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लखनऊ। नालों का प्रदूषित जल गोमती नदी में जाने से नदी का सफाई अभियान सार्थक होता नहीं दिखाई दे रहा है। नालों के न रोके जाने से गोमती नदी में सीवेज का पानी जमा हो रहा है। जल निगम व नगर निगम प्रशासन इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। शहर के कुल 26 नालों के डिस्चार्ज को पूरी तरह से डायवर्ट नहीं किया जा सका है। वहीं शहर की आबादी बढ़ने एवं नए क्षेत्र के विस्तार के कारण सात नए नालों का भी प्रदूषित जल सीधे नदी में जा रहा है। गोमती नदी में गिरने वाले नालों के डिस्चार्ज को डायवर्ट के बाद शोधन के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट का निर्माण कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके लिए जल निगम ने लखनऊ विकास प्राधिकरण से 10500 वर्गमीटर भूमि की माँग की है।
शहर की आबादी से बढ़े 7 नए नाले विकसित हो गए हैं, जिनके माध्यम से इन नालों के प्रदूषित जल सीधे गोमती नदी में जाकर नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। इसकी शिकायत प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड लगातार शासन को भेज रहा है। गोमती नदी के सौंदर्यीकरण के लिए नदी की सफाई एवं इससे सम्बन्धित आवश्यक विकास कार्य सिंचाई विभाग ने प्रारम्भ कर दी है। ऐसे में नालों के डिस्चार्ज को डायवर्ट करने के लिए प्रस्तावित योजना पर शासन ने आवश्यक पम्पिंग स्टेशन बनाए जाने का निर्देश दिया है।
पम्पिंग स्टेशन बनाने के लिए गोमती प्रदूषण नियन्त्रण इकाई को करीब 10500 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता है। डायवर्जन स्थल के लिए उक्त भूमि की माँग अस्थाई गोमती प्रदूषण नियन्त्रण इकाई के परियोजना प्रबन्धक डीएन यादव की ओर से एलडीए से की गई है। भूमि मिलने के बाद स्थल पर पम्पिंग स्टेशन बनाने का काम शुरू हो सकेगा। सातों नालों के लिए प्रति पम्पिंग स्टेशन 30 गुणा 50 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता है। यहाँ प्रस्तावित कार्यों में ग्रिट चैम्बर, पम्प हाउस, जनरेटर रूम, स्टॉफ क्वार्टर एवं बाउन्ड्रीवाल आदि का निर्माण किया जाना है।
सात नए नाले
गोमती नगर विस्तार निकट सिंचाई विभाग बैरल। गोमती नगर नाला निकट ग्वारी कलवर्ट। सहारा सिटी नाला निकट फ्लड पम्पिंग स्टेशन। घैला नाला निकट घैला गाँव। फैजुल्लागंज अपस्ट्रीम। फैजुल्लागंज डाउनस्ट्रीम। बरीकलां नाला।
नहीं शुरु हो सका भरवारा एसटीपी
शहर में प्रतिदिन निकलने वाले 400 एमएलडी सीवेज को सीधे गोमती में जाने से रोकने के लिए दो एसटीपी बनाए गए हैं। गोमती प्रदूषण नियन्त्रण कार्य योजना के अन्तर्गत शहर के कुल 26 नालों के डिस्चार्ज को डायवर्ट कर सीवेज पम्पिंग स्टेशन के माध्यम से शोधन किया जाना था। दौलतगंज में 56 एमएलडी एवं भरवारा में 345 एमएलडी शोधन क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट लगाया गया है। डीएम ने निरीक्षण के बाद फरवरी में भरवरा एसटपी के शुरू करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस है।
सफाई न होने से जा रहा कूड़ा
खदरा, सरकटा, वजीरगंज एवं घसियारी मंडी, सगरा आदि नालों पर शहर की तरफ से आने वाले कूड़े की मात्रा बहुत अधिक है। इससे इसके डायवर्जन स्थल पर कूडे़ की समुचित सफाई सम्भव नहीं हो पाती है। इस कारण डिस्चार्ज का डायवर्जन प्रभावित हो रहा है। नगर निगम के इन नालों के अपस्ट्रीम में कूडे़ की नियमित सफाई न होने से यह स्थिति और बढ़ सकती है।
पम्पिंग न होने से नदी में जा रहा नालों का पानी
सिस गोमती साइड से आने वाले नालों में पाटा नाला, एनईआर नाला, वजीरगंज, घसियारी मंडी, चायना बाजार, लाप्लास एवं ट्रंक सीवर का डिस्चार्ज सिस गोमती पम्पिंग स्टेशन से पम्प करके निशातगंज पुल के ऊपर पड़ी राइजनिंग के माध्यम से भरवारा एसटीपी पर शोधन के लिए भेजा जाता है। लेकिन इस सीवेज पम्पिंग स्टेशन पर स्थापित कुल 5 पम्पों में से वर्तमान में कई पम्प पूरी तरह से खराब हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र के अधिकांश डिस्चार्ज की पम्पिंग न होने से डिस्चार्ज सीधे नदी में प्रवाहित होकर नदी को प्रदूषित कर रहा है।
शहर की आबादी से बढ़े 7 नए नाले विकसित हो गए हैं, जिनके माध्यम से इन नालों के प्रदूषित जल सीधे गोमती नदी में जाकर नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। इसकी शिकायत प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड लगातार शासन को भेज रहा है। गोमती नदी के सौंदर्यीकरण के लिए नदी की सफाई एवं इससे सम्बन्धित आवश्यक विकास कार्य सिंचाई विभाग ने प्रारम्भ कर दी है। ऐसे में नालों के डिस्चार्ज को डायवर्ट करने के लिए प्रस्तावित योजना पर शासन ने आवश्यक पम्पिंग स्टेशन बनाए जाने का निर्देश दिया है।
पम्पिंग स्टेशन बनाने के लिए गोमती प्रदूषण नियन्त्रण इकाई को करीब 10500 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता है। डायवर्जन स्थल के लिए उक्त भूमि की माँग अस्थाई गोमती प्रदूषण नियन्त्रण इकाई के परियोजना प्रबन्धक डीएन यादव की ओर से एलडीए से की गई है। भूमि मिलने के बाद स्थल पर पम्पिंग स्टेशन बनाने का काम शुरू हो सकेगा। सातों नालों के लिए प्रति पम्पिंग स्टेशन 30 गुणा 50 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता है। यहाँ प्रस्तावित कार्यों में ग्रिट चैम्बर, पम्प हाउस, जनरेटर रूम, स्टॉफ क्वार्टर एवं बाउन्ड्रीवाल आदि का निर्माण किया जाना है।
सात नए नाले
गोमती नगर विस्तार निकट सिंचाई विभाग बैरल। गोमती नगर नाला निकट ग्वारी कलवर्ट। सहारा सिटी नाला निकट फ्लड पम्पिंग स्टेशन। घैला नाला निकट घैला गाँव। फैजुल्लागंज अपस्ट्रीम। फैजुल्लागंज डाउनस्ट्रीम। बरीकलां नाला।
नहीं शुरु हो सका भरवारा एसटीपी
शहर में प्रतिदिन निकलने वाले 400 एमएलडी सीवेज को सीधे गोमती में जाने से रोकने के लिए दो एसटीपी बनाए गए हैं। गोमती प्रदूषण नियन्त्रण कार्य योजना के अन्तर्गत शहर के कुल 26 नालों के डिस्चार्ज को डायवर्ट कर सीवेज पम्पिंग स्टेशन के माध्यम से शोधन किया जाना था। दौलतगंज में 56 एमएलडी एवं भरवारा में 345 एमएलडी शोधन क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट लगाया गया है। डीएम ने निरीक्षण के बाद फरवरी में भरवरा एसटपी के शुरू करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस है।
सफाई न होने से जा रहा कूड़ा
खदरा, सरकटा, वजीरगंज एवं घसियारी मंडी, सगरा आदि नालों पर शहर की तरफ से आने वाले कूड़े की मात्रा बहुत अधिक है। इससे इसके डायवर्जन स्थल पर कूडे़ की समुचित सफाई सम्भव नहीं हो पाती है। इस कारण डिस्चार्ज का डायवर्जन प्रभावित हो रहा है। नगर निगम के इन नालों के अपस्ट्रीम में कूडे़ की नियमित सफाई न होने से यह स्थिति और बढ़ सकती है।
पम्पिंग न होने से नदी में जा रहा नालों का पानी
सिस गोमती साइड से आने वाले नालों में पाटा नाला, एनईआर नाला, वजीरगंज, घसियारी मंडी, चायना बाजार, लाप्लास एवं ट्रंक सीवर का डिस्चार्ज सिस गोमती पम्पिंग स्टेशन से पम्प करके निशातगंज पुल के ऊपर पड़ी राइजनिंग के माध्यम से भरवारा एसटीपी पर शोधन के लिए भेजा जाता है। लेकिन इस सीवेज पम्पिंग स्टेशन पर स्थापित कुल 5 पम्पों में से वर्तमान में कई पम्प पूरी तरह से खराब हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र के अधिकांश डिस्चार्ज की पम्पिंग न होने से डिस्चार्ज सीधे नदी में प्रवाहित होकर नदी को प्रदूषित कर रहा है।
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