गंगा संरक्षण के लिए समय हो रहा खत्मः मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि दीर्घकालिक नीतियों और कार्ययोजना बनाने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय ने सात आईआईटी के एक समूह का गठन किया है। इसका काम गंगा के लिए नदी बेसिन प्रबंधन की व्यापक योजना तैयार करना है। उन्होंने बताया कि आईआईटी समूह अपनी योजना में नदी के पारिस्थितिकी स्वास्थ्य को बहाल और बरकरार रखने के लिए सिफारिशें देगा। इसमें जल के इस्तेमाल और भूमि, जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के तरीके में जरूरी बदलाव को भी जगह दी जाएगी।

नई दिल्ली (भाषा)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गंगा संरक्षण के लिए समय खत्म होते जाने की चेतावनी जारी की है। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को मलजल शोधन पर ढीले रवैये को लेकर प्रदेश सरकारों को आड़े हाथों लिया और उनसे दोषी उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। गंगा में हर दिन 2,9000 लाख लीटर प्रदूषित जल गिरने पर चिंता जाहिर करते हुए सिंह ने प्रदेश सरकारों से नए मलजल शोधन संयंत्रों के प्रस्ताव भेजने को कहा। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के लिए पर्याप्त मात्रा में कोष उपलब्ध है। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की तीसरी बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने औद्योगिक प्रदूषण का मुद्दा भी उठाया और कहा कि औद्योगिक प्रदूषण कुल प्रदूषण का महज 20 फीसदी है लेकिन यह चिंता का गंभीर विषय है क्योंकि यह जहरीला और अजैविक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रदूषण रिसाव मानकों के मुताबिक इस पर निगरानी रखने की जरूरत है। सिंह ने कहा कि राज्य बोर्डों को केंद्र सरकार से मिली शक्तियों के तहत दोषी उद्योगों के खिलाफ अवश्य कार्रवाई करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि समय हमारे पक्ष में नहीं है और हमें त्वरित कार्रवाई करनी है। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों का निपटारा टुकड़ों में नहीं होना चाहिए और उन्हें वैज्ञानिक आधार पर खरा उतरना चाहिए। सिंह ने कहा कि दीर्घकालिक नीतियों और कार्ययोजना बनाने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय ने सात आईआईटी के एक समूह का गठन किया है। इसका काम गंगा के लिए नदी बेसिन प्रबंधन की व्यापक योजना तैयार करना है। उन्होंने बताया कि आईआईटी समूह अपनी योजना में नदी के पारिस्थितिकी स्वास्थ्य को बहाल और बरकरार रखने के लिए सिफारिशें देगा। इसमें जल के इस्तेमाल और भूमि, जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के तरीके में जरूरी बदलाव को भी जगह दी जाएगी।

सिंह ने कहा कि यह योजना गंगा को साफ रखने और इसकी धारा को बनाए रखने के लिए हमारे द्वारा सामना किए जाने वाली चुनौतियों से निपटने वाले एनजीआरबीए की कार्ययोजना का आधार बनेगा। उन्होंने बताया कि समूह ने पांच प्रारंभिक रिपोटें सौंप दी है। सिंह ने उन्हें अपना काम तेजी से और पूरी मेहनत के साथ करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि मलजल शोधन के लिए मौजूदा बुनियादी ढांचों का अभी पूरी तरह इस्तेमाल नहीं हुआ है, खासतौर से नालों को जोड़ने के नेटवर्क के अभाव में। सरकार संचालन कार्यों के लिए कोष जारी करने के नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है।

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