर में लग रहे हैंडपंप के साथ वहीं पर जलसंचयन की व्यवस्था बनाई जाएगी। इससे हैंडपंप के बार-बार रिबोर करने की दिक्कत नहीं आएगी।
भू-सतह की मैपिंग होगी
विषय की गंभीरता पर विभाग के प्रमुख सचिव सुशील कुमार ने कहा कि अतिदोहन के कारण 820 में से 461 ब्लाक का भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है। लखनऊ, कानपुर में 50 से 80 सेमी. प्रतिवर्ष की गिरावट हो रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जल मिशन के तहत एक्यूफर (भू-सतह से 150 मीटर गहराई तक) मैपिंग कराई जाएगी।
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