गंगा की सफाई 2018 तक

केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, न्यायालय ने सत्यापन योग्य प्रगति की रिपोर्ट माँगी

गंगानई दिल्ली (एजेंसी)। उच्चतम न्यायालय ने पिछले 30 साल से गंगा नदी की सफाई का अभियान चलने के बावजूद इसकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होने पर बुधवार को चिन्ता व्यक्त की। उसने केन्द्र सरकार से जानना चाहा कि वह इस कार्यकाल में ही कुछ करेगी या फिर यह अगले कार्यकाल के लिए छोड़ेगी। इस पर केन्द्र की ओर से कहा गया कि सरकार 2018 तक गंगा की सफाई का काम पूरा कर देना चाहती है।

शीर्ष अदालत ने उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में स्थापित होने वाले 70 मल शोधन संयन्त्रों के बारे में छह सप्ताह के भीतर ताजा जानकारी माँगी है। न्यायालय ने इससे पहले, केन्द्र सरकार से गंगा नदी को चरणबद्ध तरीके से साफ करने की योजना माँगी थी।

न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने कहा, ‘अब मुद्दा यह है कि यह तीस साल से चल रहा है। आप (केन्द्र) हमें सत्यापन योग्य प्रगति के बारे में बताइए।’ न्यायालय ने यह बात उस समय कही जब केन्द्र सरकार के वकील ने कहा कि इस दिशा में काफी कुछ हो रहा है। सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा, ‘इस सरकार ने 118 और नगरों की पहचान की है। अब काम शुरू हो गया है। उन्हें (नगर पालिकाओं और दूसरे प्राधिकरियों) जाग जाने के लिए कहा गया है।’

न्यायालय ने इससे पहले केन्द्र सरकार से गंगा नदी की सफाई के चरणबद्ध कार्यक्रम की जानकारी माँगी थी। न्यायालय ने अब केन्द्र से गंगा के तट पर बसे पाँच राज्यों में स्थापित होने वाले 70 मल शोधन संयन्त्रों के बारे में अतिरिक्त जानकारी माँगी है।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘यदि आपको वित्तीय समस्या है तो हम इसे हल नहीं कर सकते। अभी तो आपसे यही अपेक्षा है कि आप परियोजना पर आगे बढ़े और यदि किसी प्रकार की समस्या आती है तो हमारे पास आएँ।’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘आप इसे विरोधी मुकदमें की तरह नहीं लें। क्या आप कहना चाहते हैं कि यह इस सरकार के कार्यकाल के दौरान करना होगा या अगली सरकार के कार्यकाल के दौरान।’

इस पर रंजीत कुमार ने जवाब दिया, ‘हम 2018 तक यह काम सम्पन्न करना चाहते हैं।’

न्यायालय ने अपने आदेश में सरकार को निर्देश दिया कि उन 15 मल शोधन संयन्त्रों की ताजा स्थिति से अवगत् कराया जाए, जिनकी नीलामी की प्रक्रिया पूरी हो जानी थी और यदि इसमें किसी प्रकार का विलम्ब हुआ है तो इसकी वजह बताई जाए। न्यायालय ने कहा कि गंगा नदी तट प्रबन्धन के बारे में आईआईटी के संघ की जो रिपोर्ट जनवरी के अन्त तक दाखिल होनी है, वह उसे भी दी जाए।

न्यायालय ने सालिसीटर जनरल के इस कथन का संज्ञान लिया कि सात आईआईटी का समूह गोमुख से उत्तरकाशी तक के पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील सौ किलोमीटर लम्बे क्षेत्र का अध्ययन कर रहा है।

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Post By: Shivendra
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