गंगा सफाई के लिए एक हजार करोड़

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नई दिल्ली। गंगा को स्वच्छ करने के लिये जर्मनी भारत को करीब एक हजार करोड़ रुपए का आसान कर्ज मुहैया कराएगा। इस धन का इस्तेमाल उत्तराखण्ड में गन्दी नालियों के प्रबन्धन के लिये किया जाएगा। भारत में जर्मनी के कार्यवाहक दूत जैस्पर विक ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

विक ने कहा कि यह परियोजना सीवरेज सिस्टम (लगभग 360 किमी) के विस्तार और प्रतिस्थापन पर ध्यान देगी। इसमें 15 लाख लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शामिल है। 13 सीवेज पम्पिंग स्टेशनों का निर्माण भी होगा। परियोजना का उद्देश्य गंगा में अस्वच्छ जल के प्रवाह को रोक जल की गुणवत्ता को सुधारना है।

साल 2015 में, जर्मन सरकार ने सीवरेज नेटवर्क और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों के निर्माण जैसे निवेश वित्तपोषण के लिये जर्मन विकास बैंक केएफडब्ल्यू के जरिए एक हजार करोड़ तक का कर्ज ब्याज सब्सिडी पर देने का वादा किया था।

लोगों को जागरूक करने के लिये गंगा बॉक्स

विक ने कहा कि जर्मन विकास एजेंसी गिज ने एक ‘गंगा बॉक्स’ तैयार किया है। इसका उद्देश्य स्कूल जाने वाले बच्चों को नदियों के बारे में जानकारी देना है। गंगा बॉक्स में शामिल गंगा बुक में नदी के बारे में पौराणिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक महत्व की जानकारी होगी। इसके साथ ही प्रदूषण से बचने के लिये नदियों में प्लास्टिक नहीं फेंकने जैसे सुझाव होंगे।

सफाई के लिये चंदा

मुम्बई में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि गंगा की सफाई के लिये लोगों से चंदा जुटाएँगे। उन्होंने कहा कि मैं गंगा सफाई के काम के लिये केन्द्र सरकार के भरोसे नहीं हूँ। हालांकि गंगा की सफाई के लिये पैसे की कमी नहीं है। लेकिन, मैं चाहता हूँ कि इसमें कम-से-कम एक करोड़ लोग आर्थिक मदद दें। मुम्बई में चेम्बर अॉफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की तरफ से आयोजित ‘संसाधनों के विकास व गंगा कायाकल्प’ विषय पर अपना मत व्यक्त करते हुए गडकरी ने यह बात कही।
 

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