गंगा नदी मुद्दा : मुख्यमंत्रियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में मतभेद

इस बैठक में जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद शामिल नहीं हो सके। लेकिन पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने कहा कि अग्रवाल को प्रधानमंत्री के सामने अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा।

गंगा नदी के मुद्दे पर मुख्यमंत्रियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में मतभेद खुलकर सामने आए। कुछ मुख्यमंत्री इस बात पर अड़े रहे कि पर्यावरणीय मुद्दों से विकास अवरुद्ध नहीं होना चाहिए। दूसरी ओर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नए बांधों का विरोध किया है। गंगा नदी की सफाई के मुद्दे पर ख्यात पर्यावरणविद् जीडी अग्रवाल ने आमरण अनशन किया था। एक साल बाद राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन अथॉरिटी की बैठक बुलाई गई।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में साढ़े तीन घंटे बैठक चली। उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री अथॉरिटी के सदस्य हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि कई हाइड्रो-पावर प्रोजेक्ट्स को पर्यावरणीय एवं अन्य मंजूरियां मिल गई हैं। उन्हें कुछ लोगों की आशंकाओं के आधार पर बंद नहीं किया जाना चाहिए। यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड के विकास के लिए बेहद जरूरी है। राज्य के लोगों की आजीविका गंगा पर निर्भर है।

राजेंद्र सिंह एवं अन्य पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कहा कि गंगा की पवित्रता बनाए रखने को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। खदानों, अतिक्रमण व अति-दोहन की वजह से गंगा प्रदूषित हो रही है। नदी खत्म हो रही है। भविष्य में बांधों का निर्माण रोका जाना चाहिए। ताकि नदी के बहाव में कोई बाधा न आएं। सूत्रों के मुताबिक मनमोहन सिंह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि उनकी चिंताओं को ध्यान में रखा जाएगा।

इस बैठक में जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद शामिल नहीं हो सके। लेकिन पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने कहा कि अग्रवाल को प्रधानमंत्री के सामने अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा।

मुख्यमंत्रियों ने कहा: पर्यावरणीय मुद्दों से विकास अवरुद्ध नहीं होना चाहिए।
• पर्यावरणविदों ने किया गंगा नदी पर नए बांधों के निर्माण का विरोध।

उत्तराखंड की आपत्ति


• गोमुख-उत्तरकाशी के बीच 135 किमी. इलाके को इको-सेंसिटिव जोन घोषित न किया जाए। मौजूदा कानून काफी है।
• 118 गांवों की एक लाख आबादी को हकों से वंचित नहीं किया जा सकता।
• खनन कार्यों पर पाबंदी विकल्प नहीं है। भवन निर्माण सामग्री महंगी होगी। रोजगार अवसरों पर प्रतिकूल असर होगा।

ठीकरा राज्यों पर


प्रधानमंत्री ने गंगा में प्रदूषण का ठीकरा राज्यों के सिर पर फोड़ा हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ने राज्यों से इसके लिए दोषी उद्योगों पर कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने गंगा में हर दिन दो लाख नौ हजार लीटर प्रदूषित पानी जाने पर चिंता जताई। साथ ही राज्यों से नए जलशोधन संयंत्रों के प्रस्ताव भेजने को कहा। उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण कुल प्रदूषण का 20 फीसदी है। यह चिंता का गंभीर विषय है।

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