गंगा सफाई में ठोस परिणाम देंगे

Jal Manthan
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आगामी जनवरी में विश्व जल सप्ताह के साथ ही शुरू होगी जल संरक्षण मुहिम, गांवों तक पहुंचाएंगे संदेश

जल मंथनकेंद्रीय जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण, मंत्री उमा भारती ने शनिवार को कहा कि वह गंगा का अविरल एवं निर्मल प्रवाह बनाए रखने के लिए जल्दबाजी में कोई काम नहीं करेंगी और सभी पक्षों का ध्यान रखकर सुनियोजित ढंग से काम करके दीर्घकालिक एवं ठोस परिणाम सामने लाएंगी।

भारती ने विज्ञान भवन में तीन दिन तक चले जल मंथन कार्यक्रम के समापन अवसर पर बताया कि हाल ही वाराणसी यात्रा के दौरान उन्होंने एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया था जिसमें साफ पानी एक गंदे नाले में जा रहा था और गंदे नाले का पानी गंगा में प्रवाहित हो रहा था।

उन्होंने पाया कि इससे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का मकसद ही खत्म हो गया था। उन्होंने कहा कि संभव है कि गंगा की सफाई करना है का शोर मचा हो और बिना सोचे या पूरी योजना बनाए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना डाला हो लेकिन हड़बड़ी में उसकी पूरी योजना नहीं बनाई गई हो।

इससे पता चलता है कि जल्दबाजी करने से पैसा भी बर्बाद होता है और उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पाता।

उन्होंने कहा कि 50 हजार करोड़ या 1 लाख करोड़ खर्च हो चुके हैं लेकिन उन्होंने हर तरह से आकलन किया है और यह राशि किसी भी हालत में 3000 करोड़ रुपए से अधिक नहीं जाती है। उन्होंने कहा की चूंकि वह जल्दबाजी के दुष्परिणामों को जानती हैं। इसलिए गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के काम को हड़बड़ी में करने की बजाए पूरी योजना बना कर दीर्घकालिक एवं ठोस परिणाम लाने के लिए काम करेंगी।

गांवों में भी चलाएंगे ‘हमारा जिला हमारा जल’


केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि जल संरक्षण में अत्याधुनिक तकनीक इस्तेमाल करने के साथ ही इसे जन आंदोलन बनाने की जरूरत है। आंदोलन को गांव स्तर तक पहुंचाने के लिए ‘हमारा जिला हमारा जल’ कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार देश भर में जिला स्तर पर जल संरक्षण कार्यक्रम शुरू करके हर गांव तक पहुंचेगी और पानी को बचाने को आंदोलन का रूप देकर देश में इसकी कमी को पूरा करने के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा, जनवरी में विश्व जल सप्ताह 2015 का आयोजन होगा और इसी दौरान ‘हमारा जिला हमारा जल’ कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा, इसके जरिए जिला स्तर पर जागरूकता पैदा करने के साथ ही देश के सभी जिलों में जल संरक्षण के केंद्रों का पता लगाकर उनके संरक्षण की शुरुआत की जाएगी। जल संरक्षण के तकनीकी पहलुओं पर भी विचार किया जाएगा।

खेती का दायरा बढ़ा, पर जल नहीं


केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्यमंत्री एवं राजस्थान के अजमेर से सांसद प्रो. सांवर लाल जाट ने कहा, पहले जल का कम दोहन होता था तो जल की कमी महसूस नहीं होती थी, लेकिन अब अत्यधिक क्षमता के बिजली के पंप लगाकर भूजल का शोधन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, इससे पानी की ज्यादा उपलब्धता के कारण खेती का दायरा तो बढ़ा है, लेकिन जल का स्तर घटा है और यह गंभीर स्थिति पैदा कर रहा है। जल संरक्षण होगा तो फिर उम्मीद की जानी चाहिए कि जल के लिए लड़ाई नहीं होगी और इंसान को मीठा जल मिलता रहेगा।

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Post By: Shivendra
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